Last Updated:July 09, 2025, 20:05 IST
NAVY SUPPORT VESSEL: आईएनएस विक्रांत के नौसेना में शामिल होने के ठीक 20 दिन बाद भारत ने दो ऐसे डाइविंग सपोर्ट वेसल को भी लॉन्च किया था. विशाखापत्तनम में एक कार्यक्रम में नौसेना की परंपरा के तौर पर नौसेना प्रमुख...और पढ़ें

पहला स्वदेशी डयविंग सपोर्ट वेसेल नौसेना को हैंडओवर
हाइलाइट्स
आईएनएस निस्तर 8 जुलाई को नौसेना को सौंपा गया.निस्तर सबमरीन रेस्क्यू ऑपरेशन में गेमचेंजर साबित होगा.नौसेना की डीप वाटर ऑपरेशन क्षमता बढ़ेगी.NAVY SUPPORT VESSEL: भारतीय नौसेना के पास फिलहाल कोई डाइविंग सपोर्ट वेसल नहीं है. इस कमी को पूरा करने के लिए नौसेना ने दो डाइविंग सपोर्ट वेसल लेने का फैसला किया. एक का नाम रखा गया निस्तर और दूसरे का नाम निपुण. 8 जुलाई को पहला डाइविंग सपोर्ट वेसल निस्तर नौसेना को सौंपा गया. यह देश का पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल है जो कि सबमरीन ऑपरेशन के दौरान गेमचेंजर साबित होगा. नौसेना के प्रवक्ता कैप्टन विवेक मधवाल ने बताया कि विशाखापट्टनम में इस डाइविंग सपोर्ट वेसल को नौसेना को सौंपा गया. निस्तर नाम संस्कृत शब्द से लिया गया है, जिसका मतलब होता है मुक्ति या उद्धार. खास बात यह है कि दुनिया के कुछ ही देशों के पास इस तरह के स्पेशल सबमरीन रेस्क्यू सपोर्ट वेसल मौजूद हैं. इस सपोर्ट वेसल का नाम डिकमीशन हो चुके INS निस्तर पर रखा गया है जिसने 1971 की भारत-पाकिस्तान जंग में पाकिस्तान की सबमरीन PNS गाजी को ढूढने के लिए डायविंग ऑपरेशन को अंजाम दिया था.
कोविड के चलते प्रोजेक्ट में देरी
निस्तर क्लास प्रोजेक्ट के तहत कुल 2 डाइविंग सपोर्ट वेसल तैयार किए जाने थे. भारत की हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड के साथ नौसेना ने साल 2018 में डील साइन की थी. डील साइन होने के 36 महीने के भीतर इन दोनों वेसल को नौसेना को सौंपना था. लेकिन कोविड के चलते इसमें देरी हुई. मई 2024 में इस शिप को समुद्री ट्रायल के लिए उतारा गया था. इसका प्राइमरी रोल है कि यह वेसल किसी भी पनडुब्बी आपातकाल के दौरान गहराई में जाकर रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम देगा. यह शिप 118 मीटर लंबा है और इसका वजन लगभग 10,000 टन है. इसमें आधुनिक डाइविंग उपकरण लगे हुए हैं. यह जहाज 80% मेड इन इंडिया है. यह 18 नॉटिकल मील प्रति घंटे की रफ्तार से समुद्र में मूव कर सकता है.
कैसे करेगा सबमरीन रेस्क्यू ऑपरेशन को सपोर्ट?
इससे डीप वॉटर ऑपरेशन में भारतीय नौसेना की ताकत को जबरदस्त तरीके से बढ़ाने वाले हैं. अब अगर इन दोनों वेसल की जरूरत पर नजर डालें तो कभी समुद्र में सबमरीन में किसी भी तरह की कोई दिक्कत होती है या वह डूब जाती है और ऐसी स्थिति में उस सबमरीन में फंसे नौसेनिकों के रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया जाना होता है तो ये वेसल काम आएगी. इन वेसल के जरिए डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल यानी DSRV को ले जाया जाएगा और उन्हें गहरे समुद्र में गोता लगाकर सबमरीन से रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया जाएगा. चूंकि इस वेसल पर हेलिकॉप्टर ऑपरेशन को भी अंजाम दिया जाएगा ताकि रेस्क्यू किए गए लोगों को बेहतर चिकित्सा के लिए किनारे तक लाया जा सके. फिलहाल अभी ऐसे किसी भी ऑपरेशन के लिए ओएनजीसी से मदद ली जाती है. इनके नौसेना में शामिल होने के बाद भारतीय नौसेना की डीप वाटर ऑपरेशन क्षमता को कई गुना बढ़ा देगा.