4 के चक्रव्यूह में फंसेंगे नीतीश-तेजस्वी, PK और लांडे के बाद अब गुप्ता का उदय

6 hours ago

Last Updated:April 16, 2025, 09:09 IST

Bihar Chunav: बिहार राजनीतिक रूप से कितना उर्वर है, यह साल भर में बनी चार राजनीतिक पार्टियों से समझा जा सकता है. जेडीयू और भाजपा से अलग होकर पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने आप सबकी आवाज नाम की पार्टी बनाई ...और पढ़ें

4 के चक्रव्यूह में फंसेंगे नीतीश-तेजस्वी, PK और लांडे के बाद अब गुप्ता का उदय

बिहार में चुनाव से पहले चार पार्टियाों का उदय हुआ है.

हाइलाइट्स

बिहार में चार राजनीतिक दलों का उदयसबके निशाने पर हैं नीतीश और तेजस्वीअसेंबली इलेक्शन में दिखेगी सबकी ताकत

बिहार विधानसभा चुनाव का समय ज्यों-ज्यों करीब आ रहा है, सूबे में सियासी रंग बदलता दिख रहा है. चुनाव में करीब 6 महीने शेष रह गए हैं. अब तक अकेले-अकेले चल रहीं महागठबंधन में शामिल पार्टियां भी अब साझा प्रचार की तैयारी करने लगी हैं. आरजेडी नेता और बिहार के पूर्व डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की. बकौल तेजस्वी बैठक सार्थक और सकारात्मक रही. चुनावी तैयारियों के मद्देनजर महागठबंधन के घटक दलों की बैठक गुरुवार को पटना में होने वाली है. इस बीच अखिल भारतीय पान महासंघ के बैनर तले ततवा-तांती समाज की पटना में हुई रैली और उसमें नई पार्टी के ऐलान से सत्ता पक्ष और विपक्ष के कान खड़े हो गए हैं.

4 नए राजनीतिक दल
बीते साल भर में बिहार में चार नए राजनीतिक दलों का उदय हुआ है. कभी नीतीश कुमार के काफी करीब रहे आरसीपी सिंह अब अलग हैं. उन्होंने जेडीयू छोड़ने के बाद भाजपा ज्वाइन कर ली थी, लेकिन लोकसभा चुनाव में टिकट से वंचित रहने और हाशिए पर चले जाने के कारण उन्होंने आप सबकी आवाज नाम की पार्टी बना ली है. उन्होंने विधानसभा की सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की घोषणा पहले ही कर दी है. आरसीपी के बाद 2 अक्टूबर 2024 को चुनावी रणनीतिकार से राजनीति बने प्रशांत किशोर ने जन सुराज नाम से राजनीतिक पार्टी की घोषणा की. उनकी तैयारी भी सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की है. भारतीय पुलिस सेवा से स्वैच्छिक अवकाश लेकर शिवदीप लांडे ने इसी महीने अपनी पार्टी हिन्द सेना की घोषणा की है. अब एक और पार्टी ने जन्म लिया है.

Former IPS officer Shivdeep Lande addresses a press conference during the launch of his political party

पूर्व आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे ने पिछले दिनों अपनी पार्टी लॉन्च की.

पान समाज की नई पार्टी
अखिल भारतीय पान महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ई. आईपी गुप्ता ने ‘इंडियन इंकलाब पार्टी’ की घोषणा की है. पटना के गांधी मैदान में बड़े जमावड़े के बीच आईपी गुप्ता ने नई पार्टी की घोषणा की. उनका कहना है कि ततवा-तांती समाज के साथ अन्याय हुआ है. अनुसूचित जाति से ततवा-तांती को सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बाहर कर दिया गया है. अपनी राजनीतिक पार्टी बना कर उन्होंने हक हासिल करने का संकल्प दोहराया है. प्रसंगवश यह जिक्र जरूरी है कि सीएम नीतीश कुमार ने ततवा-तांती को अनुसूचित जाति में शामिल किया था. इस आधार पर आरक्षण पाकर बड़े पैमाने पर इस समाज के लोगों को नौकरियां भी मिलीं. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया. हालांकि किसी की नौकरी नहीं गई. उन्हें राज्य सरकार ने ईबीसी कोटे की नौकरियों में एडजस्ट कर लिया था. अब ततवा-तांती समाज अनुसूचित जाति का दर्जा पाने के लिए एकजुट हुआ है और इसी क्रम में नई पार्टी बनाने की घोषणा हुई है. ईबीसी की कुल आबादी में करीब ढाई प्रतिशत आबादी ततवा-तांती समाज की है.

PK की पार्टी जन सुराज
प्रशांत किशोर ने 6 महीना पहले ही अपनी जन सुराज पार्टी का ऐलान किया था. जन सुराज ने विधानसभा की चार सीटों और एमएलसी की एक सीट पर उपचुनाव भी लड़ा. कामयाबी तो नहीं मिल पाई, लेकिन विधानसभा सीटों पर जन सुराज को 10 फीसद वोट मिले. एमएलसी उपचुनाव में तो जन सुराज दूसरे नंबर पर रही. प्रशांत किशोर के निशाने पर शुरू से ही नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव रहे हैं. प्रशांत का आरोप है कि बीते 35 साल में बिहार की स्थिति नीतीश और तेजस्वी के माता-पिता के राज में बद से बदतर होती गई है. जन सुराज भी विधानसभा की सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी में हैं.

Bihar Election 4 New Parties Rise Challenges Nitish kumar Tejashwi yadav

आरसीपी की पार्टी ASA
भारतीय प्रशासनिक सेवा से राजनीति में आए आरसीपी सिंह नीतीश कुमार की पहल पर पहले जेडीयू का हिस्सा बने. जेडीयू में वे राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाए गए. नीतीश ने उन्हें राज्यसभा भेजा तो उनकी मर्जी के खिलाफ वे केंद्र में मंत्री बन गए. दोनों एक ही जाति के हैं और एक ही जिले के रहने वाले भी. दोनों के बीच रिश्तों में ऐसी खटास पैदा हुई कि आरसीपी को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. उसके बाद आरसीपी ने भाजपा को अपना नया सियासी ठिकाना बनाया. पर, भाजपा ने उन्हें लोकसभा का टिकट नहीं दिया. इतना ही नहीं, पार्टी में वे किनारे कर दिए गए. इससे नाराज होकर उन्होंने आप सबकी आवाज (ASA) नाम से नई पार्टी बना ली. उनके निशाने पर भी नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ही हैं.

निशाने पर नीतीश-तेजस्वी
जिन चार नई पार्टियों का पिछले साल भर में जन्म हुआ है, उन सबका एक ही मकसद है कि तेजस्वी को सरकार बनाने से रोका जाए और नीतीश कुमार को सत्ता से बेदखल किया जाए. यानी दोनों के जातीय समीकरण वाले वोट बिखर सकते हैं. ततवा-तांती समाज के वोट ज्यादातर नीतीश कुमार की पार्टी ज-डीयू को ही मिलते रहे हैं. नीतीश कुमार ने ही उन्हें अनुसूचित जाति में शामिल किया था. यह अलग बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश के फैसले को खारिज कर दिया. सीधे तौर पर दोष नीतीश कुमार का नहीं है, लेकिन पान महासंघ का मानना है कि अपना राजनीतिक वजूद होने पर ही अपनी बात दबंगता से मनवाई जा सकती है. यानी इस तबके का अलग होना नीतीश कुमार के लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है.

First Published :

April 16, 2025, 09:09 IST

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