हिंदी-तमिल-कन्नड़ नहीं, तरक्की चाहिए तो इंग्लिश सीखो… राहुल गांधी की नई थ्योरी

1 day ago

Last Updated:July 24, 2025, 21:03 IST

Rahul Gandhi News: राहुल गांधी का मानना है कि भारत में तरक्की और सफलता का सबसे बड़ा जरिया अंग्रेजी शिक्षा है. उनका कहना है कि आज के दौर में इंग्लिश मीडियम एजुकेशन, हिंदी या अन्य क्षेत्रीय भाषाओं की तुलना में कह...और पढ़ें

हिंदी-तमिल-कन्नड़ नहीं, तरक्की चाहिए तो इंग्लिश सीखो… राहुल गांधी की नई थ्योरीभारत में सफलता का सबसे बड़ा फैक्टर क्या है? राहुल गांधी का जवाब- इंग्लिश एजुकेशन. (Photo : INC)

हाइलाइट्स

राहुल गांधी ने इंग्लिश शिक्षा को तरक्की का जरिया बताया.राहुल गांधी ने क्षेत्रीय भाषाओं की तुलना में इंग्लिश को असरदार कहा.राहुल गांधी ने गरीब बच्चों को इंग्लिश शिक्षा देने की वकालत की.

नई दिल्ली: राहुल गांधी की नजर में, आज बिना इंग्लिश के तरक्की नहीं हो सकती. दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने साफ शब्दों में कहा, ‘भारत में अगर किसी चीज से तरक्की मिलती है, तो वह है इंग्लिश एजुकेशन. यही आज सबसे बड़ा फैक्टर है जो सफलता और प्रगति तय करता है.’ राहुल का कहना था कि हिंदी, तमिल, कन्नड़ जैसी क्षेत्रीय भाषाओं का अपना महत्व है, लेकिन आज के भारत में अगर किसी चीज ने सामाजिक असमानता की दीवार तोड़ी है तो वो अंग्रेजी भाषा है. उन्होंने कहा, ‘ये हैरान करने वाला सच है, लेकिन सच है. मैं ये नहीं कह रहा कि हिंदी या क्षेत्रीय भाषाएं जरूरी नहीं हैं, लेकिन अंग्रेजी से मिलने वाला अवसर आज भी सबसे असरदार है.’

राहुल यहीं नहीं रुके. उन्होंने बीजेपी नेताओं पर तंज कसते हुए कहा, ‘जो लोग कहते हैं कि अंग्रेजी खत्म होनी चाहिए, उनसे पूछिए कि उनके बच्चे कहां पढ़ते हैं? जवाब मिलेगा- इंग्लिश मीडियम स्कूल में. तो फिर यही मौका एक गरीब बच्चे को क्यों न मिले? एक दलित, आदिवासी, या ओबीसी महिला को क्यों न मिले?’

What is the single biggest factor that determines success for an individual in India?

It is education in English—the single biggest determinant of success and progress in India. Meaning, an English education is much more powerful in India today.

अंग्रेजी vs अदर्स… क्या है राहुल का एजेंडा

राहुल गांधी की ये बातें उनकी सामाजिक न्याय वाली राजनीति की अगली किस्त लग रही हैं. उन्होंने अंग्रेजी को नफरत या उपेक्षा का नहीं, बल्कि अवसर का माध्यम बताया. उनके मुताबिक, जब तक गरीबों को वही शिक्षा नहीं मिलेगी जो अमीरों के बच्चों को मिलती है, तब तक बराबरी का सपना अधूरा रहेगा.

राहुल की इस थ्योरी से एक और बहस जन्म ले सकती है. क्या भारत में ‘भाषाई समानता’ की जगह ‘भाषाई अवसर’ की बात होनी चाहिए? क्या अंग्रेजी सीखना अब सामाजिक न्याय का हिस्सा बन चुका है?

Deepak Verma

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...

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New Delhi,Delhi

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