राजस्थान BJP राजनीति : अवसरवाद बनाम निष्ठा, कौन पड़ेगा भारी, किसकी आएगी बारी?

2 days ago

Last Updated:August 15, 2025, 15:59 IST

Rajasthan BJP Politics : राजस्थान बीजेपी में इन दिनों गंभीर चिंतन मनन चल रहा है. इसकी वजह है राजनीतिक नियुक्तियां और संगठन विस्तार की कवायद. इनमें किस को जगह दी जाए और किसी को नहीं. बीजेपी अपने और पराये को बैले...और पढ़ें

 अवसरवाद बनाम निष्ठा, कौन पड़ेगा भारी, किसकी आएगी बारी?राजनीतिक नियुक्तियों और संगठन में जगह बनाने के लिए नेता लॉबिंग करने में जुटे हैं.

जयपुर. राजस्थान में सत्तारुढ़ पार्टी में राजनीतिक नियुक्तियां और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ की नई टीम अभी चर्चा का विषय बनी हुई है. इसमें एक खास चर्चा इस बात की है कि दूसरे दलों से आए नेताओं को सत्ता और संगठन में जगह मिलेगी या नहीं. अगर मिलती है तो फिर पार्टी के कोर वर्कस का क्या होगा? अभी दोनों मुद्दे ऐसे हैं जिन पर सभी ने चुप्पी साध रखी है. लेकिन सबकी नजरें राजनीतिक और संगठन की नियुक्तियों पर टिकी है. पार्टी के सामने भी ‘अपने और पराये’ को बैलेंस करना बड़ी चुनौती बनी हुई है.

दरअसल नेताओं को लिए चुनाव एक ऐसा मौका होता है जिसके जरिए सत्ता तक जाया जा सकता है. दूसरा मौका वो होता है जब कोई पार्टी सत्ता में हो तो उसमें एंट्री करके संगठन और राजनैतिक नियुक्तियों में जगह बनाई जा सकती है. राजस्थान में भाजपा की सरकार है. विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस समेत अन्य दलों से बड़ी संख्या में नेताओं ने अपने समर्थकों के साथ में भाजपा ज्वाइन की थी. भाजपा में आए ऐसे दो तीन नेताओं को छोड़ दे तो अन्य सभी कभी कांग्रेस के बड़े चेहरे हुआ करते थे लेकिन वो अभी तक भाजपा में अपनी जगह नहीं बना पाए हैं.

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सत्ता में आए हुए डेढ़ साल से ज्यादा का समय हो गया है
अब भाजपा को सत्ता में आए हुए डेढ़ साल से ज्यादा का समय हो गया है. लेकिन फिर भी कांग्रेस समेत अन्य दलों से आए नेताओं को ना तो सत्ता में जगह मिल पाई है और ना ही संगठन में. भाजपा के सामने बड़ी दुविधा यह है कि वह अपने कोर वर्कर की अनदेखी कैसे करें. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ कह भी चुके हैं कि हमारे यहां एक परंपरा है. नीचले लेवल पर बूथ समिति का गठन होता है. उसके बाद मंडल समिति का गठन होता है. फिर जिले का चुनाव होता है और जिला समिति का गठन होता है. हम उसकी प्रक्रिया में हैं.

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टिकट देना एक अलग राजनीतिक समीकरण हो सकता है
राजनीतिक विश्लेषक विवेकानंद शर्मा बताते हैं कि चुनाव के समय दल बदल कर आने वाले नेताओं को टिकट देना एक अलग राजनीतिक समीकरण हो सकता है. वह उस नेता की स्थानीय लोकप्रियता के हिसाब से चुनाव के लिहाज से एक रणनीति मानी जा सकती है. लेकिन महज डेढ़ से दो साल पहले जिन नेताओं और कार्यकर्ताओं ने भाजपा का दामन थामा उन्हें निष्ठा साबित करने से पहले ही अगर प्रमुख दायित्व दिए जाते हैं तो पार्टी में आंतरिक विद्रोह देखने को मिल सकता है.

राजस्थान से दिल्ली तक दौड़ भाग चल रही है
राजनीतिक विश्लेषक मिथलेश जैमन कहते हैं कि अब ये नेता संगठन और राजनीतिक नियुक्तियों में अपनी जगह बनाने के लिए राजस्थान से दिल्ली तक दौड़ भाग कर रहे हैं. कई नेता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर अपनी लॉबिंग में जुटे है. इससे संगठन में लगातार निष्ठा के साथ काम करने वाले पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं में भी निराशा के साथ गुस्सा भी है. हालांकि वे खुले तौर पर नहीं लेकिन दबी जुबान में सवाल उठा रहे हैं कि उनकी निष्ठा में क्या कमी है. अब देखने वाली बात यह होगी कि पार्टी इसमें कैसे बैलेंस करती है?

Sandeep Rathore

संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.

संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.

Location :

Jaipur,Jaipur,Rajasthan

First Published :

August 15, 2025, 15:57 IST

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राजस्थान BJP राजनीति : अवसरवाद बनाम निष्ठा, कौन पड़ेगा भारी, किसकी आएगी बारी?

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