Last Updated:August 09, 2025, 08:33 IST
Agni-2 Missile History: भारत ने 9 अगस्त 2012 को अग्नि-2 का सफल परीक्षण किया. यह मिसाइल परमाणु हमले में सक्षम है. 2500 किमी मारक क्षमता वाली मिसाइल दुश्मनों में खौफ मचाने के लिए काफी है. यह भारत की सैन्य ताकत का...और पढ़ें

Agni-2 Missile History: 9 अगस्त 2012… यह तारीख भारत के रक्षा इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है. इसी दिन भारतीय सेना ने अपनी सामरिक क्षमता में बड़ी छलांग लगाते हुए परमाणु हमला करने में सक्षम मध्यम दूरी की बैलेस्टिक मिसाइल ‘अग्नि-2’ का सफल परीक्षण किया था. करीब ₹125 करोड़ रुपए की लागत से तैयार यह मिसाइल 2500 किलोमीटर तक दुश्मन को निशाना बनाने की क्षमता रखती है. यह परीक्षण न सिर्फ तकनीकी उपलब्धि था बल्कि भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और क्षेत्रीय संतुलन को बनाए रखने की मजबूत घोषणा भी थी.
यह ऐतिहासिक परीक्षण ओडिशा के तट पर स्थित व्हीलर द्वीप (अब डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप) से किया गया था. इस लॉन्च ने दुनिया को दिखा दिया कि भारत न केवल अपनी रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भर है. बल्कि किसी भी चुनौती का जवाब देने में सक्षम भी है.
तकनीकी खूबियां जो बनाती हैं इसे खास
करीब 20 मीटर लंबी और 17 टन वजनी अग्नि-2 में अत्याधुनिक इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (INS) और GPS-आधारित गाइेडेड सिस्टम लगी है. जिससे यह अपने लक्ष्य को सटीकता से भेद सकती है.
इसकी मोबाइल लॉन्चिंग क्षमता इसे बेहद सटीक बनाती है. इससे यह देश के अलग-अलग इलाकों में तुरंत तैनात की जा सकती है.
2012 का सफल परीक्षण
9 अगस्त 2012 को जब अग्नि-2 का परीक्षण किया गया तो यह पूरी तरह सफल रहा. मिसाइल ने अपने लक्ष्य को सटीकता से साधा, जिसकी पुष्टि रडार और टेलीमेट्री स्टेशनों ने की. यह परीक्षण भारतीय सेना की ऑपरेशनल रेडीनेस की जांच के तहत किया गया था. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक इस परीक्षण ने यह साबित किया कि भारत की मिसाइल तकनीक और सैन्य क्षमता लगातार मजबूत हो रही है. यह किसी भी संभावित खतरे का मुकाबला करने में सक्षम है.
रणनीतिक महत्व और पड़ोसी देशों पर संदेश
अग्नि-2 का महत्व केवल इसकी तकनीकी क्षमता में नहीं बल्कि इसके रणनीतिक संदेश में भी है. 2500 किलोमीटर की रेंज का मतलब है कि यह पाकिस्तान के लगभग हर हिस्से और चीन के भी कई सामरिक ठिकानों तक पहुंच सकती है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मिसाइल न केवल एक शानदार हथियार है बल्कि यह भारत की ‘नो फर्स्ट यूज’ नीति को मजबूती देती है. इसके होने से दुश्मन देशों को किसी भी आक्रामक कदम से पहले कई बार सोचना पड़ता है.
तकनीक में आत्मनिर्भर भारत
अग्नि-2 की सफलता इस बात का भी प्रतीक है कि भारत अपनी रक्षा तकनीक में तेजी से आत्मनिर्भर हो रहा है. इसकी पूरी डिजाइन और विकास प्रक्रिया DRDO और भारतीय उद्योगों द्वारा देश में ही की गई है. यह न केवल विदेशी निर्भरता को कम करता है, बल्कि भारत की रक्षा तकनीक को निर्यातक बनने की दिशा में भी आगे बढ़ाता है.
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Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें
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First Published :
August 09, 2025, 03:30 IST