Last Updated:July 15, 2025, 05:01 IST
India Ultra Long-Range Strike Aircraft: भारत अब 12,000+ किमी रेंज वाले स्ट्रैटजिक बॉम्बर पर काम कर रहा है, जो अमेरिकी B-21 और रूसी TU-160 से प्रेरित है. यह इंटरकॉन्टिनेंटल पावर प्रोजेक्शन की दिशा में बड़ा कदम ह...और पढ़ें

भारत एक बेहद घातक स्ट्रैटजिक बॉम्बर डेवलप कर रहा है. (AI जेनरेटेड तस्वीर)
हाइलाइट्स
भारत 12,000 किमी रेंज वाले स्ट्रैटजिक बॉम्बर पर काम कर रहा हैयह बॉम्बर अमेरिकी B-21 और रूसी TU-160 से प्रेरित है2032-2035 के बीच इसका पहला प्रोटोटाइप उड़ सकता हैनई दिल्ली: भारत की रक्षा नीति में बड़ा बदलाव आने वाला है. अब तक डिफेंस टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता और रीजनल डॉमिनेशन तक सीमित भारतीय दृष्टिकोण अब इंटरकॉन्टिनेंटल पावर प्रोजेक्शन की ओर बढ़ रहा है. इस बदलाव का प्रतीक है भारतीय वायुसेना के लिए प्रस्तावित एक अल्ट्रा-लॉन्ग रेंज स्ट्रैटजिक बॉम्बर, जिसकी मारक क्षमता होगी 12000 किलोमीटर से अधिक. यानी यह भारत से उड़ान भरकर अमेरिका के किसी भी शहर को बिना रुकावट निशाना बना सकता है. यह केवल अनुमान नहीं, बल्कि एक उभरती हुई हकीकत है. यह रूसी TU-160 ‘ब्लैकजैक’ और अमेरिकी B-21 रेडर जैसे बॉम्बर्स से प्रेरित भारत का अगला बड़ा सैन्य दांव है.
क्यों जरूरत पड़ी ऐसे बॉम्बर की?
आज की दुनिया में लड़ाइयों का तरीका बदल गया है. अब युद्ध सिर्फ फ्रंटलाइन पर नहीं, बल्कि साइबर, स्पेस और लॉन्ग-रेंज एयरस्ट्राइक के जरिए लड़ा जा रहा है. चीन ने H-20 स्ट्रैटजिक बॉम्बर की दिशा में तेजी से प्रगति की है. अमेरिका लंबे समय से B-2 स्पिरिट और अब B-21 रेडर के जरिए दुनिया भर में पावर प्रोजेक्ट कर रहा है.
भारत की न्यूक्लियर ट्रायड पहले से ही मिसाइल और सबमरीन के जरिए सक्षम थी. लेकिन अब एक स्ट्रैटजिक एयरबॉर्न प्लेटफॉर्म, यानी ऐसा बॉम्बर जो किसी भी समय, किसी भी दूरी से, दुश्मन को सर्जिकल या न्यूक्लियर स्ट्राइक से तबाह कर सके. यह भारत के डिटरेंस को एक नया आयाम देगा.
रूसी TU-160 से प्रेरणा
रूस का TU-160 ‘ब्लैकजैक’ दुनिया का सबसे तेज और सबसे भारी सुपरसोनिक स्ट्रैटजिक बॉम्बर है. इसकी मारक रेंज 12,300 KM तक जाती है, और यह 40 टन तक हथियार ढो सकता है. भारतीय रक्षा विश्लेषकों और DRDO इंजीनियरों के बीच इसे ‘रीजनल मॉडल’ के रूप में समझा जा रहा है. जहां इसी तरह की डिजाइन, टेक्नोलॉजी और रेंज को भारत के भू-राजनीतिक लक्ष्य के अनुरूप ढाला जाए.
रूस का TU-160 दुनिया का सबसे तेज बॉम्बर है.
इस भारतीय बॉम्बर में भी वेरिएबल जियोमेट्री विंग्स यानी ‘स्विंग विंग’ डिजाइन हो सकता है, जो टेकऑफ के समय विस्तृत होते हैं और उड़ान के दौरान पीछे खिसक जाते हैं. इससे फ्यूल एफिशिएंसी और स्पीड में जबरदस्त सुधार होता है.
अमेरिकी B-21 रेडर से भी बड़ी रेंज
अमेरिका का B-21 रेडर अभी डेवलपमेंट स्टेज में है, लेकिन उसकी रेंज लगभग 9300 किमी बताई जाती है. भारत का प्रस्तावित बॉम्बर इससे भी लंबी रेंज का हो सकता है, जिससे यह सीधे अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के किसी भी हिस्से में ऑपरेट कर सकेगा.
B-21 रेडर को अमेरिकी एयरफोर्स के लिए Northrop Grumman नाम की कंपनी बना रही है.
स्टील्थ डिजाइन, रडार अवॉइडेंस, और ऑटोमेटेड नेविगेशन सिस्टम… यह सब इस बॉम्बर को विश्व स्तरीय बनाएंगे. इसके अलावा, इसे ब्रह्मोस-NG जैसी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से लैस करने की योजना भी है.
ब्रह्मोस-NG: हवा से गिरने वाली कयामत
इस बॉम्बर की सबसे खास बात होगी इसकी वेपन लोडिंग. मौजूदा प्लानिंग के मुताबिक इसमें ब्रह्मोस-NG को एक साथ चार यूनिट तक फिट किया जा सकता है. यानी 290-450 KM रेंज की सुपरसोनिक मिसाइलें, जो हवा से लॉन्च होकर दुश्मन के एयरबेस, राडार, कमांड सेंटर्स या न्यूक्लियर साइट्स को मिनटों में तबाह कर सकती हैं. इसके अलावा, इसमें अग्नि-1P जैसे शॉर्ट-रेंज बैलिस्टिक वेपन, लेजर गाइडेड बम और एंटी-रेडिएशन मिसाइल्स भी शामिल की जा सकती हैं.
टेक्नोलॉजी पार्टनर कौन?
इस महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट के लिए DRDO, HAL और ADA (एयरक्राफ्ट डेवलपमेंट एजेंसी) के साथ-साथ भारत सरकार कुछ विदेशी रक्षा कंपनियों के साथ टेक्नोलॉजी ट्रांसफर पर भी बातचीत कर रही है. रूस और फ्रांस इस सूची में सबसे ऊपर हैं. इस बॉम्बर के लिए विशेष टरबोफैन इंजन की जरूरत होगी, जिसे भारत GE-414 इंजन के संशोधित संस्करण या फिर रूस के NK-32 इंजन जैसी श्रेणी में विकसित कर सकता है.
सामरिक फायदे क्या होंगे?
Global Strike Capability: भारत अब केवल एशिया नहीं, बल्कि दुनिया के किसी भी कोने में स्ट्राइक कर सकेगा.
Second Strike Assurance: दुश्मन के पहले हमले के बाद भारत जवाबी हमला कर सकेगा, जो न्यूक्लियर डिटरेंस का मूल है.
Force Projection: इंडो-पैसिफिक में अमेरिका, चीन और रूस के बीच संतुलन बनाने के लिए भारत के पास एयरबोर्न सुपरपॉवर होगा.
पूरी दुनिया को चौंका देगा भारत का बॉम्बर एयरक्राफ्ट (AI Image)
चुपचाप चल रही तैयारी
रक्षा मंत्रालय और एयरफोर्स ने इस प्रोजेक्ट को ‘Ultra Long-Range Strike Aircraft’ या ULRA का नाम दिया है. अभी यह कॉन्सेप्ट और डिजाइन फेज में है, लेकिन इनिशियल रिसर्च और डमी मॉडल्स पर काम शुरू हो चुका है. माना जा रहा है कि 2032-2035 के बीच इसका पहला प्रोटोटाइप उड़ सकता है.
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें
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New Delhi,Delhi