Nepal Protest: नेपाल में इस समय युवाओं का प्रदर्शन काफी तेज हो गया, जहां इस प्रदर्शन ने हिंसा का रूप ले लिया है. इसमें कई लोगों की जान भी जा चुकी है. इस प्रदर्शन के पीछे की वजह कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाना है. हालांकि इसके बाद बड़ा सवाल यह है कि जब सोशल मीडिया पर बैन लग गया तो इतनी संख्या में लोग इकट्ठे कैसे हो गए? सबसे पहले तो आपको ये बता दें कि इस प्रदर्शन से पहले सोशल मीडिया पर एक ट्रेड खूब चला, जिसे 'नेपो बेबी' और 'नेपो किड' नाम दिया गया है. हालांकि ये ट्रेंड कहां से शुरू हुआ और कैसे ये सोशल मीडिया से सड़कों तक आ गया, ये भी जानना जरूरी है.
नेपाल में एक अनोखा और जोरदार आंदोलन शुरू हुआ है, जिसने युवाओं को सोशल मीडिया से सड़कों तक ला दिया है. यह सब शुरू हुआ 'नेपो किड' नाम के एक ऑनलाइन ट्रेंड से, जो अब भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़े अभियान में बदल गया है. नेपाल में टिकटॉक और रेडिट पर बैन नहीं लगा और यहीं से इस ट्रेंड की शुरूआत हुई. जहां टिकटॉक और रेडिट जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर युवाओं ने नेपाल के राजनेताओं और प्रभावशाली लोगों के बच्चों को 'Nepo Kid' या 'Nepo Baby' कहना शुरू कर दिया. ये दोनों शब्द नेपोटिज्म यानी भाई-भतीजावाद से आए हैं. इस कैंपेन के जरिए, युवा इन बच्चों की आलीशान जिंदगी पर सवाल उठा रहे हैं और आरोप लगा रहे हैं कि ये सभी सुख-सुविधाएं भ्रष्टाचार से मिली दौलत से खरीदी गई हैं.
क्या हैं 'नेपो किड' और 'नेपो बेबी' कैंपेन?
इस कैंपेन में सोशल मीडिया यूजर्स ने नेताओं के बच्चों की महंगी गाड़ियों, विदेश में पढ़ाई और शानदार छुट्टियों की तस्वीरें और वीडियो शेयर किए हैं. इन तस्वीरों को देखकर लोग भड़क गए हैं, क्योंकि ये उनकी अपनी मुश्किलों से बिलकुल अलग हैं. इसमें बताया गया कि आम नेपाली युवा अक्सर नौकरी की तलाश में विदेश जाते हैं और संघर्ष करते हैं, जबकि नेताओं के बच्चे बिना किसी मेहनत के ऐश-ओ-आराम की जिंदगी जीते हैं. जहां इस तुलना ने लोगों को बहुत परेशान किया और इसलिए यह आंदोलन आग की तरह फैल गया.
इस पेज ने दी दिशा
इस आंदोलन को आगे बढ़ाने में 'Gen.Z Nepal' नाम के एक इंस्टाग्राम पेज ने दिशा दिखाई. इस पेज ने विरोध प्रदर्शनों को शांतिपूर्ण रखने के लिए गाइडलाइंस, क्या करें और क्या न करें की लिस्ट और बाहरी लोगों से सावधान रहने की चेतावनी जैसी जानकारी शेयर की है. इसके अलावा दूसरे एक्टिविस्ट पेजों ने भी लोगों को आंदोलन के बारे में जानकारी दी और उन्हें शांति से विरोध करने के लिए प्रेरित किया.