बस्तर: बरसों बाद बस्तर माओवादी आतंक के कुहासे से बाहर निकला है. लोगों ने गहरी पीड़ा झेली. अब वे पुनः जीवन को व्यवस्थित करने में लगे हुए हैं और एक नई जिंदगी की शुरूआत कर रहे हैं. यह शुरूआत खुशियों से भरी हो, मंगलमय हो. गहरे तनाव से निकलने का एक रास्ता उत्साह से भरना होता है और यह खेलों के द्वारा हो सकता है. इस आवश्यकता को देखते हुए गृह मंत्री अमित शाह के निर्देश में राज्य के सीएम मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बस्तर ओलंपिक के आयोजन का निर्णय लिया.
इसका एक और भी गहरा निहितार्थ है. खेलों के बड़े आयोजन तभी संभव हो पाते हैं जब क्षेत्र में शांति हो. एक तरफ बंदूकें चल रही हों, लड़ाई की स्थिति हो, वहां खेल के बारे में कैसे सोचा जा सकता है. गृह मंत्री अमित शाह के विजन के मुताबिक बस्तर में साय सरकार ने एक साल के भीतर माओवादियों के सबसे सुरक्षित पनाहगाहों में माओवादियों पर हमले किये. मुठभेड़ हुए और 200 से अधिक माओवादियों को मार गिराया. टॉप नक्सल कमांडर हिड़मा के गांव में सुरक्षा बलों का कैंप खोला गया. यह बड़ा बदलाव है और इस बदलाव ने शांति लाई जिसकी वजह से बस्तर ओलंपिक संभव हो पाया.
इसके साथ यह भी तथ्य है कि बस्तर में माओवाद से लड़ाई एक अंधेरी सुरंग को खोदने की तरह थी. कई सालों से सुरक्षा बल प्रयास कर रहे थे लेकिन लड़ाई खिसक ही रही थी. पहली बार ऐसा हुआ है कि इस सुरंग से रौशनी की किरण नजर आ रही है और यह रोशनी पूरे बस्तर में उजाला फैला रही है. बस्तर के लोग इस सुख को समझ पा रहे हैं तभी वे बड़े पैमाने पर इन खेलों में हिस्सा लेने आये. बस्तर ओलंपिक में 1 लाख 65 हजार लोगों ने हिस्सा लिया. कोने कोने से लोग सामने आए. यह संख्या बताती है कि बस्तर में माओवाद पराजित हो गया. यह संख्या सरकार के मनोबल को बढ़ाती है. नक्सल हिंसा से संघर्ष कर रहे लोगों के मनोबल को बढ़ाती है.
आयोजन के समापन में केंद्रीय मंत्री अमित शाह आए और लोगों का हौसला बढ़ाया.
केंद्र सरकार के लिए बस्तर सर्वोच्च प्राथमिकता में
बस्तर ओलंपिक में नक्सल प्रभावित लोगों के साथ ही नक्सल हिंसा में अपने अंग गंवा चुके दिव्यांग लोगों ने हिस्सा लिया. इनके जोश को देखते हुए सबको पैरालंपिक खेलों की याद आ गई. आयोजन के समापन में केंद्रीय मंत्री अमित शाह आए और लोगों का हौसला बढ़ाया. उनके आने से यह मैसेज गया कि केंद्र सरकार के लिए बस्तर सर्वोच्च प्राथमिकता में है. यह लोगों का हौसला बढ़ाता है.
बस्तर ओलंपिक के आयोजन के माध्यम से यह संदेश भी गया कि बस्तर के लोगों की सकारात्मक ऊर्जा को दिशा दिखाई जाए तो इनमें अनेक संभावनाएं हैं. विशेष रूप से खेलों में जो प्रतिभा दिखाई है उससे उम्मीद है कि इन आदिवासी इलाकों की प्रतिभा अब दुनिया देखेगी. अमित शाह ने कहा भी कि साल 2036 में जब भारत में ओलंपिक खेल होंगे तो इनमें से बस्तर के लोग भी होंगे.
बस्तर को देश में मिली नई पहचान
सबसे बड़ी बात यह है कि इस खेल ने बस्तर की नई पहचान दुनिया को दिखा दी है जो सरकार प्रस्तुत करना चाहती थी. दिल्ली में बस्तर की पहचान यह है कि यहां उतरते ही गोलियों की आवाज सुनाई देगी. इसे बदलना था क्योंकि बस्तर का विकास तब होगा जब इसकी पुरानी पहचान स्थापित होगी. बस्तर में एशिया का नियाग्रा चित्रकोट है. चूना पत्थर की विश्वविख्यात गुफाएं हैं. आदिवासी संस्कृति अपने सुंदरतम रूप में है. इन सबके माध्यम से टूरिज्म के लिए बस्तर के दरवाजे खोलने सरकार बस्तर में इस तरह की गतिविधि कर रही है. अब यहां एयर कनेक्टिविटी भी उपलब्ध हो गई है इसके चलते यहां टूरिज्म की संभावनाएं और बढ़ेंगी.
भारत साफ्ट पावर के रूप में अपने को प्रमोट करना चाहता है और इसकी संस्कृति से ही यह संभव हो सकता है. आदिवासी संस्कृति का जो सबसे आदिम रूप है वो बस्तर में है और निश्चय ही दुनिया इसे देखना चाहेगी. बस्तर ओलंपिक ने इसके लिए रास्ते खोल दिये हैं.
बस्तर ओलंपिक से बस्तर में शांति और विकास की जागी नई उम्मीद
छत्तीसगढ़ राज्य के नक्सल प्रभावित संभाग बस्तर में बीते दिनों बस्तर ओलंपिक 2024 का सफल आयोजन केवल एक खेल आयोजन नहीं, बल्कि यह बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर, युवाओं की ऊर्जा और विकास की दिशा में चल रहे प्रयासों का प्रतीक है. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय कहते हैं कि इस आयोजन ने न केवल बस्तरवासियों को एकजुट किया, बल्कि युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने और सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने के लिए भी उत्साहित किया है. लेकर इसे ऐतिहासिक रूप से सफल बनाया है.
बस्तर ओलंपिक 2024 में एक लाख 65 हजार से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया.
गौरतलब है कि बस्तर ओलंपिक 2024 जनसहभागिता का सफल उदाहरण बना. इस आयोजन में बच्चों, युवाओं, महिलाओं और बुजुर्गों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया. बुजुर्गों ने अपने बचपन की यादें ताजा कीं, जबकि युवाओं ने अपनी ऊर्जा और प्रतिभा का प्रदर्शन किया. एक लाख 65 हजार से अधिक प्रतिभागियों की उपस्थिति ने इसे भारत के सबसे बड़े खेल आयोजनों में शामिल कर दिया. बस्तर ओलंपिक 2024 के अंतर्गत गोला फेक, तवा फेक, लंबी कूद, लंबी दौड़, रिलेरेस, बैडमिंटन, फुटबाल, कबड्डी, तीरंदाजी, कराटे, वॉलीबाल, रस्साकसी जैसी स्पर्धाओं का आयोजन हुआ. बस्तर ओलंपिक 2024 के प्रथम चरण में 6-16 नवम्बर तक विकासखण्ड स्तर पर दूसरे चरण में 19-26 नवम्बर तक जिला स्तर पर आयोजित स्पर्धाओं के विजेता खिलाड़ी ने अंतिम चरण में संभाग स्तर पर आयोजित स्पर्धाओं में हिस्सा लिया.
अबूझमाड़ अंचल में आ रहा बदलाव
बस्तर ओलंपिक में शामिल खिलाड़ियों ने बताया कि अबूझमाड़ क्षेत्र में सुरक्षा और आधारभूत सुविधाओं में लगातार सुधार हो रहा है. इस क्षेत्र में माओवादी घटनाओं में कमी आई है और लोगों का जीवन स्तर भी बेहतर हो रहा है. अबूझमाड़ के संवेदनशील इलाकों में सड़क, बिजली, पानी, आंगनबाड़ी केंद्र, स्कूल और उप-स्वास्थ्य केंद्र जैसी बुनियादी सुविधाएं बढ़ रही हैं. ईरकभट्टी, मसपुर और गारपा जैसे दूरस्थ गांवों तक अब पक्की सड़कें बन चुकी हैं, जिससे इन गांवों के निवासियों को शहरों और बाजारों से जोड़ने में आसानी हो रही है. नारायणपुर से गारपा और मसपुर तक बस सेवाओं की शुरुआत भी इस क्षेत्र के विकास में एक अहम कदम है, जिससे लोगों को यातायात में सहूलियत मिल रही है.
बस्तर क्षेत्र में माओवाद ने विकास को बाधित किया था. युवा वर्ग जो कभी माओवाद के प्रभाव से मुख्य धारा से जुड़ नहीं पाए थे. ऐसे कई युवा हैं जो सेना में शामिल हो कर देश की रक्षा करने की सोच रखते हैं उनके सपनों में बस्तर ओलम्पिक ने पंख लगा दिए हैं. आज क्षेत्र के युवाओं ने खेलों में भागीदारी के माध्यम से न केवल अपनी क्षमताओं को पहचाना है, बल्कि अपने गांव, जिला और राज्य का नाम रोशन करने की ओर कदम बढ़ाया है. ऐसे में बस्तर ओलम्पिक का आयोजन ऐसे युवाओं के लिए मील का पत्थर साबित हो रहा है. यह न केवल राज्य के पारंपरिक खेलों को सहेजने और संवारने का माध्यम बना है, बल्कि युवाओं के भविष्य को गढ़ने में मददगार हो रहा है.
मुख्यमंत्री जी का कहना है कि यह बस्तर ओलंपिक के आयोजन से हम युवाओं की ऊर्जा को सकारात्मक दिशा देने में सफल हुए है. खेलों के माध्यम से उन्हें शासन-प्रशासन से जोड़कर विकास कार्यों में भागीदार बनाने का प्रयास किया है. बस्तर ओलंपिक 2024 ने क्षेत्र में शांति और सामूहिक भागीदारी का माहौल बनाकर, बस्तर में चल रही महत्त्वपूर्ण रेल परियोजनाओं के साथ-साथ विकास की अन्य परियोजनाओं के लिए भी सकारात्मक वातावरण तैयार किया है. ये परियोजनाएं बस्तर के विकास को गति देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी.
बस्तर संभाग रेल कनेक्टिविटी से भी तेजी से जुड़ रहा है. राजधानी रायपुर से दल्लीराजहरा होते हुए अंतागढ़ तक यात्री ट्रेन का संचालन हो रहा है. तुमापाल (77 से 80 किमी) तक पुल-पुलियों का निर्माण पूर्ण हो चुका है. कोसरोण्डा से रावघाट (80-95 किमी) तक 21 पुल-पुलियों का निर्माण पूर्ण हो चुका है, और शेष कार्य प्रगति पर है. सरगीपाल के समीप रेलवे स्टेशन, प्लेटफार्म और आवासीय भवन का निर्माण कार्य भी जारी है. कोत्तावलसा से किरंदुल (446 किमी) रेल लाइन के दोहरीकरण का कार्य जारी है. छत्तीसगढ़ खंड (170 किमी) में से 148 किमी का कार्य पूर्ण हो चुका है. इस परियोजना के पूरा होने से बस्तर के औद्योगिक और व्यापारिक विकास को नई गति मिलेगी.
बस्तर ओलंपिक और विकास परियोजनाएं
बस्तर ने लंबे समय तक माओवादी हिंसा का दंश झेला है. मुख्यमंत्री साय का कहना है कि नक्सलवाद का समाधान शिक्षा, खेल, रोजगार और सकारात्मक वातावरण का निर्माण करने से होगा. बस्तर ओलंपिक जैसे आयोजन युवाओं को हिंसा से दूर ले जाकर रचनात्मक और विकासात्मक गतिविधियों से जोड़ने में सहायक होंगे. रावघाट और के.के. रेल लाइन परियोजनाओं से क्षेत्र में व्यापार, परिवहन और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. यह परियोजनाएं रोजगार के नए अवसर सृजित करेंगी और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को मजबूत करेंगी. बस्तर ओलंपिक के माध्यम से जो सामाजिक एकजुटता बनी है, वह इन परियोजनाओं को तेजी से पूरा करने में सहायक होगी.
बस्तर ओलंपिक ने बस्तर की सांस्कृतिक पहचान को पुनर्जीवित किया है. खेलों के माध्यम से बस्तर की खेल प्रतिभाओं, वहां प्राकृतिक सौंदर्य, समृद्ध कला संस्कृति की विरासत को देश-दुनिया के सामने लाने में मदद मिलेगी. रेल परियोजनाएं इस क्षेत्र को पर्यटन के वैश्विक नक्शे पर मददगार साबित होंगे.
बस्तर ओलंपिक ने युवाओं को नेतृत्व और सामुदायिक विकास में भाग लेने के लिए प्रेरित किया. भविष्य में यह युवा बस्तर को शिक्षा, स्वास्थ्य और उद्योग के क्षेत्रों में नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे. बस्तर के कांगेर घाटी के धुड़मारास गांव को संयुक्त राष्ट्र द्वारा चयनित करना इस क्षेत्र के पर्यटन की असीम संभावनाओं का प्रमाण है. खेलों और विकास परियोजनाओं के संयुक्त प्रयास से समाज में शांति और समृद्धि का माहौल बनेगा.
बस्तर ओलंपिक 2024 और बस्तर में चल रही रेल परियोजनाएं क्षेत्र के विकास, शांति और समृद्धि की ओर एक नई शुरुआत हैं. मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में, यह आयोजन युवाओं को एक नई दिशा देने और बस्तरवासियों के लिए विकास की नींव रखने का माध्यम बना है. खेलों और विकास परियोजनाओं का यह संगम बस्तर को शांति और विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.
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FIRST PUBLISHED :
December 22, 2024, 12:00 IST