Last Updated:August 28, 2025, 17:33 IST
Anant Singh News: मोकामा सीट पर प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी से अमृतांश आनंद बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह को चुनौती देने जा रहे हैं. क्या भूमिहारों के इस गढ़ में श्रीकृष्ण सिंह की विरासत वाला दांव खेल कर ...और पढ़ें

मोकामा विधानसभा चुनाव 2025: बिहार की सियासत में मोकामा विधानसभा सीट हमेशा से चर्चा का केंद्र रही है. कभी ‘दाल की नगरी’ के नाम से मशहूर तो कभी बाहुबलियों का गढ़ कहलाने वाली यह सीट 2025 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार मोकामा की सियासी बिसात पर एक नया दांव खेला जा रहा है. प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी से बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह के परनाती और पूर्व डीजीपी आनंद शंकर के पुत्र अमृतांश आनंद का चुनाव लड़ना लगभग तय माना जा रहा है. यानी भूमिहारों के गढ़ में दो दिग्गजों में जोर आजमाइश का प्रशांत किशोर ने भूमिका तैयार कर दिया है. पीके ने बाहुबली पू्र्व विधायक अनंत सिंह के खिलाफ मजबूत घेराबंदी की है. ऐसे में सवाल यह है कि क्या अमृतांश की स्वच्छ छवि और श्रीकृष्ण सिंह की विरासत मोकामा में वर्षों से चली आ रही बाहुबल की राजनीति पर भारी पड़ेगी? क्या भूमिहार वोटर जो परंपरागत रूप से अनंत सिंह का समर्थन करते रहे हैं, इस बार श्रीकृष्ण सिंह के परिवार की ओर झुकेंगे?
मोकामा विधानसभा क्षेत्र पटना जिले में स्थित है. मुंगेर लोकसभा सीट के अंतगर्त आने वाली यह अपनी भौगोलिक और सियासी अहमियत के लिए जाना जाता है. गंगा के दक्षिणी तट पर बसा यह क्षेत्र राजेंद्र सेतु के जरिए उत्तर बिहार से जुड़ा है. 1951 में गठित इस सीट पर 1990 के दशक से बाहुबलियों का दबदबा रहा है. अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह, सूरजभान सिंह और अनंत सिंह जैसे नेताओं ने इस सीट को अपने प्रभाव में रखा. खासकर अनंत सिंह, जिन्हें ‘छोटे सरकार’ के नाम से जाना जाता है, इस सीट से 2005 से 2020 तक लगातार पांच बार विधायक रहे. 2020 में जेल से चुनाव लड़कर भी उन्होंने जीत हासिल की थी. हालांकि, अवैध हथियार मामले में अयोग्यता के बाद 2022 का उपचुनाव उनकी पत्नी नीलम देवी ने जीता.
मोकामा का मजबूत दीवार ढहेगा?
लेकिन 2025 के चुनाव में जन सुराज पार्टी के अमृतांश आनंद के मैदान में उतरने की चर्चा ने यहां की सियासी समीकरण को बदल दे हैराानी नहीं होगी. अमृतांश एक शिक्षण संस्थान चलाते हैं और सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं. अपनी साफ-सुथरी छवि के लिए जाने जाते हैं. उनके नाना श्रीकृष्ण सिंह बिहार के पहले मुख्यमंत्री थे, जिन्हें भूमिहार समुदाय में स्वाभिमान का प्रतीक माना जाता है. उनके पिता आनंद शंकर बिहार पुलिस के पूर्व डीजीपी थे, जिनकी ईमानदारी की मिसाल दी जाती है. डीजीपी से रिटायर होने के बाद भी आनंद शंकर बस से ही सफर करते हैं.
अनंत सिंह की बादशाहत का अंत होगा?
ऐसे में जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर का यह दांव मोकामा में बाहुबल और जातिवादी राजनीति को चुनौती देने की कोशिश है. अमृतांश की उम्मीदवारी को पीके का ‘एक्सपेरिमेंटल मॉडल’ कहा जा रहा है, जो स्वच्छ छवि और विकास की राजनीति पर जोर देता है. मोकामा में भूमिहार वोटरों का प्रभाव अहम है. इस सीट पर अब तक ज्यादातर भूमिहार नेता ही जीतते रहे हैं, सिवाय 1967 के, जब रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के बी. लाल ने कांग्रेस के उम्मीदवार को हराया था. अनंत सिंह को भी भूमिहार वोटरों का समर्थन मिलता रहा है, लेकिन उनकी बाहुबली छवि और आपराधिक मामलों की लंबी फेहरिस्त कुछ वोटरों को बदलाव की ओर मोड़ सकती है.
पीके का मास्टर स्ट्रोक कितना कारगर?
श्रीकृष्ण सिंह की विरासत से जुड़े अमृतांश आनंद इस बदलाव का चेहरा बन सकते हैं. उनकी शैक्षणिक पृष्ठभूमि और सामाजिक कार्यों में सक्रियता युवा और शिक्षित वोटरों को आकर्षित कर सकती है. प्रशांत किशोर की इस रणनीति से बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से भूमिहार बहुल 30-40 सीटों पर असर हो सकता है. मोकामा में अमृतांश आनंद की उम्मीदवारी न केवल अनंत सिंह के खिलाफ एक मजबूत चुनौती है, बल्कि सूरजभान सिंह जैसे अन्य बाहुबलियों को भी जवाब है, जिन्होंने अनंत सिंह को हराने का ऐलान किया है.
सूरजभान सिंह ने भी कहा है कि वे अनंत सिंह के खिलाफ किसी भी उम्मीदवार का समर्थन करेंगे, जिससे समीकरण और जटिल हो गए हैं. हालांकि, चुनौतियां भी कम नहीं हैं. अनंत सिंह की जमीनी पकड़ और लोकप्रियता को कम नहीं आंका जा सकता. 2020 में 54.07% मतदान में उन्होंने 35,757 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी. दूसरी ओर, अमृतांश को जनता के बीच अपनी पहचान स्थापित करने और पीके की नई पार्टी को स्वीकार्यता दिलाने की चुनौती है. ऐसे में 2025 का मोकामा चुनाव सिर्फ एक सीट की लड़ाई नहीं, बल्कि बाहुबल बनाम बदलाव की जंग है. क्या श्रीकृष्ण सिंह की विरासत और अमृतांश की स्वच्छ छवि भूमिहार वोटरों को अपनी ओर खींच पाएगी? या अनंत सिंह का बाहुबली प्रभाव फिर हावी होगा? यह जनता का फैसला तय करेगा.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
August 28, 2025, 17:33 IST