Last Updated:December 07, 2025, 21:17 IST
तेलंगाना सरकार ने हैदराबाद में US Consulate के पास सड़क का नाम 'डोनाल्ड ट्रंप एवेन्यू' रखने का ऐलान किया, साथ ही टाटा, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, विप्रो के नाम पर भी सड़कें होंगी. क्या यह सिर्फ एक बोर्ड बदलने की कहानी है, या इसके पीछे छिपी है हैदराबाद के 'वीज़ा और बिजनेस' को बचाने की कोई बड़ी डील?
तेलंगाना सरकार का प्लान कुछ इस तरह का है.कल्पना कीजिए कि आप भारत के एक शहर में ड्राइव कर रहे हैं. आपकी गाड़ी एक शानदार फ्लाईओवर से उतरती है, आप टाटा इंटरचेंज को पार करते हैं, गूगल स्ट्रीट से गुजरते हुए माइक्रोसॉफ्ट रोड पर मुड़ते हैं और अंत में आपकी मंजिल आती है… डोनाल्ड ट्रंप एवेन्यू. यह कोई काल्पनिक शहर या अमेरिका का कोई कोना नहीं, बल्कि भारत का अपना ‘साइबराबाद’ यानी हैदराबाद बनने जा रहा है. तेलंगाना की कांग्रेस सरकार ने एक ऐसा फैसला लिया है जिसने न केवल भारतीय कूटनीति के गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि दिल्ली और हैदराबाद के बीच एक अजीबोगरीब सियासी विरोधाभास भी पैदा कर दिया है.
जिस वक्त ट्रंप के 50 फीसदी टैरिफ और उनकी टिप्पणियों से भारत के लोग असहज हैं, ठीक उसी वक्त ठीक उसी वक्त तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने ट्रंप के सम्मान में हैदराबाद की एक वीआईपी सड़क का नामकरण करने का ऐलान कर दिया है. तेलंगाना सरकार ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की है कि हैदराबाद में अमेरिकी वाणिज्य दूतावास (US Consulate General) के बगल वाली सड़क का नाम बदलकर अब ‘डोनाल्ड ट्रंप एवेन्यू’ रखा जाएगा.
विदेश मंत्रालय भेजा जाएगा प्रस्ताव
मनी कंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, नानकरामगुडा के फाइनेंशियल डिस्ट्रिक्ट में स्थित यह सड़क अब तक महज एक रास्ता थी, लेकिन अब यह अमेरिका के 45वें और नवनिर्वाचित 47वें राष्ट्रपति के नाम से जानी जाएगी. यह फैसला कोई रातों-रात लिया गया तुक्का नहीं है. मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) के मुताबिक, राज्य सरकार जल्द ही केंद्रीय विदेश मंत्रालय और अमेरिकी दूतावास को औपचारिक रूप से इस योजना की जानकारी देगी. सीएम रेवंत रेड्डी ने इस साल की शुरुआत में दिल्ली में आयोजित ‘यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप फोरम’ (USISPF) में ही इसके संकेत दे दिए थे. उनका विजन साफ है कि हैदराबाद की सड़कों के नाम उन दिग्गजों के नाम पर हों, जिन्होंने इस शहर की तकदीर बदली है.
टाइमिंग का खेल
इस फैसले की टाइमिंग सबसे ज्यादा रोचक है. इसे कूटनीतिक नजरिए से देखें तो यह एक ‘बोल्ड और रिस्की’ कदम है. पिछले कुछ दिनों से डोनाल्ड ट्रंप का रवैया भारत को लेकर बहुत पसंदीदा नहीं रहा है. ऐसे माहौल में कांग्रेस की राज्य सरकार द्वारा ट्रंप को इतना बड़ा सम्मान देना केंद्र की लाइन से बिल्कुल अलग है. कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि रेवंत रेड्डी जानते हैं कि ट्रंप तारीफों के भूखे नेता हैं. अगर उनके नाम पर सड़क रखकर हैदराबाद को H-1B वीजा में थोड़ी राहत मिलती है या अमेरिकी कंपनियों का निवेश बढ़ता है, तो रेड्डी केंद्र की नाराजगी मोल लेने को भी तैयार हैं.
रीब्रांड करने की कोशिश
तेलंगाना सरकार का मकसद हैदराबाद के भूगोल को पूरी तरह से री-ब्रांड करना है. सरकार चाहती है कि जब कोई विदेशी निवेशक या टेक प्रोफेशनल हैदराबाद के फाइनेंशियल डिस्ट्रिक्ट में आए, तो उसे यह न लगे कि वह भारत के किसी आम शहर में है, बल्कि उसे लगे कि वह सिलिकॉन वैली और वाशिंगटन डीसी के एक शानदार क्रॉसओवर में घूम रहा है. इस री-ब्रांडिंग मिशन में केवल ट्रंप ही नहीं, बल्कि उद्योग जगत के कई और दिग्गज शामिल हैं:
रतन टाटा को श्रद्धांजलि
सरकार ने तय किया है कि नेहरू आउटर रिंग रोड (ORR) को प्रस्तावित रीजनल रिंग रोड (RRR) से जोड़ने वाली नई ‘ग्रीनफील्ड रेडियल रोड’ का नाम दिवंगत दिग्गज उद्योगपति पद्म विभूषण रतन टाटा के नाम पर रखा जाएगा. इसके अलावा, राविरियाला (Raviryala) में बने इंटरचेंज का नाम पहले ही ‘टाटा इंटरचेंज’ कर दिया गया है. यह फैसला टाटा समूह द्वारा हैदराबाद के विकास में दिए गए योगदान (जैसे एयरोस्पेस और डिफेंस हब) को मान्यता देता है.
गूगल स्ट्रीट (Google Street): अमेरिका के बाहर गूगल का सबसे बड़ा ऑफिस कैंपस हैदराबाद में बन रहा है. जिस सड़क से यह कैंपस गुजरता है, उसे अब ‘गूगल स्ट्रीट’ कहा जाएगा. यह डिजिटल इंडिया में गूगल के योगदान को एक बड़ा सलाम है.
माइक्रोसॉफ्ट रोड और विप्रो जंक्शन: इसी तरह, माइक्रोसॉफ्ट और विप्रो के कैंपस के पास की सड़कों और चौराहों को क्रमश: माइक्रोसॉफ्ट रोड और विप्रो जंक्शन का नाम दिया जाएगा.
‘इनोवेशन-ड्रिवन इंडिया’ का चेहरा
तेलंगाना सरकार का तर्क है कि ये नामकरण केवल दिखावा नहीं हैं, बल्कि यह एक संदेश है. सीएम रेड्डी हैदराबाद को इनोवेशन-ड्रिवन इंडिया (नवाचार संचालित भारत) का चेहरा बनाना चाहते हैं. अधिकारियों का कहना है, “जब दुनिया की बड़ी कंपनियां यहां निवेश करती हैं, तो हम उन्हें अपना पार्टनर मानते हैं. सड़कों का नाम उनके नाम पर रखना यह बताता है कि हम उनके योगदान की कदर करते हैं. यह ग्लोबल इन्वेस्टर्स को आकर्षित करने का एक मनोवैज्ञानिक तरीका है.
क्या केंद्र सरकार लगाएगी अड़ंगा?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या विदेश मंत्रालय इसे मंजूरी देगा? भारत में आमतौर पर जीवित विदेशी नेताओं के नाम पर सड़कों का नामकरण कम ही होता है, खासकर तब जब वह नेता किसी महाशक्ति का राष्ट्रपति हो और कूटनीतिक संबंध संवेदनशील दौर से गुजर रहे हों. अगर केंद्र सरकार ने इसे रोका, तो रेवंत रेड्डी इसे तेलंगाना के विकास विरोधी कदम के रूप में प्रचारित करेंगे. अगर केंद्र ने मंजूरी दी, तो यह ट्रंप के लिए एक सकारात्मक संकेत होगा, जिसका फायदा अंततः भारत को ही मिल सकता है.
About the Author
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
Location :
Hyderabad,Telangana
First Published :
December 07, 2025, 21:17 IST

7 hours ago
