Why did Trump meet Putin: मॉस्को से लगभग 7000 किलोमीटर दूर अलास्का के एंकोरेज में दो 'दिग्गजों' की मुलाकात पर पूरी दुनिया की नजर थी. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच तकरीबन 3 घंटे तक मीटिंग चली. इस मीटिंग का मेन एजेंडा रूस-यूक्रेन में लंबे समय से चल रही जंग को रुकवाना था. लेकिन इसी पर सहमति नहीं बनी या ये कह सकते हैं कि इस पर कोई ठोस नतीजा नहीं निकला. तो क्या इस मुलाकात को 'फेल' करार दिया जाए? फिलहाल नहीं. इस मुलाकात से ट्रंप को भले ही कुछ न हासिल हुआ हो, लेकिन पुतिन को काफी कुछ मिल गया, जिसे वो पाना चाह रहे थे.
ICC ने क्यों जारी किया पुतिन के खिलाफ वारंट?
सबसे पहले तो ये समझें कि ट्रंप के सामने ऐसी क्या मजबूरी थी कि वे पुतिन से मिलने को मजबूर हुए या उन्होंने जानबूझकर ये रिस्क लिया? अब जियोपॉलिटिक्स बदल गई है. मौजूदा वक्त में अमेरिका को रूस और चीन ही बड़ा खतरा लगता है. जिनपिंग से ट्रंप की मुलाकात हो चुकी है. अब वे पुतिन से भी मिल लिए. 17 मार्च 2023 को पुतिन के खिलाफ इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) में युद्ध अपराधों के आरोप में गिरफ्तारी का वारंट जारी कर दिया गया. इस केस के अलावा जी-7 जैसे ग्रुप से रूस को पहले ही बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. इन सबके बावजूद ट्रंप पुतिन से मिलने को बेकरार नजर आए.
अकेले पड़ गए थे पुतिन, G-7 ग्रुप से क्यों हुए बाहर?
यूक्रेन पर हमले के बाद से रूस को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में बड़े पैमाने पर अलगाव का सामना करना पड़ रहा है. पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. इसका मॉस्को की अर्थव्यवस्था पर सीधा और गहरा असर पड़ा. ICC में पुतिन के खिलाफ केस और जी-7 से बाहर होना रूस के लिए दोहरे झटके वाली बात हुई. दुनिया की सबसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं के समूह G-7 ने 2014 में क्रीमिया पर कब्जे के बाद रूस को बाहर कर दिया. इन घटनाओं से पुतिन वैश्विक मंच पर अकेले हो गए थे. रूस के करीबी देश भी 'तटस्थ' हो गए.
ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति और यूक्रेन पर दबाव
सवाल उठता है कि फिर भी ट्रंप ने पुतिन के साथ क्यों मुलाकात की? इसके पीछे कई कारण माने जा सकते हैं. सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण कारण ट्रंप की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति है. उनका मानना है कि अमेरिका को दूसरे देशों के युद्धों और समस्याओं में नहीं उलझना चाहिए. ट्रंप यूक्रेन युद्ध को एक यूरोपीय समस्या मानते हैं. ट्रंप ने चुनावी रैलियों में 24 घंटे में युद्ध खत्म करने का वादा तक किया था. यह मुलाकात उसी वादे को पूरा करने की दिशा में एक पहल थी, जिससे ट्रंप अपनी छवि एक 'शांतिदूत' के रूप में पेश कर सकें.
ट्रंप का मानना है कि वे दुनिया के सबसे मुश्किल नेताओं के साथ भी सीधे बातचीत करके समस्याओं को हल कर सकते हैं. पुतिन के साथ उनकी पिछली मुलाकातें जैसे कि साल 2018 में फिनलैंड के हेलसिंकी में हुई बैठक भी इसी सोच का हिस्सा थी. ट्रंप को लगता है कि वे NATO जैसे संगठनों को दरकिनार करके सीधे पुतिन से डील कर सकते हैं और अमेरिका के लिए सबसे बेहतर सौदा पा सकते हैं.
ट्रंप से मुलाकात में पुतिन की कूटनीतिक जीत
ट्रंप ने पुतिन का अलास्का में ग्रैंड वेलकम किया. साथ में चले, हंसे और अपनी बीस्ट कार में बैठाकर मीटिंग वाली जगह तक ले गए. ये सब पुतिन के लिए एक कूटनीतिक जीत ही साबित हुई, क्योंकि उन्होंने यूक्रेन के साथ जंग रोकने पर कोई हामी नहीं भरी. ट्रंप की सारी कवायद धरी की धरी रह गई. ट्रंप इस बैठक से कोई ठोस समझौता नहीं कर पाए. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जब तक कोई डील नहीं होती, कोई डील नहीं समझनी चाहिए. पुतिन ने यूक्रेन के साथ बातचीत करने की बजाय खुद को अमेरिका के बराबर खड़ा कर लिया.
पुतिन के अलास्का दौरे पर क्या कह रही रूसी मीडिया?
ट्रंप से हाथ मिलाकर और उनके साथ मंच साझा करके पुतिन ने दुनिया को संदेश दे दिया कि वे अलग-थलग नहीं हैं. रूसी सरकारी मीडिया ने इस मुलाकात को एक बड़ी कूटनीतिक सफलता माना. उन्होंने पश्चिमी मीडिया का मजाक उड़ाते हुए कहा कि रूस के बारे में अलग-थलग पड़ने का दावा पूरी तरह से झूठा था.
पुतिन के साथ इठलाते हुए ट्रंप का चलना चुभ गया!
पुतिन के साथ ट्रंप का इठलाते हुए चलना कुछ यूरोपीय देशों और खुद अमेरिका के कई नेताओं को रास नहीं आया. विरोधियों ने ट्रंप की कड़ी आलोचना की. डेमोक्रेटिक सांसद क्रिस मर्फी ने इसे सिर्फ एक 'फोटो-ऑप' कहा. उन्होंने आरोप लगाया कि ट्रंप ने पुतिन को एक ऐसा मंच दे दिया जहां वह अपनी छवि सुधार सकें. पुतिन पर लगे 'युद्ध अपराधी' के धब्बे इस मुलाकात के बाद धुल से गए.
यूक्रेन बोला- 'खूनी तानाशाह' का अमेरिकी धरती पर शाही स्वागत
यूक्रेनी मीडिया ने इस बैठक को घृणित और शर्मनाक बताया. उनका मानना था कि एक 'खूनी तानाशाह' को अमेरिकी धरती पर शाही स्वागत मिला, जबकि यूक्रेन के लोगों ने अपनी स्वतंत्रता के लिए भारी कीमत चुकाई है. यूरोप के नेताओं ने भी इस बात पर जोर दिया कि शांति वार्ता में यूक्रेन की भागीदारी सबसे महत्वपूर्ण है.
यूक्रेन पर खतरा और बढ़ गया या मिलेगी कुछ राहत?
ट्रंप और पुतिन की इस मुलाकात ने यूक्रेन में शांति लाने के बजाय मॉस्को को और ताकतवर बना दिया. एक तरफ पुतिन अपनी शर्तों पर शांति चाहते हैं, जिसमें रूस द्वारा कब्जा किए गए क्षेत्रों पर उसका नियंत्रण बना रहे. दूसरी तरफ यूक्रेन अपनी एक-एक इंच जमीन को वापस लेने के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है.
खाई पाटने की जगह और गहरी हो गई!
ट्रंप की यह मुलाकात इस खाई को पाटने के बजाय उसे और गहरा कर गई है. पुतिन ने फिर से साबित कर दिया है कि उन्हें दुनिया का कोई भी मुल्क चाहें वो कितना ही ताकतवर हो, न ही नजरअंदाज कर सकता है और ना ही नाराज.