MBBS की डिग्री, UPSC में लिखी सफलता की इबारत, पिता थे IPS, अब बेटा बनेगा IAS

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Last Updated:April 24, 2025, 09:09 IST

UPSC CSE Result 2025: अगर आप मजबूत संकल्प के साथ किसी भी काम में लगते हैं, तो कम संसाधनों में भी अच्छा किया जा सकता है. ऐसी ही कहानी एक MBBS डॉक्टर की है, जिन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में 24वीं रैंक हासिल की ह...और पढ़ें

MBBS की डिग्री, UPSC में लिखी सफलता की इबारत, पिता थे IPS, अब बेटा बनेगा IAS

UPSC की परीक्षा में 24वीं रैंक हासिल की हैं.

हाइलाइट्स

UPSC 2025 में 24वीं रैंक हासिल की.बिना कोचिंग के छठे प्रयास में सफलता पाई.MBBS की डिग्री के बाद प्रशासनिक सेवा को चुना.

UPSC CSE Result 2025: कहते हैं न कि जहां चाह है, वहीं राह है. अगर आपके अंदर कुछ करने की चाहत हो, तो उसे पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता है. इस वाक्य को चरित्रार्थ बेंगलुरु के डॉक्टर ने किया है. उन्होंने देश की सबसे चुनौतीपूर्ण परीक्षा यूपीएससी सिविल सेवा 2024 में शानदार प्रदर्शन करते हुए कर्नाटक राज्य में टॉप किया है. इसके साथ ही वह ऑल इंडिया रैंक 24 हासिल की है. उन्हें यह मुकाम छठे प्रयास में बिना किसी कोचिंग के मिली है. जिनके बारे में हम बात कर रहे हैं, उनका नाम डॉ आर रंगमंजू (Dr. R Rangamanju) है.

MBBS की यहां से ली डिग्री
यूपीएससी 2025 में 24वीं रैंक लाने वाले रंगमंजू की प्रारंभिक शिक्षा नेशनल पब्लिक स्कूल, राजाजीनगर में हुई थी. इसके बाद उन्होंने एमबीबीएस की डिग्री बेंगलुरु मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (BMCRI) से प्राप्त की. डॉक्टर बनने के बावजूद उन्होंने अपने दिवंगत पिता पूर्व आईपीएस अधिकारी आर रमेश की सेवा भावना से प्रेरणा लेकर प्रशासनिक सेवा को अपना लक्ष्य बनाया.

पिता की विरासत और मां का समर्थन बना ताकत
सेवा में रहते हुए पिता की असामयिक मृत्यु ने रंगमंजू को अंदर से झकझोर दिया था. उनका सपना था कि वे अपने पिता की तरह समाज की सेवा करें. इस कठिन यात्रा में उनकी मां ने हर कदम पर साथ दिया, जो मानसिक और भावनात्मक रूप से उनके लिए एक मजबूत स्तंभ बनी रहीं.

बिना कोचिंग, तकनीक और साथियों के सहारे की गई तैयारी
कोचिंग सेंटर की मदद के बिना रंगमंजू ने यूपीएससी की तैयारी में एक अलग रास्ता अपनाया. उन्होंने एंथ्रोपोलॉजी को ऑप्शनल विषय के रूप में चुना और पढ़ाई के लिए ग्रुप डिस्काशन और मित्रों के साथ ग्रुप स्टडी को प्रमुख हथियार बनाया. साथ ही, AI टूल्स और ऑनलाइन संसाधनों ने भी उनकी सेल्फ-स्टडी को कारगर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

टेस्ट सीरीज़ और इंटरव्यू प्रैक्टिस से मिला आत्मविश्वास
डॉ. रंगमंजू ने प्रीलिम्स और मुख्य परीक्षा के लिए उन्होंने सेल्फ स्टडी पर भरोसा किया, वहीं इंटरव्यू यानी पर्सनैलिटी टेस्ट के लिए उन्होंने एक निजी अकादमी की मदद ली. वहां से मिले फीडबैक ने उनके उत्तरों को और धार दी और आत्मविश्वास बढ़ाया. रंगमंजू मानते हैं कि यही फीडबैक उनकी सफलता का अहम आधार बनी.

नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा
डॉ. रंगमंजू की कहानी यह बताती है कि अगर संकल्प मजबूत हो, तो साधनों की कमी सफलता की राह में बाधा नहीं बनती है. उनका सफर उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत है, जो साधारण बैकग्राउंड से आते हैं और बिना किसी विशेष संसाधन के भी बड़े लक्ष्य हासिल करना चाहते हैं.

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First Published :

April 24, 2025, 09:09 IST

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