सम्राट अशोक की पांच रानियां थीं. इसमें सबसे छोटी रानी थी तिष्यरक्षिता. अप्रतिम सुंदरी. तीखे नैन-नख्श. बिजली गिरने वाली भाव-भंगिमाएं. जो उसे देख लेता था, अपलक देखता ही रह जाता था. वह सम्राट अशोक से उम्र में बहुत छोटी थी. लेकिन बहुत चालाक और चतुर. उसे राजा के जवान बेटे और राजकुमार कुणाल से प्यार हो गया. लेकिन इसका अंजाम अच्छा नहीं हुआ. ये प्रेम कहानी भी गजब की है.
कहा जाता है सम्राट अशोक की सबसे छोटी रानी तिष्यरक्षिता ने सौतेले बेटे कुणाल से प्रेम करने की कोशिश की थी. लेकिन इस प्रेम का हुआ क्या. कुणाल, अशोक और उसकी पहली रानी पद्मावती के पुत्र थे.
तिष्यरक्षिता ने कुणाल को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश की, लेकिन कुणाल ने इसे ठुकरा दिया. इस अपमान से नाराज होकर तिष्यरक्षिता ने कुणाल को अंधा करने का षड्यंत्र रचा.
ये कथा मुख्य रूप से दिव्यावदान ग्रंथ और कुछ जैन ग्रंथों में मिलती है. हालांकि इतिहासकार इसे पूरी तरह ऐतिहासिक तथ्य नहीं मानते. क्योंकि अशोक के शासनकाल और जीवन के बारे में अधिकांश जानकारी उसके शिलालेखों से मिलती है, जिसमें इसका उल्लेख नहीं है. या हो सकता है कि इसे अशोक ने जानबूझकर इसमें नहीं रखा हो.
सम्राट अशोक की पांचवीं रानी तिष्यरक्षिता अप्रतिम सुंदरी थी लेकिन राजा से उम्र में आधे से भी कम. इसे लेकर वह बाद में निराश होने लगी. ऐसी स्थिति में जब उसने सौतेले बेटे राजकुमार कुणाल को देखा तो उस पर मोहित हो गई. (image generated by Leonardo AI)
अब आइए जानते हैं पूरी कहानी
तिष्यरक्षिता पहले सेविका थी
तिष्यरक्षिता बहुत साधारण घर की थी. अनाथ हो चुकी थी.उसे श्रीलंका के राजपरिवार में सेविका बनाकर लाया गया था. राजा का नाम था तिष्य. एक दिन राजा तिष्य अपनी रानी के साथ जब बगीचे में घूम रहे थे, तभी एक जहरीला नाग तेजी से आया. राजा को डसकर देखते ही देखते झाड़ी में गायब हो गया. चीखपुकार मच गई. किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाए.
कैसे बदल गई उसकी जिंदगी
तभी युवा हो चुकी तिष्यरक्षिता वहां पहुंची. सारे प्रोटोकॉल तोड़ते हुए उसने राजा के उस पैर से विष को चूसना शुरू किया, जहां नाग ने राजा को डसा था. उसने पूरा विष चूस लिया. राजा खतरे से बाहर हो गए. लेकिन उसकी हालत गंभीर हो गई.
हालांकि बाद में राजवैद्यों ने उसे बचा लिया लेकिन ये सच है कि उसने अगर उस समय राजा की रक्षा नहीं की होती तो उनका बचना मुश्किल था. चूंकि उसने राजा तिष्य की रक्षा की थी, लिहाजा उसे नाम दिया गया – तिष्यरक्षिता.
लंका के राजा ने उसे उपहार में अशोक को भेजा
जब सम्राट अशोक के बेटे महेंद्र और संघमित्रा बौद्ध धर्म का प्रचार करने श्रीलंका गए तो वो राजपरिवार के मेहमान बने. अपना काम पूरा करके जब वह वापस लौटने लगे तो राजा तिष्य ने उन्हें एक से एक उपहार दिया. इसमें उन्होंने तिष्यरक्षिता को भी सम्राट अशोक की सेवा के लिए भेज दिया.
अपूर्व सुंदरी तिष्यरक्षिता जब अशोक के दरबार में पेश हुई
राजकुमार महेंद्र ने जब अशोक के दरबार में आकर उपहार पेश करने शुरू किए तो तिष्यरक्षिता को भी प्रस्तुत किया गया. जैसे ही वह दरबार में आई, हर कोई उसे एकपलक देखता रह गया. उसकी गजब की सुंदरता का जादू हर किसी पर चल गया था. बाद जब महेंद्र ने उसकी उपलब्धियों के बारे में बताया तो हर किसी पर उसका असर और बढ़ गया.
तिष्यरक्षिता सम्राट अशोक की युवा पत्नी थी, जो उनके पुत्र कुणाल से प्रेम करने लगी थी. जब कुणाल ने उसके प्रेम प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, तो वह क्रोधित हो गई औऱ कुणाल के खिलाफ साजिश रचने लगी. (image generated by Leonardo AI)
सम्राट अशोक मोहपाश में कैद हो गए, शादी की
तिष्यरक्षिता को रनिवास भेज दिया गया. चूंकि वह बहुत चतुर और चालाक थी,लिहाजा उसने सम्राट से नजदीकियां बढ़ानी शुरू कीं. उन्हें अपने मोहपाश में कैद कर लिया. हालात ये हो गई कि सम्राट का उसके बिना रहना ही दूभर हो गया. तो उन्होंने उससे शादी करके उसे रानी बना लिया.
लेकिन राजा की उम्र बढ़ रही थी. वहीं तिष्यरक्षिता राजा से आधे से कम उम्र की और बेहद जवान थी, लिहाजा उसे अपने और राजा के संबंधों और प्रेमालाप अपूर्णता भी महसूस होती थी. वह निराश हो रही थी.
जब राजकुमार कुणाल को देखा तो मोहित हो गई
इस बीच उसने राजकुमार कुणाल को देखा. देखती ही रह गई. युवा, आकर्षक, सुंदर काया. चेहरे पर शांति, आंखें भी खूबसूरत. वह राजकुमार कुणाल को देखते ही उससे प्यार कर बैठी, उस पर मोहित हो गई. ये सोचे बगैर कि रिश्ते में वह उसकी मां जैसी है. राजकुमार कुणाल उज्जैनी से कुछ दिनों के लिए पाटलीपुत्र आया हुआ था.कुणाल से उसकी मुलाकातें बढ़ने लगीं. उसकी सोई हुई कामनाएं फिर जाग गईं.
कुणाल से नजदीकी बढ़ाने की हर कोशिश
वह कोशिश करती कि कुणाल के करीब रहे या उसे कक्ष में बुलाये. कुणाल उसे हमेशा माते ही कहकर संबोधित करता था. एक दिन तिष्यरक्षिता खास तरीके से ऊपर से लेकर नीचे तक सजी. उसने उस दिन खासतौर पर कुणाल को कक्ष में बुलाया. सारे सेवकों को कक्ष से बाहर रहने को कहा.
तिष्यरक्षिता ने कुणाल से प्रेम निवेदन किया
जब वो दोनों कक्ष में एकांत में थे तब तिष्यरक्षिता ने उससे प्रेम निवेदन करना शुरू किया. बोला – राजकुमार मैं तुमसे प्यार करने लगी हूं. उम्र में तो तुम्हारे बराबर हूं. मैं तुम्हारे बगैर कुछ सोच नहीं पाती. तुम ही मेरी कल्पनाओं में रहते हो. हम दोनों क्या चोरी छिपे मिलन नहीं कर सकते.
क्या था तब राजकुमार की प्रतिक्रिया
राजकुमार कुणाल ने जब ये सब सुना तो गुस्से से लाल हो गया. फटकारते हुए बोला – आप रिश्ते में मेरी मां जैसी हैं. मेरे पिता की पत्नी. आप जो कह रही हैं वह पाप है, सोचना भी नहीं चाहिए. कुणाल ने तिष्यरक्षिता को खूब खऱीखोटी सुनाई और पैर फटकारते हुए कक्ष से निकल गया. उसके बाद पाटलीपुत्र से उज्जैनी भी लौट गया.
ये तिष्यरक्षिता के झटका था
तिष्यरक्षिता के लिए ये बहुत बड़ा झटका था. उसके अहम पर चोट लगी थी. सोच भी नहीं सकती थी कि राजकुमार प्रेम प्रस्ताव को ठुकराएगा ही साथ ही उसका इस कदर अपमान भी कर देगा. वह अंदर ही अंदर गुस्से में बदला लेने के बारे में सोचने लगी. इसी बीच राजा की मुख्य रानी असंधिमित्रा का निधन हो गया और सम्राट ने तिष्यरक्षिता को मुख्य रानी बना दिया.
वह सम्राज्ञी बनी असीम ताकत के साथ
अब उससे पार असीमित ताकत थी. उसके पास वो मुहर आ गई, जिस पर वह राजाज्ञा जारी कर सकती थी. उसने धीरे धीरे दरबार के बहुत से लोगों को अपनी ओर मिला लिया. उसे बदला लेने का मौका मिल ही गया.
साजिश करने लगी
तक्षशिला में विद्रोह हो गया. रानी तिष्यरक्षिता ने राजा को सलाह दी कि इस विद्रोह को दबाने के लिए राजकुमार कुणाल को भेजा जाए. वह वहां गया और विद्रोह दबा दिया लेकिन इसके बाद वहां एक और राजाज्ञा उसका इंतजार कर रही थी, जो राजकीय मुहर और सील के साथ वहां कुछ मंत्री और सैनिक लेकर आए थे.
आदेश था कि राजकुमार की आंखें निकाल ली जाएं
राजाज्ञा में लिखा था कि राजकुमार की आंखें निकाल ली जाएं और फिर उसकी जान ले ली जाए. किसी को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि सम्राट अशोक अपने बेटे के साथ ऐसा भी कर सकते हैं. आखिरकार राजकुमार ने खुद ही कहा कि मेरी आंखें निकाल लो. ऐसा ही हुआ.
रानी तिष्यरक्षिता को अशोक ने कड़ी सजा दी
ये बात जब तेजी से फैलने लगी तो सम्राट अशोक के कानों तक भी पहुंची कि राजा के आदेश से राजकुमार कुणाल की आंखें निकाल ली गईं हैं. वह हतप्रभ रहे गए. उन्होंने जब सच्चाई पता की तो पता लगा कि ये काम रानी तिष्यरक्षिता का है. राजा आगबबूला हो गया. उसने तिष्यरक्षिता को जिंदा जलाने का आदेश दिया.
आंखें जाने के बाद कुणाल कमजोर राजा साबित हुआ
रानी को दंड मिल गया लेकिन सम्राट अशोक की मृत्यु के बाद जब कुणाल राजगद्दी पर बैठा तो आंखें नहीं होने के कारण वह कमजोर शासक साबित हुआ. राज्य टूटने लगा. कुणाल उस तरह का राजा साबित नहीं हुआ, जैसी उम्मीद की गई थी, उसकी वजह थी उसकी आंखों का चला जाना.