H-1B वीजा पर अमेरिकी वार, भारत ने कहा- ये इनोवेशन और इकॉनमी पर सीधा प्रहार

6 hours ago

Last Updated:September 20, 2025, 19:14 IST

H-1B Visa Issue: विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका के H1B वीजा पर संभावित पाबंदियों को भारत गंभीरता से परख रहा है. भारत ने आपसी फायदे, रिश्तों और परिवारों पर पड़ने वाले असर की चिंता जताई है.

H-1B वीजा पर अमेरिकी वार, भारत ने कहा- ये इनोवेशन और इकॉनमी पर सीधा प्रहार1 लाख डॉलर H-1B फीस से छाएगा संकट, भारत ने कहा- परिवारों पर होगा मानवीय असर. (File Photo)

नई दिल्ली: अमेरिका के एच-1बी वीजा फीस 1 लाख डॉलर सालाना तक बढ़ाने के फैसले ने हड़कंप मचा दिया है. केंद्र सरकार ने साफ कहा है कि इस कदम के नतीजों का आकलन किया जा रहा है और टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री से जुड़े तमाम पक्ष स्थिति पर गहन नजर बनाए हुए हैं. वाशिंगटन डीसी स्थित भारतीय दूतावास लगातार अमेरिकी अधिकारियों से संपर्क में है. भारत सरकार ने अमेरिका को यह भी याद दिलाया है कि H-1B वीजा सिर्फ इमिग्रेशन का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह इनोवेशन और दोनों देशों की अर्थव्यवस्था का अहम स्तंभ है. दोनों देशों के बीच लोगों का आना-जाना टेक्नोलॉजी, ग्रोथ और प्रतिस्पर्धा को नई ऊंचाई देता है. अगर इस पर कठोर कदम उठे तो इसका मानवीय असर भी होगा, क्योंकि हजारों परिवार प्रभावित होंगे. भारत में शीर्ष टेक इंडस्ट्री निकाय नैसकॉम भी विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर रहा है.

H1B वीजा पर MEA का बयान

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि H1B वीजा प्रोग्राम पर संभावित पाबंदियों की रिपोर्ट्स का ध्यान से अध्ययन हो रहा है. इंडियन इंडस्ट्री ने भी शुरुआती एनालिसिस देकर कई गलतफहमियों को क्लियर किया है. दोनों देशों की इंडस्ट्री इनोवेशन और क्रिएटिविटी पर टिकी है. इसलिए कंसल्टेशन के जरिए आगे का रास्ता तय किया जाना तय है.

सरकार ने याद दिलाया कि स्किल्ड टैलेंट एक्सचेंज ने भारत और अमेरिका दोनों को टेक्नोलॉजी, इनोवेशन, इकॉनमी और वेल्थ क्रिएशन में बड़ा फायदा दिया है. पॉलिसी मेकर्स को हर कदम आपसी फायदे और मजबूत लोगों के रिश्तों को ध्यान में रखकर उठाना होगा. भारत ने यह भी कहा कि इससे फैमिलीज पर ह्यूमेनिटेरियन असर पड़ सकता है. उम्मीद जताई गई है कि अमेरिका ऐसे डिसरप्शन को सही तरीके से एड्रेस करेगा.

भारत पर कितना असर?

भारत के पास दुनिया में सबसे ज्यादा एच-1बी वीजा हैं. ऐसे में नई फीस का सबसे बड़ा असर अमेरिकी कंपनियों पर पड़ेगा, जो भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स पर निर्भर हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अमेरिका में टैलेंट की कमी और गहराएगी. नतीजतन, भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर (GCCs) की नई लहर शुरू हो सकती है, जहां अमेरिकी कंपनियां अपने ऑपरेशन शिफ्ट करेंगी.

GCCs: भारत की नई ताकत

आज भारत में करीब 1,700 GCCs काम कर रहे हैं और अनुमान है कि 2030 तक यह संख्या 2,100 से पार हो जाएगी. इनमें से लगभग 70% अमेरिकी कंपनियों के हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में कहा कि भारत में दुनिया के करीब आधे GCCs मौजूद हैं, और सही नीतियों व कौशल विकास से यह क्षेत्र “विकसित भारत 2047” की यात्रा में निर्णायक साबित होगा.

क्या है आईटी कंपनियों की तैयारी?

टेक महिंद्रा के पूर्व सीईओ सी. पी. गुरनानी ने कहा कि भारतीय आईटी फर्मों ने पिछले कुछ वर्षों में H-1B वीजा पर निर्भरता घटा दी है. कंपनियों ने स्थानीय भर्ती बढ़ाई, ऑटोमेशन में निवेश किया और ग्लोबल डिलीवरी मॉडल को नया रूप दिया. नतीजा यह है कि वीजा पॉलिसी में बदलाव का असर सीमित रहेगा.

Deepak Verma

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

September 20, 2025, 19:02 IST

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