NSA Ajit Doval meeting with Russian Deputy PM: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत के खिलाफ टैरिफ वॉर शुरु करने के बाद भारत का शीर्ष नेतृत्व फिलहाल खामोश है. लेकिन अपने कदमों के जरिए वह अमेरिका और यूरोपियन यूनियन समेत पश्चिमी देशों को लगातार बड़े संदेश दे रहा है. पश्चिमी खेमा जहां भारत को रूस से दूर करने की कोशिश कर रहा है, वहीं भारत ने भी अंगद के पांव की तरह अपने कदम जमाते हुए संकट में फंसे अपने मित्र को छोड़ने से साफ इनकार कर दिया है. भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल इस वक्त रूस में हैं और वहां पर शीर्ष स्तर के नेताओं से लगातार बात कर रहे हैं.
रूसी डिप्टी-पीएम के साथ लंबी बैठक
रूसी दूतावास ने शुक्रवार को बताया कि डोभाल ने रूस के प्रथम उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव के साथ लंबी बैठक की. इस बैठक में दोनों देशों के बीच रक्षा और रणनीतिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया. वार्ता में द्विपक्षीय सैन्य-तकनीकी सहयोग ढाँचे के अंतर्गत कई मुद्दों पर चर्चा हुई. दोनों पक्षों ने नागरिक विमान निर्माण, धातु विज्ञान और रासायनिक उद्योग सहित अन्य रणनीतिक क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाओं की प्रगति की भी समीक्षा की.
दूतावास ने एक्स पर पोस्ट शेयर कर बताया, दोनों पक्षों ने रूस- भारत सैन्य-तकनीकी सहयोग के सामयिक मुद्दों के साथ-साथ नागरिक विमान निर्माण, धातु विज्ञान और रासायनिक उद्योग सहित अन्य रणनीतिक क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाओं के कार्यान्वयन पर चर्चा की.
पीएम मोदी-पुतिन में टेलिफोन पर किया संपर्क
मंटूरोव के साथ बैठक से एक दिन पहले, एनएसए डोभाल ने 7 अगस्त को राष्ट्रपति पुतिन और रूस के सुरक्षा परिषद सचिव सर्गेई शोइगु के साथ बातचीत की थी. वहीं 8 अगस्त को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच टेलीफोन पर सीधी बातचीत हुई, जिसमें उन्होंने व्यापार, आर्थिक और निवेश सहयोग पर बातचीत की.
बाद में एक्स पर पोस्ट लिखकर पीएम मोदी ने इस बातचीत को "बहुत अच्छी और विस्तृत" बताया. उन्होंने यूक्रेन के ताज़ा घटनाक्रमों से अवगत कराने के लिए राष्ट्रपति पुतिन का धन्यवाद किया.
शिखर सम्मेलन के लिए दिया न्योता
अपनी पोस्ट में पीएम मोदी ने लिखा, मेरे मित्र राष्ट्रपति पुतिन के साथ बहुत अच्छी और विस्तृत बातचीत हुई. मैंने यूक्रेन के ताज़ा घटनाक्रमों से अवगत कराने के लिए उनका धन्यवाद किया. हमने अपने द्विपक्षीय एजेंडे की प्रगति की भी समीक्षा की और भारत-रूस विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी को और मज़बूत करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. मैं इस साल के अंत में भारत में राष्ट्रपति पुतिन की मेज़बानी करने के लिए उत्सुक हूं.
यह घटनाक्रम रूसी तेल ख़रीदने पर भारत पर टैरिफ़ लगाए जाने के बाद चल रहे तनाव के बीच हुआ है. ऐसे में यह अमेरिका को सीधे तौर पर उसकी औकात बताने जैसा है कि वह भारत को हल्के में लेना छोड़ दे. इस कूटनीति के जरिए भारत पश्चिमी देशों को स्पष्ट संदेश भेज रहा है कि मित्रता के लिए वह अपने किसी भी हित को दांव पर लगा सकता है लेकिन संकट में फंसे अपने मित्रों को नहीं छोड़ेगा, फिर चाहे उसे इसके लिए कोई भी कीमत क्यों न चुकानी पड़ी.
(एजेंसी ANI)