Last Updated:July 17, 2025, 04:48 IST
Akash Prime Air Defence System: ऑपरेशन सिंदूर के बाद आकाश मिसाइल की मांग बढ़ना लाजमी है. आर्मेनिया ने भारत से आकाश मिसाइल सिस्टम पहले ही खरीद कर चुका है. भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने आर्मेनिया को आकाश ...और पढ़ें

आकाश प्राइम का सफल परिक्षण
हाइलाइट्स
आकाश प्राइम का लद्दाख में सफल परीक्षण हुआ.आकाश प्राइम 30 किमी तक एरियल अटैक को रोक सकता है.आर्मेनिया ने भारत से आकाश मिसाइल सिस्टम खरीदा.Akash Prime Air Defence System: भारत के स्वदेशी हथियारों ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी ताकत का लोहा मनवा लिया है. भारतीय सेना के एयर डिफेंस की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है. अब कई देश भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने के इच्छुक हैं. इस हथियार में सबसे पहले नंबर पर है आकाश सर्फेस टू एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम. इसकी ताकत में और इजाफा हो रहा है, आकाश का नया अवतार यूजर ट्रायल में सभी मानकों पर खरा उतरा है. आकाश का एडवांस वर्जन आकाश प्राइम को लद्दाख में 15,000 फीट की ऊंचाई पर टेस्ट किया गया, जो सभी मानकों पर सफल रहा. ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना लगातार अपने हथियारों को अपग्रेड कर रही है.
सेना में शामिल होने से पहले के ट्रायल
DRDO नई तकनीक को इजाद कर भारतीय इंडस्ट्री को उत्पादन के लिए सौंपता है. सबसे पहले DRDO अपने ट्रायल को अंजाम देता है. यह ट्रायल हाई एल्टिट्यूड, प्लेन और तटीय इलाकों में किए जाते हैं. एक बार ट्रायल सफल होने के बाद शुरू होते हैं यूजर ट्रायल. फिलहाल भारतीय थलसेना आकाश प्राइम के ट्रायल को अंजाम दे रही है. इसी कड़ी में लद्दाख में DRDO, आर्मी और इंडस्ट्री के अधिकारियों के सामने ट्रायल को अंजाम दिया गया. आकाश प्राइम की मिसाइलों ने दो फास्ट मूविंग एरियल टार्गेट को डायरेक्ट हिट किया. हाई एल्टिट्यूड इलाके में लगातार बदलते मौसम में सटीक निशाना साधना किसी चुनौती से कम नहीं होता. ट्रायल के दौरान सभी चुनौतियों से पार पाया गया.
मौजूदा आकाश से बेहतर है प्राइम
आकाश प्राइम में स्वदेशी एक्टिव रेडियो फ्रीक्वेंसी सीकर से लैस किया गया है, जो इसे 360 डिग्री की एंगेजमेंट कैपेबिलिटी और सटीकता देता है. इसकी रेंज मौजूदा आकाश से बेहतर है और इसे खास तौर पर हाई एल्टिट्यूड और कम तापमान वाले इलाके के लिए तैयार किया गया है. प्राइम 30 किलोमीटर के दायरे में आने वाले हर एरियल अटैक को आसानी से एंगेज कर सकेगा. आकाश प्राइम का पहला ट्रायल 27 सितंबर 2021 को चांदिपुर के इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज पर किया गया था. मौजूदा आकाश की रेंज 25 किलोमीटर है और यह 2.5 मैक की रफ्तार से टार्गेट की ओर बढ़ती है.
प्राइम के बाद आकाश NG की बारी है
आकाश पूरी तरह से स्वदेशी एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम है. इसे भारतीय वायुसेना और थल सेना में शामिल किया गया है. DRDO ने इसे विकसित किया है. यह एक मीडियम रेंज एयर डिफेंस सिस्टम है जिसकी मारक क्षमता 25 से 45 किलोमीटर है. यह सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है जिससे किसी भी फाइटर, क्रूज मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइल को आसानी से निशाना बनाया जा सकता है. अब इसका नेक्स्ट जेनरेशन यानी आकाश NG भी तैयार है. इसकी मारक क्षमता 70 से 80 किलोमीटर है. इसका रडार 150 किलोमीटर दूर से ही एक साथ 60 से ज्यादा हवाई टार्गेट को पिक कर सकता है और टार्गेट को किल जोन तक ट्रैक कर उसे नष्ट कर सकता है. भारतीय थलसेना और वायुसेना के पास आकाश के यह सिस्टम मौजूद हैं.