Last Updated:August 15, 2025, 11:46 IST
Jhunjhunu News : वीर भूमि झुंझुनूं के जय पहाड़ी गांव के चाचा भतीजे मोज़ुद्दीन और फजल अली की कहानी सुनकर आपकी आंखे नम हो जाएंगी. आजादी के दीवाने इन चाचा भतीजा ने जंग-ए-आजादी में शामिल होने से पहले ऐसा काम कर डाल...और पढ़ें

झुंझुनूं. वतन की आजादी से लेकर सरहद की हिफाजत तक में झुंझुनूं जिले के रणबांकुरों ने हमेशा से ही अहम किरदार निभाया है. 1857 की पहली जंग-ए-आजादी से लेकर मुल्क की आजादी और उसके बाद भी झुंझुनूं के वीर सपूतों ने अपनी जान की परवाह किए बगैर मातृभूमि की निगहबानी में अपनी जान कुर्बान की है. पहली जंग-ए-आज़ादी में मुल्क के लिए अपनी कुर्बानी देने वाले झुंझुनूं के दो जांबाजों की खाली कब्रें आज भी अंग्रेजों के खिलाफ किए गए संघर्ष की गवाही देती हैं. ये हर आने-जाने वाले को देश भक्ति का पैगाम देती हैं.
मुल्क आजादी की 79वीं सालगिरह मना रहा है. इस सालगिरह के पीछे न जाने कितने जांबाजों की शहादत है. ऐसी ही शहादत पहली जंग-ए-आजादी में दी थी झुंझुनूं के दो रणबांकुरों ने. ये हैं झुंझुनूं के जयपहाड़ी गांव के फजल अली और मोज़ुद्दीन. 1857 की क्रांति में हिस्सा लेने से पहले उन्होंने गांव में अपने लिए दो कब्रें तैयार करवाईं और फिर अंग्रेजों के खिलाफ जंग लड़ने दिल्ली रवाना हो गए.
कुर्बानियों की कई कहानियां समेटे हुए है यह गांव
झुंझुनूं का जयपहाड़ी गांव अपने अंदर जांबाजों की कुर्बानियों की कई कहानियां समेटे हुए है. यहां के नौजवान वीरता की इन कहानियों से न सिर्फ देशभक्ति का जज्बा पाते हैं, बल्कि फौज में शामिल होकर वतन की हिफाजत करने का हौसला भी हासिल करते हैं. जयपहाड़ी के लायक अली बताते हैं कि उनके गांव के फजल अली और मोज़ुद्दीन ने अपनी शहादत देकर 1857 के संग्राम को अंग्रेजों के खिलाफ आगे बढ़ाया. पहली जंग-ए-आजादी से लेकर कारगिल जंग तक यहां के वीर सपूतों ने अपनी बहादुरी का लोहा मनवाया है.
जिले में सबसे ज्यादा फौजी जयपहाड़ी और कालीपहाड़ी गांव से हैं
स्वतंत्रता सेनानी बलवंत सिंह और श्योदान सिंह ने भी मुल्क की आजादी के लिए जंग लड़ी. इस मिट्टी का जर्रा-जर्रा वफादारी और कुर्बानी की मिसाल है. शायद इसी वजह से आज भी जिले में सबसे ज्यादा फौजी जयपहाड़ी और कालीपहाड़ी गांव से हैं. वे मौजूदा वक्त में भी सरहद पर मुल्क की हिफाजत कर रहे हैं. यहां के वीर जवानों ने सुभाष चंद्र बोस से लेकर महात्मा गांधी तक हर मोर्चे पर कंधे से कंधा मिलाकर जंग-ए-आजादी में शिरकत की. इन जांबाजों की बहादुरी और कुर्बानियां हमेशा आने वाली पीढ़ियों को वतन-परस्ती का पैगाम देती रहेंगी.
संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.
संदीप ने 2000 में भास्कर सुमूह से पत्रकारिता की शुरुआत की. कोटा और भीलवाड़ा में राजस्थान पत्रिका के रेजीडेंट एडिटर भी रह चुके हैं. 2017 से News18 से जुड़े हैं.
Location :
Jhunjhunu,Jhunjhunu,Rajasthan
First Published :
August 15, 2025, 11:45 IST