किसने तैयार किया राष्ट्रीय ध्वज, कई बदलावों से गुजरकर 36 सालों में बना तिरंगा

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Last Updated:August 15, 2025, 13:09 IST

History of Indian Flag: हमारे राष्ट्रीय ध्वज को अस्तित्व में आने में 36 साल का लंबा वक्त लगा था. इसे बनाने की शुरुआत 1921 में की गई थी. इसे स्वतंत्रता सेनानी पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था. बाद में इसमें बदला...और पढ़ें

किसने तैयार किया राष्ट्रीय ध्वज, कई बदलावों से गुजरकर 36 सालों में बना तिरंगा22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने ध्वज को अपनाया.

History of Indian Flag: हवा में लहराते अपने प्यारे राष्ट्रीय ध्वज को देखते ही हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है. चाहे वह लाल किले की प्राचीर पर हो, अटारी या वाघा जैसी किसी सरहद पर या किसी क्रिकेट स्टेडियम में. राष्ट्रीय एकता से प्रेरित होकर हृदय राष्ट्रीय ध्वज के साथ गूंज उठता है. राष्ट्रीय ध्वज भारत की शक्ति का प्रतीक है, सामूहिक गौरव और सच्ची भारतीय भावना का प्रतीक है. इस ध्वज को अपने मौजूदा स्वरूप में आने में 36 साल का लंबा सफर तय करना पड़ा. 1921 में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पिंगली वेंकैया ने भारत के राष्ट्रीय ध्वज का शुरुआती डिजाइन तैयार किया था. कई बदलावों के बाद 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया था. ध्वज एक राष्ट्रीय पहचान है. यह भारत को एक संप्रभु और लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में दर्शाता है.

कौन थे राष्ट्रीय ध्वज के डिजाइनर पिंगली
आंध्र प्रदेश के एक गांव से ताल्लुक रखने वाले पिंगली वेंकैया बचपन में एक स्वतंत्रता सेनानी और असाधारण रूप से मेधावी छात्र थे. उन्होंने मद्रास में हाई स्कूल की पढ़ाई पूरी की और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई करने के लिए विदेश चले गए. एक सच्चे विद्वान होने के नाते उन्हें भूविज्ञान, शिक्षा, कृषि और भाषाओं में रुचि थी. दक्षिण अफ्रीका में जब वह एंग्लो बोअर युद्ध के दौरान ब्रिटिश सेना में सेवारत थे, तब उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई. पिंगली गांधी के सिद्धांतों से जुड़े और उनके साथ एक ऐसा रिश्ता बना जो 50 से भी ज्यादा वर्षों तक चला.

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ब्रिटिश सैनिक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्हें ब्रिटिश ध्वज यूनियन जैक को सलामी देनी पड़ी. जिससे उनकी देशभक्ति की भावनाएं गहराई से आहत हुईं. गांधीजी से बातचीत के बाद उन्हें एक नया विचार आया और वह स्वतंत्रता संग्राम में समर्पित होना चाहते थे. भारत लौटने पर उन्होंने अपना समय एक ऐसे भारतीय ध्वज के निर्माण में समर्पित कर दिया जो पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में पिरो सके और सभी समुदायों को उससे जोड़ सके. उन्होंने 1916 में झंडों पर एक पुस्तिका भी प्रकाशित की, जिसमें चौबीस झंडों के डिजाइन शामिल थे.

1906: पहला राष्ट्रीय ध्वज कलकत्ता के पारसी बागान चौक पर फहराया गया था. यह स्वदेशी आंदोलन, प्रतिरोध और विदेशी ब्रिटिश वस्तुओं के बहिष्कार के आह्वान का प्रतीक था. तीन रंगों वाले इस ध्वज में सबसे ऊपर हरा रंग था जिस पर आठ सफेद कमल थे, बीच में पीले रंग में देवनागरी लिपि में ‘वंदे मातरम’ लिखा था और सबसे नीचे लाल रंग था जिसके कोनों में अर्धचंद्र और सूर्य अंकित थे.

1907: राष्ट्रीय ध्वज थोड़े-बहुत बदलावों के साथ वैसा ही बना हुआ है. मैडम बीकाजी कामा ने जर्मनी के स्टटगार्ट में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस में दूसरा राष्ट्रीय ध्वज फहराया था, जो दमनकारी ब्रिटिश शासन के विरुद्ध भारतीय स्वायत्तता और स्वतंत्रता के लिए समर्थन की अपील थी. बर्लिन समिति ध्वज के रूप में भी जाना जाने वाला दूसरे राष्ट्रीय ध्वज की ऊपरी रंग की पट्टी हरे से नारंगी और कमल से तारे में बदल गई. निचली रंग की पट्टी लाल से हरे रंग में बदल गई, जिसके कोनों पर सूर्य, अर्धचंद्र और तारा बना हुआ था.

1917: 1917 में होमरूल आंदोलन के दौरान एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक ने एक अलग झंडा फहराया. यह झंडा औपनिवेशिक शासन के तहत भारतीयों के लिए अधिक स्वायत्तता और स्वशासन की मांग को दर्शाता था. यह नौ हॉरिजेंटल रंगीन पट्टियों से बना था – 5 लाल और 4 हरी पट्टियां. ब्रिटिश झंडे के ऊपर सात डायग्नल तारे दो पंक्तियों में व्यवस्थित हैं. तारा और अर्धचंद्र ब्रिटिश झंडे के विपरीत कोने पर स्थित हैं. एक वर्टिकल काला त्रिभुज झंडे के बाएं किनारे पर है.

1921: 1921 में बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में कांग्रेस के एक अधिवेशन में पिंगली वेंकैया ने महात्मा गांधी को अपना ध्वज डिजाइन दिखाया. इसमें सफेद, हरे और लाल रंग की हॉरिजेंटल पट्टियां थीं, जो भारत के अल्पसंख्यक समूहों, हिंदू, मुस्लिम और सिख जैसे विभिन्न समुदायों का प्रतिनिधित्व करती थीं. ध्वज के मध्य में एक चरखा था, जो इन विशिष्ट भारतीय समुदायों को एकजुट करने वाले शांतिपूर्ण सद्भाव का प्रतीक था. चलता हुआ चरखा स्वतंत्रता की ओर भारत की प्रगति को भी दर्शाता था. हालांकि भारतीय कांग्रेस समिति ने इसे तब आधिकारिक ध्वज के रूप में नहीं अपनाया था.

1931: पिंगली वेंकैया द्वारा निर्मित इसी ध्वज में थोड़े-बहुत बदलाव किए गए थे. अब यह वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज से काफी मिलता-जुलता दिखता था. धर्म चक्र के स्थान पर पिंगली के दूसरे ध्वज-रूप में बीच में एक चलता हुआ चक्र अंकित था.

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

August 15, 2025, 13:09 IST

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