Last Updated:May 14, 2025, 19:45 IST
Boycott Turkey: भारत में इस वक्त तुर्की विरोधी माहौल तेजी से पनम रहा है, लोग तुर्की का सामान बायकॉट करने की बातें कर रहे हैं. इसी बीच जेएनयू ने तुर्की की इनोनु यूनिवर्सिटी के साथ एमओयू सस्पेंड कर दिया है. तुर...और पढ़ें

तुर्की के खिलाफ देश में काफी नाराजगी है. (News18)
हाइलाइट्स
जेएनयू ने तुर्की की यूनिवर्सिटी के साथ एमओयू सस्पेंड किया.तुर्की के पाकिस्तान समर्थन के चलते यह कदम उठाया गया.जेएनयू ने नेशन फर्स्ट में यह निर्णय लिया.Boycott Turkey: भारत से जंग के दौरान तुर्की ने विश्वासघात करते हुए सीधे तौर पर पाकिस्तान की मदद की. ऐसे में एजुकेशन के क्षेत्र में भारत की तरफ से भी तुर्की के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया गया है. जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी यानी जेएनयू ने राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनजर तुर्की की इनोनु यूनिवर्सिटी के साथ अपने करार को रद्द कर दिया है. जेएनयू और तुर्की की इस यूनिवर्सिर्टी के बीच समझौता ज्ञापन यानी MOU को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है. जेएनयू ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर इसकी घोषणा की. बताया गया कि राष्ट्रीय सुरक्षा के विचारों के कारण जेएनयू और तुर्की की इनोनु यूनिवर्सिटी के बीच एमओयू को अगले आदेश तक सस्पेंड किया जाता है. जेएनयू राष्ट्र के साथ खड़ा है.
जेएनयू की तरफ से जारी किए गए पोस्ट में नेशन फर्स्ट का टैग भी जोड़ा गया है. इसके साथ-साथ पोस्ट में भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर और शिक्षा मंत्रालय को भी इस एक्स पोस्ट के साथ टैग किया गया है. यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. हाल ही में भारत-पाक सीमा पर ड्रोन हमलों और गोलीबारी की घटनाओं ने दोनों देशों के रिश्तों को और तल्ख कर दिया है.
Due to Security considerations, the MoU between JNU and Inonu University, Türkiye stands suspended until further notice.
JNU stands with the Nation. #NationFirst @rashtrapatibhvn @VPIndia @narendramodi @PMOIndia @AmitShah @DrSJaishankar @MEAIndia @EduMinOfIndia
— Jawaharlal Nehru University (JNU) (@JNU_official_50) May 14, 2025
तुर्की से क्यों नाराज हैं भारतीय?
तुर्की का पाकिस्तान के प्रति खुला समर्थन और कश्मीर मुद्दे पर भारत विरोधी रुख जगजाहिर है. भारत से युद्ध की आशंका के बीच पाकिस्तान के एयरपोर्ट पर तुर्की से आए मिलिट्री प्लेन्स को देखा गया. जिसके बाद यह कयास लगाए गए कि तुर्की भारत के खिलाफ पाकिस्तान की सैन्य मदद कर रहा है. हालांकि तुर्की की तरफ से जारी औपचारिक बयान में इसका खंडन किया गया था. जेएनयू की कुलपति प्रो. संतिश्री डी. पंडित ने तुर्की की यूनिवर्सिटी के करार को निलंबित करने के कदम का समर्थन करते हुए कहा कि राष्ट्रीय हित सर्वोपरि हैं.
फरवरी 2028 तक था JNU का करारा
यह एमओयू 3 फरवरी 2025 को तीन साल के लिए साइन किया गया था. इस करार की वैधता 2 फरवरी 2028 तक थी. हालांकि भारत में तुर्की और अजरबैजान के खिलाफ बढ़ते असंतोष के बाद यह कदम उठाया गया. उद्योगपति हर्ष गोयनका और कई ट्रैवल कंपनियों द्वारा इन देशों के बॉयकॉट का ऐलान किया गया है. जेएनयू के इस कदम को सोशल मीडिया पर समर्थन मिला है.
दोनों यूनिवर्सिटी में किस बात का था करार?
जेएनयूऔर तुर्की की इनोनु यूनिवर्सिटी के बीच 3 मुख्य रूप से फैकल्टी और स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम को लेकर करार हुआ था, जिसके तहत दोनों संस्थानों के टीचर्स और स्टूडेंट्स एक-दूसरे के यहां जाकर पढ़ाई और रिसर्च कर सकते थे. साथ ही, यह करार क्रॉस-कल्चरल रिसर्च और अकैडमिक सहयोग को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित था. इसमें दोनों यूनिवर्सिटी द्वारा ज्वाइंट रूप से शोध करना, सेमिनार और कार्यशालाओं का आयोजन भी शामिल था तकिदोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और शैक्षिक समझ बढ़ सके.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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