Last Updated:September 18, 2025, 16:16 IST
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को चार महीने में आनंद कारज विवाह पंजीकरण के नियम अधिसूचित करने का आदेश दिया. केंद्र सरकार को भी समन्वय की जिम्मेदारी सौंपी गई.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक आदेश जारी करते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे ‘आनंद कारज’ (सिख विवाह समारोह) की रजिस्ट्रेशन व्यवस्था के नियम चार महीने के भीतर अधिसूचित करें. कोर्ट ने कहा कि जब संविधान नागरिकों को समान अधिकार देता है तो धार्मिक पहचान के सम्मान के साथ-साथ वैवाहिक पंजीकरण की व्यवस्था भी सबके लिए निष्पक्ष और समान होनी चाहिए.
जस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की बेंच ने कहा कि जब कानून आनंद कारज को मान्यता देता है लेकिन उसकी रजिस्ट्रेशन मशीनरी उपलब्ध नहीं होती, तो यह वादा अधूरा रह जाता है. अदालत ने साफ किया कि “सेक्युलर देश में राज्य नागरिक की आस्था को न तो विशेषाधिकार बनाए और न ही बोझ.”
कोर्ट की सख्त टिप्पणी…
बेंच ने कहा कि सेक्शन 6 का दायित्व हर राज्य पर लागू होता है और इसे टाला नहीं जा सकता. यह दायित्व इस बात से जुड़ा नहीं है कि लाभार्थी समूह छोटा है या बड़ा. अदालत ने यह भी कहा कि अलग-अलग राज्यों में असमान पंजीकरण से समान परिस्थितियों वाले नागरिकों के साथ असमान व्यवहार होता है.
केंद्र और राज्यों के लिए आदेश
कोर्ट ने केंद्र सरकार को समन्वयक की भूमिका निभाने और दो महीने में मॉडल नियम सभी राज्यों को भेजने का निर्देश दिया. साथ ही छह महीने में एक समेकित स्थिति रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश करने को कहा गया. कोर्ट ने साफ किया कि जब तक नियम अधिसूचित नहीं होते, तब तक आनंद कारज विवाह को मौजूदा विवाह पंजीकरण ढांचे में दर्ज किया जाए.
गोवा और सिक्किम के लिए विशेष निर्देश
गोवा के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि सभी सिविल रजिस्ट्रेशन ऑफिस आनंद कारज विवाह को बिना भेदभाव स्वीकार करें. साथ ही केंद्र को चार महीने में गोवा में आनंद विवाह अधिनियम लागू करने का निर्देश दिया गया. वहीं सिक्किम को भी निर्देश दिया गया कि मौजूदा नियमों के तहत आनंद कारज विवाह को पंजीकरण प्रक्रिया में शामिल किया जाए. इसके अलावा केंद्र को संविधान के अनुच्छेद 371F(n) के तहत अधिनियम को सिक्किम में लागू करने का प्रस्ताव चार महीने में पेश करने को कहा गया.
समानता पर जोर
कोर्ट ने कहा कि पंजीकरण की व्यवस्था सीधे नागरिकों के समान अधिकार और सुव्यवस्थित प्रशासन से जुड़ी है. इसलिए किसी भी नागरिक को केवल इस आधार पर पंजीकरण से वंचित नहीं किया जा सकता कि संबंधित राज्य ने अब तक नियम अधिसूचित नहीं किए हैं.
Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें
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First Published :
September 18, 2025, 16:16 IST