कैनबेरा1 मिनट पहले
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81 साल की उम्र में जब हैरीसन आखिरी बार ब्लड डोनेट करने पहुंचे, तो कई मांएं अपने बच्चों को लेकर उन्हें शुक्रिया कहने पहुंचीं।
ऑस्ट्रेलिया के जेम्स हैरीसन का 88 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने 17 फरवरी को न्यू साउथ वेल्स के एक नर्सिंग होम में आखिरी सांस ली। गोल्डन आर्म के नाम से मशहूर जेम्स ने अपनी जिंदगी में 1173 बार ब्लड डोनेट करके 24 लाख बच्चों की जान बचाई।
उनके ब्लड प्लाज्मा में एक रेयर एंटीबॉडी थी। इससे रीसस (Rhesus) नाम की बीमारी से प्रभावित प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए एंटी-D नाम के इंजेक्शन बनाए जाते थे, जिससे उनका अपना खून उनके अजन्मे बच्चे पर हमला न करे। उन्होंने जिंदगी के 60 साल तक हर हफ्ते ब्लड डोनेट किया।
18 साल की उम्र से ब्लड डोनेट करना शुरू किया
जेम्स जब 14 साल के थे, तब उनका सीने का ऑपरेशन हुआ था। इसके लिए उन्हें 13 यूनिट खून चढ़ाया गया। इस बात ने उन्हें खुद भी ब्लड डोनेट करने के लिए प्रेरित किया।
जेम्स ने 1954 में 18 साल की उम्र में ब्लड डोनेट करना शुरू किया। वे करीब 60 साल ब्लड डोनेट करते रहे। आखिरी बार उन्होंने 81 साल की उम्र में ब्लड डोनेट किया था।
आखिरी बार उन्होंने 81 साल की उम्र में ब्लड डोनेट किया था। तब उन्होंने कहा था कि आज मैं उदास हूं। एक लंबे सफर का आज अंत हो रहा है।

जेम्स के खून में कौन सी एंटीबॉडी थी?
जेम्स के खून में एंटी-D इम्युनोग्लोबुलिन (एंटी-D) एंटीबॉडी थी। ये मां के खून में ऐसे एंटीबॉडी बनने से रोकता है, जो गर्भ में उसके बच्चे को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसे मां की ऊपरी बाजू की मांसपेशी या नस में इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है।
एंटी-D का इंजेक्शन न लगे तो मिसकैरेज हो सकता है
जब Rh नेगेटिव ब्लड टाइप वाली प्रेग्नेंट महिला का अजन्मा बच्चा Rh पॉजिटिव ब्लड टाइप का होता है, तो महिला की बॉडी बच्चे की लाल रक्त कोशिकाओं को किसी बैक्टीरिया या वायरस जैसे खतरे की तरह देखती है और इस खतरे से निपटने के लिए एंटीबॉडी बनाती है। इसका प्रभाव खतरनाक हो सकता है। इसके चलते मिसकैरेज, अजीवित बच्चा पैदा होना, बच्चे का ब्रेन डैमेज या नवजात में अनीमिया हो सकता है।