Last Updated:April 26, 2025, 12:41 IST
Scramjet Engine: भारत ने स्क्रैमजेट इंजन की सफल टेस्टिंग की है. इसके साथ ही भारत ऐसा पहला देश् बन गया है, जिसने 1000 सेकेंड तक की टेस्टिंग की बात सार्वजनिक की है. इस मामले में अमेरिका और चीन भी भारत से पीछे ह...और पढ़ें

भारत ने स्क्रैमजेट इंजन का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. इससे हाइपरसोनिक मिसाइल बनाना आसान हो जाएगा. (फोटो: PIB)
हाइलाइट्स
DRDO ने स्क्रैमजेट इंजन का सफल परीक्षण कर इतिहास रचास्क्रैमजेट इंजन से हाइपरसोनिक मिसाइल बनाना आसान होगाएक मामले में भारत अमेरिका-चीन से भी आगे निकल चुका हैनई दिल्ली. स्क्रैमजेट इंजन का सफलतापूर्वक टेस्टिंग कर भारत दुनिया के उन गिनेचुने देशों की श्रेणी में आ गया है, जिनके पास यह अल्ट्रा मॉडर्न टेक्नोलॉजी है. डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO) के साइंटिस्ट ने वह कर दिखाया है, जिसका लंबे समय से इंतजार था. स्क्रैमजेट इंजन बनाने की क्षमता हासिल करने के बाद भारत के लिए हाइपरसोनिक मिसाइल बनाना काफी आसान हो जाएगा. भारत ने स्क्रैमजेट इंजन का 1000 सेकेंड से ज्यादा समय तक टेस्ट किया. भारत इस मामले में अमेरिका और चीन से भी आगे निकल गया है. अमेरिका ने 240 सेकेंड तक की टेस्टिंग की रिपोर्ट की है. चीन की भी कमोबेश यही स्थिति है. आतंकवादियों को पनाह देने में अव्वल पाकिस्तान तो इस टेक्नोलॉजी के मामले में आसपास भी नहीं है. पाकिस्तान की लॉन्ग रेंज की मिसाइलें – शाहीन और गौरी – अब भारत के सामने पानी भी नहीं मांगेंगी. अब सवाल यह है कि स्क्रैमजेट इंजन डेवलपक करने की तकनीक इतना महत्वपूर्ण क्यों हैं और इसका आने वाले समय में क्या असर पड़ सकता है?
स्क्रैमजेट का पूरा नाम सुपरसोनिक कंब्यूस्टन रैमजेट (Supersonic Combustion Ramjet) है. स्क्रैमजेट इंजन की मदद से अल्ट्रा हाई-स्पीड वाले जेट या फिर मिसाइलें डेवलप की जा सकती हैं. इससे हाइपरसोनिक मिसाइलों को डेवलप करने में काफी मदद मिलेगी. बता दें कि हाइपरसोनिक क्षमता वाले इंजन से लैस मिसाइलें 5 मैक (ध्वनि की रफ्तार से 5 गुना ज्यादा) या उससे ज्यादा की स्पीड से टारगेट तक पहुंचने में सक्षम होती हैं. यह क्षमता दुनिया के गिने-चुने देशों के पास ही है. अब भारत भी उनमें शामिल हो गया है. स्क्रैमजेट इंजन का वजन ट्रेडिशनल इंजन से कामी कम होता है, ऐसे में मिसाइलें ज्यादा से ज्यादा पेलोड अपने साथ ले जा सकेंगी. इसका मतलब यह हुआ कि इस तरह के इंजन से लैस मिसाइलें ज्यादा घातक और विनाशकारी साबित होंगी.
स्क्रैमजेट इंजन क्यों है इतना खास
DRDO की हैदराबाद स्थित डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लेबोरेट्री (DRDL) ने स्क्रैमजेट इंजन की 1000 सेकेंड से भी ज्यादा समय तक टेस्टिंग की है. इस साल जनवरी में पहली बार इसका परीक्षण किया गया था. उस वक्त 120 सेकेंड तक इसकी टेस्टिंग की गई थी. स्क्रैमजेट इंजन से लैस मिसाइलें 5400 किलोमीटर प्रति घंटे या उससे ज्यादा की रफ्तार से टारगेट की ओर भागती हैं. कम वजन के बाद इस इंजन की सबसे बड़ी खासियत इसकी इग्निशन सिस्टम है. इसके तहत हवा में मौजूद ऑक्सीजन का इस्तेमाल कर इंजन सर्वाइव करती हैं. इसके अलावा स्क्रैमजेट इंजन में फ्लेम स्टेबिलाइजेशन टेक्नोलॉजी भी है, जो हवा को फ्यूल के तौर पर इस्तेमाल करने में मदद करती है.
ध्वनि की रफ्तार को भी मात
स्क्रैमजेट इंजन से लैस मिसाइल या जेट ध्वनि की गति से 6 से 10 गुना तेज रफ्तार से उड़ान भरने में सक्षम होंगे. इसके लिए किसी तरह के भारी टरबाइन की जरूरत भी नहीं पड़ेगी. यह एक एयर-ब्रीदिंग जेट इंजन है जो हवा को खींचकर उसमें ईंधन मिलाकर सुपरसोनिक गति (Mach 5 से ऊपर) पर जलाता है. ट्रेडिशनल टरबाइन इंजनों की तुलना में इसमें कोई घूर्णन करने वाला हिस्सा नहीं होता, जिससे इसे हल्का और मेंटेनेंस-फ्री बनाना आसान होता है. रॉकेट की तरह इसे ऑक्सीजन साथ लेकर उड़ने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि यह हवा से ही ऑक्सीजन लेता है. इससे वजन भी कम होता है. स्क्रैमजेट इंजन फ्यूचर स्पेस मिशन के लिए काफी आइडियल है. स्क्रैमजेट तकनीक से स्पेस लॉन्च व्हिकल बनाना संभव है जो कम लागत में और बार-बार इस्तेमाल हो सकें. हाइपरसोनिक मिसाइल के साथ ही इसका इस्तेमाल रीकॉन विमानों में किया जा सकता है. स्क्रैमजेट इंजन से मिसाइल ही नहीं, बल्कि एयर ट्रांसपोर्ट की मौजूदा सिस्टम में पॉजिटिव चेंज आने की पूरी संभावना है.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
April 26, 2025, 11:57 IST