Last Updated:November 28, 2025, 22:56 IST
Karnataka CM Tussle: कर्नाटक में नेतृत्व परिवर्तन की अटकलों के बीच सीएम सिद्धारमैया ने डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार को नाश्ते पर बुलाया है. शिवकुमार ने कहा कि उन्हें सीएम बनने की कोई जल्दी नहीं है और अंतिम फैसला आलाकमान लेगा. उधर, भाजपा नेता बसवराज बोम्मई ने दावा किया कि इस लड़ाई में कोई 'डार्क हॉर्स' बाजी मार सकता है. भाजपा ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की चेतावनी भी दी है.
आलाकमान के पाले में गेंद: सिद्धारमैया और डीकेएस में वार-पलटवार. (AI Generated Image)बेंगलुरु: कर्नाटक में सीएम सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है. इस बीच सिद्धारमैया ने शुक्रवार को एक बड़ा दांव चला. उन्होंने अपने डिप्टी डीके शिवकुमार को नाश्ते पर बुलाया है. यह मुलाकात 29 नवंबर यानी शनिवार को होनी है. दूसरी तरफ विपक्षी पार्टी भाजपा इस आग में घी डालने का काम कर रही है. पूर्व सीएम बसवराज बोम्मई ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की चेतावनी दे दी है. उन्होंने दावा किया है कि इस लड़ाई में कोई तीसरा यानी ‘डार्क हॉर्स’ बाजी मार सकता है. शिवकुमार ने साफ किया है कि उन्हें कोई जल्दी नहीं है. शुक्रवार को बेंगलुरु में पत्रकारों से बात करते हुए सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि पार्टी आलाकमान ने उनसे और शिवकुमार से बात की थी. आलाकमान ने दोनों नेताओं को मिल-बैठकर बात करने को कहा है. इसी के चलते उन्होंने शिवकुमार को नाश्ते का न्योता दिया. सिद्धारमैया ने कहा कि जब वे आएंगे तो हम चर्चा करेंगे. हालांकि सीएम ने अपने रुख पर कायम रहने की बात कही. उन्होंने स्पष्ट किया कि वे वही करेंगे जो हाईकमान कहेगा. दोनों नेताओं ने सार्वजनिक रूप से पार्टी अनुशासन मानने की बात दोहराई है.
मुझे कुछ नहीं चाहिए: डीके शिवकुमार
डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने फिलहाल रक्षात्मक रुख अपनाया हुआ है. पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि वे किसी जल्दबाजी में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि मुझे कुछ नहीं चाहिए. मेरी पार्टी ही मेरे लिए सब कुछ है. शिवकुमार ने दिल्ली को अपना ‘मंदिर’ बताया. उन्होंने कहा कि दिल्ली के बिना कुछ नहीं हो सकता. कांग्रेस का इतिहास बहुत पुराना है और दिल्ली हमेशा मार्गदर्शन करती है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर बुलावा आया तो वे दिल्ली जरूर जाएंगे. वहां उन्हें सांसदों के साथ बैठक करनी है. संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है. राज्य के कई प्रोजेक्ट्स पर सांसदों से चर्चा करनी है.
बीजेपी का ‘डार्क हॉर्स’ सीएम वाला दांव
कर्नाटक के सियासी ड्रामे में भाजपा भी कूद पड़ी है. पूर्व मुख्यमंत्री और हावेरी से सांसद बसवराज बोम्मई ने सनसनीखेज दावा किया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की इस अंदरूनी लड़ाई में कोई नया चेहरा सामने आ सकता है. बोम्मई ने कहा कि एक ‘डार्क हॉर्स’ सीएम की रेस में शामिल हो सकता है. उनके मुताबिक जो घोड़े तस्वीर में दिख रहे हैं वे नहीं दौड़ेंगे. जो अभी दिखाई नहीं दे रहा वह सामने आ सकता है. उन्होंने कहा कि आलाकमान ने सुलह के लिए दो-तीन फार्मूले दिए थे. लेकिन दोनों नेताओं ने उन्हें मानने से इनकार कर दिया है. अब चर्चा है कि दोनों को हटाकर किसी तीसरे को कुर्सी दी जा सकती है.
एक नजर में: कर्नाटक का पावर गेम
अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी में है बीजेपी
बोम्मई ने सरकार को सीधी चुनौती दी है. उन्होंने कहा कि अगर हालात ऐसे ही रहे तो भाजपा अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है. बेलगावी में विधानमंडल का सत्र होने वाला है. यह सत्र 8 दिसंबर तक चलेगा. अगर राजनीतिक अस्थिरता बढ़ती है तो भाजपा अपना दांव चलेगी. बोम्मई ने आरोप लगाया कि राज्य में प्रशासन पूरी तरह ठप हो गया है. किसान परेशान हैं और विकास कार्य रुक गए हैं. कांग्रेस के दोनों बड़े नेता इसे अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना चुके हैं. उन्होंने कहा कि सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग रही है. केंद्र पर दोष मढ़ना इनकी आदत बन गई है.
डीके शिवकुमार vs सिद्धारमैया : सोशल मीडिया पर छिड़ी जुबानी जंग
भले ही दोनों नेता नाश्ते पर मिल रहे हों. लेकिन सोशल मीडिया पर तल्खी साफ दिखाई दी. गुरुवार को डीके शिवकुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया था. उन्होंने लिखा था कि दुनिया की सबसे बड़ी ताकत अपनी जुबान पर कायम रहना है. उन्होंने लिखा कि ‘वर्ड पावर इज वर्ल्ड पावर’. इसे सीधे तौर पर सिद्धारमैया को वादा याद दिलाने के तौर पर देखा गया. इसके जवाब में सिद्धारमैया ने भी पोस्ट किया. उन्होंने लिखा कि शब्द तब तक ताकत नहीं है जब तक उससे लोगों का भला न हो. सीएम ने लिखा कि जनादेश एक पल के लिए नहीं बल्कि पूरे पांच साल के लिए है.
कर्नाटक में विवाद की जड़ : ढाई साल का वो फॉर्मूला
इस पूरे विवाद की जड़ में वह कथित समझौता है जो मई 2023 में हुआ था. चुनाव नतीजों के बाद सीएम पद को लेकर खींचतान हुई थी. उस वक्त खबरें आई थीं कि ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला तय हुआ है. यानी पहले ढाई साल सिद्धारमैया सीएम रहेंगे. उसके बाद डीके शिवकुमार को मौका मिलेगा. 20 नवंबर को सरकार के ढाई साल पूरे हो गए हैं. अब शिवकुमार खेमा चाहता है कि वादा पूरा किया जाए. हालांकि पार्टी ने कभी आधिकारिक तौर पर इस फार्मूले की पुष्टि नहीं की. सिद्धारमैया खेमा पांच साल पूरा करने का दावा कर रहा है. इसी को लेकर अब आर-पार की लड़ाई शुरू हो गई है. इस सियासी लड़ाई में जातिगत समीकरण भी हावी हैं. डीके शिवकुमार वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं. आदि चुंचनागिरी मठ के स्वामी निर्मलानंदनाथ ने शिवकुमार का समर्थन किया है. वोक्कालिगा संघ ने चेतावनी दी है कि अगर शिवकुमार के साथ नाइंसाफी हुई तो विरोध होगा. हालांकि शिवकुमार ने खुद को जातिगत राजनीति से अलग करने की कोशिश की. उन्होंने कहा कि मुझे कोई कम्युनिटी एंगल नहीं चाहिए. कांग्रेस ही मेरा समुदाय है. मेरा प्यार समाज के हर वर्ग के लिए है. उन्होंने कहा कि वोक्कालिगा भी पिछड़ा वर्ग का हिस्सा हैं. वे सभी को साथ लेकर चलना चाहते हैं.आलाकमान का ‘सेन्स ऑफ टाइमिंग’
कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने भी इस मामले पर बयान दिया. उन्होंने कहा कि आलाकमान के पास ‘सेन्स ऑफ टाइमिंग’ है. यानी उन्हें पता है कि कब क्या फैसला लेना है. खड़गे ने कहा कि 130 साल पुरानी पार्टी सही समय पर दखल देगी. उन्होंने मीडिया की अटकलों को खारिज किया. खड़गे ने कहा कि अभी तक दिल्ली से कोई आधिकारिक बुलावा नहीं आया है. अगर कांग्रेस अध्यक्ष या रणदीप सुरजेवाला बुलाएंगे तो नेता जाएंगे. राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने भी आलाकमान पर भरोसा जताया. उन्होंने कहा कि जो मीडिया में दिख रहा है वह हकीकत नहीं है.
भाजपा का आरोप है कि इस कुर्सी की लड़ाई में जनता पिस रही है. मक्का खरीद का मुद्दा गरमाया हुआ है. सीएम ने 10 लाख मीट्रिक टन खरीद का आदेश दिया था. लेकिन अभी तक एजेंसियां तय नहीं हुई हैं. पैसा रिलीज नहीं किया गया है. बोम्मई ने कहा कि सरकार के पास खजाना खाली है. वे सिर्फ केंद्र को कोस रहे हैं. मंत्री सतीश जार्कीहोली ने भाजपा पर हॉर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया था. इस पर बोम्मई ने पलटवार किया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस 1969 से हॉर्स ट्रेडिंग कर रही है. उन्होंने डीके शिवकुमार के पुराने किस्से याद दिलाए.
नाश्ते पर सुलझेगा कर्नाटक का विवाद या दिल्ली में लिखी जाएगी नई स्क्रिप्ट?
क्या है आगे का रास्ता?
अब सबकी निगाहें दिल्ली पर टिकी हैं. संसद सत्र के दौरान दोनों नेता दिल्ली में होंगे. माना जा रहा है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी उनसे अलग-अलग मुलाकात करेंगे. आलाकमान के सामने बड़ी चुनौती है. अगर वे नेतृत्व बदलते हैं तो सिद्धारमैया का वोट बैंक नाराज हो सकता है. अगर नहीं बदलते तो शिवकुमार बगावत कर सकते हैं. इसीलिए ‘डार्क हॉर्स’ वाली थ्योरी को हवा मिल रही है. फिलहाल नाश्ते की मेज पर क्या बात होती है इस पर सबकी नजर है. शनिवार का दिन कर्नाटक की राजनीति के लिए अहम साबित होने वाला है.
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दीपक वर्मा न्यूज18 हिंदी (डिजिटल) में डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में काम कर रहे हैं. लखनऊ में जन्मे और पले-बढ़े दीपक की जर्नलिज्म जर्नी की शुरुआत प्रिंट मीडिया से हुई थी, लेकिन जल्द ही उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म...और पढ़ें
Location :
Bengaluru,Bengaluru,Karnataka
First Published :
November 28, 2025, 22:18 IST

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