Last Updated:August 15, 2025, 15:11 IST
Anthem: 27 दिसंबर 1911 को पहली बार कोलकाता में गाया गया ‘जन गण मन’ आज भी हर भारतीय के दिल में गर्व और एकता की भावना जगाता है. इसके बोल रचे नोबेल विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने और धुन सजाई उनकी भांजी सरला द...और पढ़ें

नई दिल्ली ( Anthem). 15 अगस्त 2025 को देशभर में स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है. विदेश में बसे भारतीय भी इस खास अवसर पर गर्व महसूस कर रहे हैं. स्कूल-कॉलेज से लेकर घर और ऑफिस तक, हर जगह आजादी और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े रंगारंग कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. साथ ही सबकी जुबां पर राष्ट्रगान ‘जन गण मन’ भी छाया हुआ है. यह सिर्फ राष्ट्रगान नहीं है, बल्कि हर भारतीय के लिए देश के प्रति सम्मान प्रकट करने और गर्व महसूस करने का जरिया भी है.
27 दिसंबर 1911 का दिन भारतीय इतिहास में खास है. कोलकाता में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में पहली बार जो गीत गूंजा, वही आगे चलकर देश का राष्ट्रगान बना. रवींद्रनाथ टैगोर ने इसे बंगाली में ‘भारत भाग्य विधाता’ के नाम से लिखा और उनकी भांजी सरला देवी चौधरानी ने इसे स्वरबद्ध कर मंच से गाया. यह गीत भारत के अलग-अलग प्रांतों, नदियों, पहाड़ों और संस्कृतियों का उत्सव था. महात्मा गांधी ने भी इसे सुनकर इसकी सराहना की और इसे राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बताया.
हर जुबां पर छाया 52 सेकंड का गीत
24 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने ‘भारत भाग्य विधाता’ के पहले पद को राष्ट्रगान के रूप में अपनाया. इसे गाने में ठीक 52 सेकंड का वक्त लगता है. महात्मा गांधी ने ‘जन गण मन’ सुनकर इसकी काफी प्रशंसा की थी. उन्होंने इसे राष्ट्रीय एकता और प्रेरणा का प्रतीक माना. स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान ‘वंदे मातरम’ भी उतना ही लोकप्रिय था, लेकिन गांधीजी का मानना था कि ‘जन गण मन’ की भाषा और संदेश सभी प्रांतों के लिए समान रूप से स्वीकार्य है. यह गीत आजादी की भावना के साथ ही सांस्कृतिक एकजुटता का प्रतीक भी बना.
राष्ट्रगान बनने तक का सफर
1911 में रचना से लेकर 1950 में ऑफिशियल दर्जा मिलने तक ‘जन गण मन’ ने लंबा सफर तय किया. 1912 में यह गीत पहली बार टैगोर की पत्रिका Tatwabodhini Patrika में छपा. 1917 में गांधीजी ने एक सभा में इसकी तारीफ करते हुए इसे अपनाने की बात कही. आजादी के बाद, 15 अगस्त 1947 को लाल किले पर आयोजित कार्यक्रम में भी इसे गाया गया. आखिरकार 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा ने इसके पहले पद को भारत का राष्ट्रगान घोषित किया.
सरला देवी चौधरानी ने दिए सुर
रवींद्रनाथ टैगोर की बड़ी बहन स्वर्णकुमारी देवी की बेटी सरला देवी चौधरानी का राष्ट्रगान से खास रिश्ता है. उनके जिक्र के बगैर इस गान का इतिहास अधूरा है. सरला देवी चौधरानी संगीत में दक्ष होने के साथ-साथ स्वतंत्रता आंदोलन में भी सक्रिय थीं. उन्होंने न सिर्फ ‘जन गण मन’ को पहली बार सुर में बांधा, बल्कि देशभक्ति से ओत-प्रोत गीतों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए युवाओं को प्रेरित भी किया. उनकी प्रस्तुति से ‘जन गण मन’ को इमोशनल टच मिला. यह गान आज भी दिलों को छू जाता है.
100 साल बाद भी बरकरार है जोश
आज ‘जन गण मन’ सिर्फ एक गीत नहीं है, बल्कि हर भारतीय के दिल की धड़कन है. स्कूल असेंबली, खेल मुकाबलों, राष्ट्रीय पर्व और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जब इसकी धुन बजती है तो हर नागरिक गर्व से खड़ा हो जाता है. इसके बोल हमें याद दिलाते हैं कि भारत की ताकत उसकी विविधता और एकता में है. 100 साल बाद भी इसका संदेश उतना ही सुंदर और प्रासंगिक है, जितना 1911 में था- हम सब एक हैं और रहेंगे.
जन गण मन: 1911 से 1950 तक की टाइमलाइन
1911 – रचना और पहली प्रस्तुति
11 दिसंबर 1911 – रवींद्रनाथ टैगोर ने बंगाली भाषा में ‘भारत भाग्य विधाता’ शीर्षक से गीत लिखा.
27 दिसंबर 1911 – कोलकाता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में पहली बार सार्वजनिक रूप से गाया गया. प्रस्तुति सरला देवी चौधरानी ने की.
1912 – गीत पहली बार टैगोर की पत्रिका Tatwabodhini Patrika में प्रकाशित हुआ. इसके बोल और भाव देशभर में लोकप्रिय होने लगे.
1917 – महात्मा गांधी ने इस गीत की सराहना की और इसे राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बताया. स्वतंत्रता आंदोलन में कई जगह इस गीत को गाया जाने लगा.
1942 – भारत छोड़ो आंदोलन के समय यह गीत विरोध और एकजुटता के प्रतीक के रूप में गाया गया.
1947 – स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त 1947) के कार्यक्रम में इसे प्रमुख देशभक्ति गीत के रूप में गाया गया.
24 जनवरी 1950 – संविधान सभा ने ‘जन गण मन’ के पहले पद को भारत का आधिकारिक राष्ट्रगान घोषित किया. इसे गाने का समय 52 सेकंड तय किया गया.
Having an experience of 9 years, she loves to write on anything and everything related to lifestyle, entertainment and career. Currently, she is covering wide topics related to Education & Career but she also h...और पढ़ें
Having an experience of 9 years, she loves to write on anything and everything related to lifestyle, entertainment and career. Currently, she is covering wide topics related to Education & Career but she also h...
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First Published :
August 15, 2025, 15:11 IST