DNA: ट्रंप के आने से क्यों टेंशन में हैं दुनियाभर के मुसलमान? पुराने रिकॉर्ड से समझिए

4 hours ago

Donald Trump America New President: डोनाल्ड ट्रंप ने 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली है. शपथ ग्रहण के बाद देश के नाम अपने पहले संबोधन में उन्होंने अपने नए कार्यकाल का एजेंडा पूरी दुनिया को बता दिया. उन्होंने देश की दक्षिणी सीमा पर इमरजेंसी का ऐलान करते हुए कहा कि अमेरिकी लोगों के हक को मारने वालों को बिलकुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. ट्रंप के पहले कार्यकाल में उनके फैसलों को ध्यान में रखते हुए कहा जा रहा है कि एक बार फिर ट्रंप सरकार आने से दुनियाभर में मुसलमानों को टेंशन हो गई है. 

ट्रंप की पांच फाइल्स

ओवल ऑफिस में ट्रंप की टेबल पर तमाम अहम फाइलें रखी हैं. उसमें चार सबसे अहम फाइलों के बारे में बताते हैं-

'अमेरिका में मुस्लिम बैन' 

मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले  से बताया जा रहा है कि ट्रंप सबसे पहले इसी फाइल पर साइन करेंगे. इस फाइल की पूरी डीटेल्स हम आपको आगे बताएंगे.

ट्रंप की दूसरी फाइल है- 'अवैध प्रवासियों पर शिकंजा'.

ट्रंप की तीसरी फाइल है- 'रूस यूक्रेन वॉर' से जुड़ी जिसमें जंग के खात्मे का ब्लूप्रिंट है.

ट्रंप की चौथी फाइल है- भारत के साथ रिश्तों पर. क्योंकि ट्रंप और मोदी की जोड़ी जब भी सत्ता में आती है तो कमाल हो जाता है.

लेकिन सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि ट्रंप के आने से दुनियाभर के मुस्लिम मुल्क क्यों टेंशन में हैं? 

ट्रंप का मुस्लिम बैन प्लान? 

जैसे जैसे ट्रंप का काफिला व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस की तरफ बढ़ा, दुनियाभर के मुसलमानों की सांसें फूल गईं. ट्रंप के राष्ट्र के नाम संबोधन की एक-एक लाइन दुनियाभर के कट्टरपंथी समर्थित सरकारों के लिए भारी पड़ गई. मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से कहा जा रहा है कि वाशिंगटन में बैठकर ट्रंप ने अगर एक साइन कर दिया तो अमेरिका में मुसलमानों की एंट्री बैन होने वाली है.

ट्रंप के पिछले कार्यकाल और चुनाव प्रचार का विश्लेषण

डोनाल्ड ट्रंप के दुनिया के सबसे शक्तिशाली मुल्क के मुखिया बनते ही ये कयास क्यों लगाए जा रहे हैं. उसे समझने के लिए चुनाव प्रचार के दौरान दिए गए ट्रंप के इन बयानों से समझिए-

अमेरिका को कट्टरपंथियों और इस्लामिक आतंकवादियों से महफूज रखने के लिए मैं एक बार फिर से ट्रैवल बैन लागू करने वाला हूं. आपने देखा था चार साल पहले क्या हुआ था? हम इस नियम को लेकर बहुत सख्त थे. हम नहीं चाहते हैं कि हमारी बिल्डिंग्स को कोई उड़ा दे. हमें कोई दिक्कत नहीं चाहिए.'

दूसरा बयान- हम हर एक अप्रवासी की विचारधारा को चेक करेंगे. अगर आप अमेरिका से नफरत करते हैं. अगर आप इजरायल को खत्म करना चाहते हैं. अगर आप हमारे धर्म को पसंद नहीं करते हैं, जो कई लोग नहीं करते हैं. अगर आप जिहादियों के लिए हमदर्दी रखते हैं तो हमारे मुल्क में आपका स्वागत नहीं है. और आप किसी भी तरह आ भी नहीं सकते हैं.

बिना कोई लाग लपेट, बिना कोई टर्म्स एंड कंडिशन के डोनाल्ड ट्रंप ने ये ऐलान कर दिया था की वो अमेरिका में सिर उठाते कट्टरपंथ के फन को हमेशा हमेशा के लिए कुचल देना चाहते हैं. ट्रंप ने एक तरह से खुला ऐलान कर दिया था की वो 2017 के ट्रैवल बैन ऑर्डर को दोबारा से साइन करने वाले हैं.

2017 में क्या हुआ था?

जनवरी 2017 में ट्रंप ने एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर साइन किया था. उसके तहत 7 इस्लामिक देशों के लोगों के आने पर पाबंदी लग गई थी.
2017 के एक्जीक्यूटिव ऑर्डर में ईरान, इराक, लीबिया, सोमालिया, सुडान, सीरिया और यमन शामिल थे.

हालांकि 2025 में ट्रंप 2.0 के इस दौर में माना जा रहा है कि इस बार इस लिस्ट में पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश समेत कुल 11 मुल्कों के नाम होंगे.

एक बार जो कमिटमेंट कर दी तो...

हालाकि ट्रंप के इस फैसले के आने से पहले ही अमेरिका में लिबरल सोसाइटी समेत दुनियाभर में इसका विरोध हो रहा है. खैर ये विरोध पहले भी हुआ था. लेकिन ट्रंप की एक आदत है. क्योंकि ट्रंप फायर नहीं वाइल्ड फायर हैं... एक बार वो अगर कुछ ठान लेते हैं तो उसे कर के ही मानते हैं.

डॉनल्ड ट्रंप कई बार कह चुके हैं कि वो चाहते हैं कि मुसलमानों के अमेरिका में एंट्री को पूरी तरह से रोक दिया जाए.

ट्रंप ने ये बयान सार्वजनिकक मंच मे पहली बार साल 2015 में दिया था. 2017 में सत्ता में आते ही उन्होंने इस ऑर्डर को पास कर दिया था.

बाइडेन ने रोका था ट्रंप का आदेश

हांलाकि साल 2018 में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने इस ऑर्डर पर स्टे लगाया था. 2021 में लिबरल डेमोक्रेट्स नेता जो बाइडेन ने राष्ट्रपति बनते ही ट्रंप के ट्रैवल बैन नियम को हटा दिया था. अब खबरे हैं कि ट्रंप एक बार फिर इस नियम को लागू करने वाले हैं. ऐसे में इस बार सबसे बड़ी टेंशन पाकिस्तान के लिए है. दरअसल मिडिल ईस्ट वर्ल्ड के कई देश पहले ही पाकिस्तानियों की भिखारी इमेज के चलते उन्हें वीजा देने को तैयार नहीं है. ऐसे में बची खुची कसर ट्रंप पूरी कर देंगे. वैसे भी राष्ट्रवादी रिपब्लिकन नेता ट्रंप का रुख, पाकिस्तान को लेकर हमेशा सख्त रहा है.

ट्रंप ने इस विषय को आसान शब्दों में समझाते हुए कहा था, 'हमारी रणनीति का नया पिलर होगा, पाकिस्तान से डील करने के अप्रोच को चेंज करना. हम इस बात को लेकर अब चुप नहीं बैठ सकते हैं कि पाकिस्तान आतंकियों के लिए जन्नत बन गया है.

कुल मिलाकर ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पाकिस्तान समेत दुनिया के हर कट्टरपंथी मुल्क की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई है. इस बार तो ट्रंप के टारगेट पर नया नवेला कट्टरपंथी मुल्क बना बांग्लादेश भी आने वाला है. 

ट्रंप ने कट्टरपंथी मुल्कों के खिलाफ जो एक्शन प्लान तैयार किया है. उसका इफेक्ट दिखने भी लगा है. शपथग्रहण से पहले ही पूरे पाकिस्तान में खौफ का माहौल पसरा है.

ट्रंप ने ये पहले ही क्लियर कर दिया था की वो सत्ता में आते ही सबसे पहले क्या फैसले लेने वाले हैं. अमेरिका में अप्रवासी संकट और दुनिया पर मंडराते वर्ल्ड वॉर के खतरे के लिए ट्रंप ने क्या कहा था और उनका क्या प्लान है अब वो ध्यान से पढ़िए- 

ट्रंप ने वादा किया था की वो अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़ा डिपोर्टेशन करने वाले हैं. इसके अलावा वो बर्थराइट सिटिजनशिप खत्म करने वाले हैं. पहले अगर किसी अप्रवासी का बच्चा अगर अमेरिका में पैदा होता था तो वो अमेरिकी नागरिक होता था. ट्रंप इस नियम को खत्म करने वाले हैं.

एक तरफ ट्रंप ने अपने ही मुल्क में घुसपैठियों के खिलाफ जंग छेड़ने का ऐलान कर दिया है तो वहीं ट्रंप ने दुनिया में चल रहे जंग को रुकवाने की सौगंध खाई है. उसका इफेक्ट दिखने भी लगा है. ट्रंप के आने से ठीक पहले गाजा में सीजफायर हो गया है. 471 दिन बाद गाजा की फिजाओं में घुली गोले-बारूद की महक कुछ कम हुई है. आखिरकार गाजा में इजरायली गोले बारूद बरसना कुछ समय के लिए बंद हो गए. इस युद्धविराम के बाद अब ट्रंप का अगला टारगेट है यूक्रेन-रूस युद्ध का विराम.

वैश्विक व्यापार पर क्या असर पड़ेगा?

राजनीतिक मोर्चे पर ट्रंप को लेकर पूरी दुनिया की नजर है लेकिन उससे ज्यादा नजर ट्रंप की आर्थिक नीतियों को लेकर है क्योंकि बीते तीन दशकों में ट्रंप एकमात्र ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति है जो अपने बयानों, नीतियों से दुनिया के इकोनॉमी पर सबसे ज्यादा असर डाला है, IMF ने ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पहले ही उनकी आर्थिक नीतियों को लेकर चेतावनी जारी कर दी है.

ट्रंप के आने से छोटी अवधि में महंगाई बढ़ सकती है, क्योंकि टैरिफ बढ़ाने की नीतियों से प्रोडक्ट के सप्लाई पर असर पड़ सकता है.

चीन के साथ फिर से ट्रेड वॉर शुरू हो सकता है. चीन से ट्रेड वॉर शुरू होने से भारत को फायदा होगा, मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट में सुधार आएगा. डॉलर के मुकाबले रुपया और कमजोर हो सकता है और भारत का व्यापार घाटा बढ़ सकता है. ट्रंप की नीतियों का भारत के IT, इंजीनियरिंग, डिफेंस, फार्मा इलेक्ट्रॉनिक्स ज्वैलरी सेक्टर पर सीधा असर हो सकता है. वहीं अगर दुनिया में छिड़े युद्ध रुकते हैं तो दुनिया में कच्चे तेल के दाम घट सकते हैं.

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