Last Updated:February 28, 2025, 09:22 IST
सुप्रीम कोर्ट ने कस्टम ड्यूटी और जीएसटी कानूनों के तहत गिरफ्तारी की वैधता बरकरार रखी. चीफ जस्टिस खन्ना की बेंच ने कहा, गिरफ्तारी से पहले जमानत संभव.

उच्चतम न्यायालय ने सीमा शुल्क, जीएसटी अधिकारियों की गिरफ्तारी की शक्ति बरकरार रखी
हाइलाइट्स
सुप्रीम कोर्ट ने जीएसटी गिरफ्तारी की वैधता बरकरार रखी.गिरफ्तारी से पहले अग्रिम जमानत संभव.जीएसटी और कस्टम मामलों में गिरफ्तारी से राहत.नई दिल्ली: जीएसटी कानून में गिरफ्तारी से अब राहत मिलेगी और अग्रिम जमानत भी मिल सकती है. इस बाबत सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कस्टम ड्यूटी यानी सीमा शुल्क और केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के संशोधित कानूनों के तहत गिरफ्तारी की शक्ति की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने यह फैसला दिया. बेंच कहा कि जीएसटी और कस्टम मामले में गिरफ्तारी से पहले जमानत के लिए आवेदन की अनुमति दी जा सकती है. साथ ही जब तथ्य स्पष्ट हों और गिरफ्तारी की आशंका के लिए उचित आधार मौजूद हो तो यह आवश्यक नहीं है कि ऐसी याचिकाएं केवल प्राथमिकी के बाद ही दायर की जाएं.
साल 2018 में प्रमुख याचिकाकर्ता राधिका अग्रवाल की याचिका सहित लगभग 280 याचिकाओं में CGST, SGST और कस्टम्स अधिनियम के प्रावधानों को सीआरपीसी एवं संविधान के अनुरूप न होने का दावा करते हुए चुनौती दी गई थी. अपने और जस्टिस सुंदरेश की ओर से 63 पन्नों का फैसला लिखते हुए सीजेआई ने कहा कि संवैधानिक वैधता के साथ-साथ सीमा शुल्क अधिनियम और जीएसटी अधिनियम के तहत अधिकृत अधिकारियों की गिरफ्तारी के अधिकार को दी गई चुनौती को खारिज किया जाता है.
जस्टिस बेला त्रिवेदी ने प्रधान न्यायाधीश से सहमति जताई और 13 पन्नों का फैसला लिखा. अग्रिम जमानत देने की शक्ति के मुद्दे पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह मुद्दा तब उत्पन्न होगा जब गिरफ्तारी की आशंका हो. फैसले में कहा गया, ‘संहिता के तहत अदालतों में निहित यह शक्ति व्यक्तियों को गिरफ्तार होने से बचाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार की पुष्टि करती है. उचित मामलों में, अग्रिम जमानत के लिए आवेदन की अनुमति दी जा सकती है, जो सशर्त भी हो सकती है.’
अदालत ने जीएसटी अधिनियम की धारा 69 और 70 तथा सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 104 को दी गई चुनौती को खारिज कर दिया. और टैक्स उल्लंघन को अपराध मानने एवं गिरफ्तारियां करने वाले प्रावधानों को लागू करने की विधायिका की क्षमता के पक्ष में फैसला सुनाया. पीठ ने कुछ फैसलों का हवाला दिया और कहा कि हालांकि सीमा शुल्क अधिकारी पुलिस अधिकारी नहीं हैं, लेकिन उनके पास संबंधित कानूनों के तहत अपराधियों की जांच करने और उन्हें गिरफ्तार करने का वैधानिक अधिकार है.
पीठ ओम प्रकाश बनाम भारत संघ के मामले में 2011 के फैसले के बाद सीमा शुल्क अधिनियम और जीएसटी अधिनियम के संशोधित प्रावधानों की वैधता पर विचार कर रही थी. हालांकि, फैसले में कहा गया कि गिरफ्तार लोगों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए विधायिका द्वारा स्थापित पूर्व शर्तों और सुरक्षा उपायों की पड़ताल करना महत्वपूर्ण है.
पीठ ने कहा, ‘अगर सीमा शुल्क के प्रधान आयुक्त या सीमा शुल्क आयुक्त के सामान्य या विशेष आदेश के अनुरूप इस संबंध में सशक्त सीमा शुल्क अधिकारी के पास यह विश्वास करने का कारण है कि किसी व्यक्ति ने धारा 132 या धारा 133 या धारा 135 या धारा 135-ए या धारा 136 के तहत दंडनीय अपराध किया है, तो वह ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है और जितनी जल्दी हो सके, उसे ऐसी गिरफ्तारी के आधार के बारे में सूचित करना होगा.
Location :
Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
February 28, 2025, 09:22 IST