सरदार पटेल और अमित शाह: गुजरात के दो गृह मंत्री जिन्होंने भारत की एकता और...

7 hours ago

Last Updated:August 07, 2025, 18:59 IST

सरदार पटेल और अमित शाह, दोनों गुजरात से हैं और भारत की एकता एवं सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. पटेल ने 565 रियासतों का एकीकरण किया, जबकि शाह ने अनुच्छेद 370 हटाया.

 गुजरात के दो गृह मंत्री जिन्होंने भारत की एकता और...भारत की प्रगति में सरदार पटेल और अमित शाह के दोनों के योगदान को सराहा गया. (फाइल फोटो)

भारत का इतिहास ऐसे महान नेताओं द्वारा गढ़ा गया है जिनकी दूरदर्शिता और दृढ़ संकल्प ने राष्ट्र की शक्ति और एकता सुनिश्चित की. इनमें लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल और वर्तमान गृह मंत्री अमित शाह, भारत के भाग्य को बदलने वाले अग्रणी नेताओं में से एक हैं. दोनों नेताओं में दशकों का अंतर है, लेकिन दोनों ही गुजरात से हैं और उनकी जीवन यात्रा, मूल्यों और भारत की एकता एवं संप्रभुता की रक्षा में निर्णायक भूमिकाओं में उल्लेखनीय समानताएं हैं.

प्रारंभिक जीवन और प्रेरणा
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म गुजरात में हुआ था और वे भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक केंद्रीय व्यक्ति बन गए. अपने प्रारंभिक वर्षों से ही, उन्होंने नेतृत्व करने की असाधारण क्षमता और समाज के प्रति गहरी ज़िम्मेदारी का परिचय दिया. वे 1917 में अहमदाबाद के स्वच्छता आयुक्त चुने गए और बाद में 1924 से 1928 तक नगर पालिका समिति के अध्यक्ष रहे. इस दौरान, उन्होंने बेहतर जल आपूर्ति, स्वच्छता और नगर नियोजन सहित नागरिक जीवन को बेहतर बनाने के लिए सार्थक सुधार किए. उन्होंने 1917 के प्लेग और 1918 के अकाल जैसी आपदाओं के दौरान भी अथक परिश्रम किया और जन कल्याण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की. पटेल महात्मा गांधी से बहुत प्रभावित थे और उन्हें अपना नेता स्वीकार किया तथा भारत की स्वतंत्रता और एकता के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया.

इसी तरह, अमित शाह की यात्रा भी युवावस्था में ही सेवा और समर्पण की गहरी भावना से शुरू हुई. गुजरात से होने के कारण, वे उन देशभक्तों के जीवन से प्रेरित थे जिनकी जीवनियां उन्होंने अपने छात्र जीवन में पढ़ी थीं. उनका सार्वजनिक जीवन 1980 में 16 वर्ष की आयु में एक युवा स्वयंसेवक के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल होने से शुरू हुआ. 1982 तक, वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की गुजरात इकाई के संयुक्त सचिव बन गए थे. 1984 में, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के लिए एक मतदान एजेंट के रूप में काम करना शुरू किया. उन शुरुआती दिनों से ही, शाह ने संगठन के प्रति वही जमीनी जुड़ाव और समर्पण दिखाया जो कभी पटेल के नागरिक प्रशासन के शुरुआती करियर की पहचान था.

जमीनी स्तर से निर्माण
पटेल और शाह, दोनों ही ज़मीनी नेता थे जो जनता की नब्ज़ समझते थे. सरदार पटेल ने नगरपालिका प्रशासन में अपने वर्षों के दौरान अहमदाबाद नगरपालिका को ब्रिटिश नियंत्रण के एक मात्र साधन से एक स्वतंत्र इच्छाशक्ति वाली जनता की संस्था में बदल दिया. उनके जमीनी जुड़ाव ने उन्हें स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कांग्रेस के सबसे मज़बूत नेताओं में से एक बना दिया.

अमित शाह ने भी, छात्र और युवा आंदोलनों में अपनी शुरुआती भागीदारी से, जमीनी स्तर से एक मज़बूत जुड़ाव बनाया. 1997 में, वे सरखेज से 25,000 मतों के अंतर से जीतकर विधायक चुने गए. 2012 तक वे हर विधानसभा चुनाव जीतते रहे और उनका अंतर बढ़ता ही गया. जब उन्होंने पांचवीं बार नारनपुरा से चुनाव लड़ा, तो कम मतदाता आधार के बावजूद उनकी जीत का अंतर 63,000 से ज़्यादा मतों का था. विधायक के रूप में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान, उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में विकास के लिए अथक प्रयास किया, न केवल विधायक निधि का उपयोग किया बल्कि जन कल्याण के लिए विभिन्न स्रोतों से संसाधन भी जुटाए.

राष्ट्रीय एकता और सुरक्षा में दूरदर्शी नेतृत्व
सरदार पटेल का सबसे बड़ा योगदान स्वतंत्रता के बाद 565 रियासतों का भारतीय संघ में एकीकरण था. हैदराबाद, जूनागढ़, त्रावणकोर, भोपाल और कश्मीर सहित इनमें से कई रियासतें भारत में शामिल होने के लिए अनिच्छुक थीं. पटेल ने कूटनीति, बातचीत और जहां आवश्यक हुआ, दृढ़ता का प्रयोग करके यह सुनिश्चित किया कि वे भारत का हिस्सा बनें. उन्होंने जूनागढ़ और हैदराबाद को, जिनके शासक भारत से बाहर रहना चाहते थे, बल प्रयोग करके अपने अधीन करने में संकोच नहीं किया. उनके अथक परिश्रम ने भारत के विखंडन को रोका और एक अखंड राष्ट्र का निर्माण किया. इस अभूतपूर्व उपलब्धि के लिए, उन्हें भारत का लौह पुरुष कहा गया.

वर्तमान युग में, अमित शाह ने भारत के गृह मंत्री के समान ही दृढ़ संकल्प और दूरदर्शिता का परिचय दिया है. उनके सबसे ऐतिहासिक योगदानों में से एक अनुच्छेद 370 को हटाना है, जिसने लंबे समय तक जम्मू और कश्मीर को शेष भारत के साथ पूर्ण एकीकरण से दूर रखा था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इस साहसिक निर्णय ने घाटी में दशकों से चले आ रहे अलगाववाद और आतंकवाद का अंत किया. आज, जम्मू-कश्मीर शांतिपूर्ण पंचायत चुनावों और विधानसभा चुनावों के साथ जमीनी स्तर पर लोकतंत्र का अनुभव कर रहा है और शेष भारत की तरह विकास का लाभ उठा रहा है. सड़क, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा में अभूतपूर्व सुधार हुआ है और घाटी के लोग अब राष्ट्र की मुख्यधारा से जुड़ रहे हैं.

नागरिकता संशोधन अधिनियम के माध्यम से सशक्तिकरण
अमित शाह के नेतृत्व में लिया गया एक और महत्वपूर्ण निर्णय नागरिकता संशोधन अधिनियम है. दशकों से, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को कट्टरपंथी ताकतों के हाथों उत्पीड़न का सामना करना पड़ा है. उनकी आवाज़ें दबा दी गईं, उनकी गरिमा को कुचला गया और सुरक्षित जीवन की उनकी उम्मीदों को नकार दिया गया. नागरिकता संशोधन अधिनियम ने उन्हें आशा की एक नई किरण और अपने पूर्वजों की भूमि पर सम्मान और सुरक्षा के साथ जीने का अवसर दिया है. यह निर्णय अमित शाह के इस दृढ़ विश्वास को दर्शाता है कि भारत की नैतिक ज़िम्मेदारी है कि वह उन लोगों की रक्षा करे जिनके साथ ऐतिहासिक रूप से अन्याय हुआ है और जिन्हें पड़ोसी देशों में कट्टरपंथी शासनों द्वारा उनके मूल अधिकारों से वंचित किया गया है.

पूर्वोत्तर में लंबे समय से लंबित मुद्दों का समाधान और उग्रवाद से लड़ाई
सरदार पटेल ने अपने समय में दृढ़ और निर्णायक कार्रवाई के माध्यम से भारत के विघटन को रोकने पर ध्यान केंद्रित किया. अमित शाह आधुनिक भारत में इसी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. उनके नेतृत्व में, मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर में ब्रू-रियांग समझौता, बोडो समस्या और असम-मेघालय सीमा विवाद जैसे लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों का समाधान किया. वामपंथी उग्रवाद के प्रति उनकी शून्य सहनशीलता की नीति ने नक्सली हिंसा को हाशिये पर धकेल दिया है, और आतंकवादी गतिविधियाँ छिटपुट घटनाओं तक सीमित हो गई हैं. आज भारत की आंतरिक सुरक्षा पहले से कहीं अधिक सुदृढ़ और सुदृढ़ है.

गुजरात की साझी विरासत और भारत के लिए साझी दृष्टि
यह एक ऐतिहासिक संयोग है कि सरदार पटेल और अमित शाह दोनों ही गुजरात से हैं. दोनों ने गुजरात के महान दूरदर्शी लोगों के नेतृत्व को अपना मार्गदर्शक माना, पटेल महात्मा गांधी के मार्ग पर चलते रहे और शाह नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में काम करते रहे. दोनों नेताओं ने जमीनी स्तर से शुरुआत की, समर्पण और कड़ी मेहनत से आगे बढ़े और ऐसे पदों पर पहुंचे जहां वे पूरे राष्ट्र का भाग्य गढ़ सके. उनकी यात्राएं गुजरात की भावना को दर्शाती हैं, जिसने भारत को उसके कुछ महानतम नेता दिए हैं.

सरदार पटेल और अमित शाह, अलग-अलग युगों से होने के बावजूद, एक मजबूत, एकजुट और सुरक्षित भारत के एक समान दृष्टिकोण को साझा करते हैं. 565 रियासतों को एकीकृत करने की पटेल की महान उपलब्धि ने स्वतंत्रता के समय एक संयुक्त राष्ट्र की नींव रखी. अनुच्छेद 370 को निरस्त करने, नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू करने और आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने में अमित शाह का निर्णायक नेतृत्व यह सुनिश्चित कर रहा है कि भारत इक्कीसवीं सदी में भी एकजुट और मजबूत बना रहे. दोनों नेता साहस, व्यावहारिकता और राष्ट्र की एकता और सुरक्षा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता के प्रतीक हैं. उनका जीवन और योगदान आने वाली पीढ़ियों को इस बात के उदाहरण के रूप में प्रेरित करता रहेगा कि किस प्रकार दृढ़ नेतृत्व किसी राष्ट्र के भाग्य को बदल सकता है.

प्रेम शुक्ला (राष्ट्रीय प्रवक्ता, भाजपा)

Location :

New Delhi,New Delhi,Delhi

First Published :

August 07, 2025, 18:59 IST

homenation

सरदार पटेल और अमित शाह: गुजरात के दो गृह मंत्री जिन्होंने भारत की एकता और...

Read Full Article at Source