PK के एक दांव के सामने नीतीश हुए मजबूर? क्यों कट गई थी JP के घर की बिजली?

4 hours ago

Last Updated:May 22, 2025, 16:19 IST

PK Politics In Bihar: प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के गांव कल्याण बिगहा और जेपी के घर सिताब दियारा जाकर उनकी राजनीति पर बड़ा हमला किया. जेपी के घर का बिजली कनेक्शन काटा गया था, जिसे पीके के मीडिया में सामने लान...और पढ़ें

PK के एक दांव के सामने नीतीश हुए मजबूर? क्यों कट गई थी JP के घर की बिजली?

क्या बिहार चुनाव 2025 में जेपी के घर की बिजली गायब वाला मुद्दा छाएगा?

हाइलाइट्स

जेपी के घर का बिजली कनेक्शन काटा गया था.प्रशांत किशोर ने इस मुद्दे को उठाया.नीतीश सरकार ने 24 घंटे में बिजली बहाल की.

पटना. बिहार की सियासत में ‘पीके’ नाम का एक ऐसा शख्स आया है, जो कदम-कदम पर सीएम नीतीश कुमार की राजनीति को डेंट करने में पीछे नहीं रहते. कुछ दिन पहले प्रशांत किशोर जहां नीतीश कुमार के गांव कल्याण बिगहा पहुंचकर उनको चुनौती दी. वहीं, दो दिन पहले ‘संपूर्ण क्रांति आंदोलन’ के कर्ताधर्ता लोकनायक जयप्रकाश नारायण (जेपी) का पैतृक घर सिताब दियारा पहुंचकर एक सनसनीखेज खुलासा किया, जिसके बाद सबकी नजर एक बार फिर से पीके पर आकर टिक गई है. दरअसल, जिस जेपी के घर पर नीतीश एक बार नहीं दर्जनों बार गए और उस घर को हैरिटेज तक बनाने की बात की, उJPसी घर का बिजली कनेक्शन काट दिया गया. पीके ने इस मसले को उछालकर नीतीश कुमार की राजनीति पर तीखा हमला किया. हालांकि, अब जेपी के घर की बिजली बहाल कर दी गई है. लेकिन इस घटना ने नीतीश की राजनीति पर बड़ा डेंट किया.

सिताब दियारा, जेपी का पैतृक गांव, जहां उन्होंने ‘संपूर्ण क्रांति’ का नारा दिया था, वही घर एक साल तक अंधेरे में डूबा रहा. बिजली विभाग ने 4 लाख रुपये के बकाया बिल के कारण कनेक्शन काट दिया था. यह खबर तब सामने आई जब जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर अपनी ‘बिहार बदलाव यात्रा’ के तहत 21 मई 2025 को सिताब दियारा पहुंचे. उन्होंने इस स्थिति को सरकार की विफलता बताया और नीतीश कुमार व लालू प्रसाद यादव पर तंज कसा, जो जेपी के ‘चेले’ होने का दावा करते हैं. प्रशांत किशोर की अपील के बाद नीतीश सरकार ने तुरंत कार्रवाई की और 24 घंटे के भीतर बिजली बहाल कर दी. यह घटना नीतीश सरकार की उदासीनता को उजागर करती है, जो जेपी की विरासत का सम्मान करने का दावा करती है.

नीतीश को हर मोर्चे पर क्यों घेर रहे हैं पीके?
प्रशांत किशोर, जो पहले नीतीश कुमार, नरेंद्र मोदी और अन्य नेताओं के लिए चुनावी रणनीतिकार रह चुके हैं, अब अपनी जनसुराज पार्टी के साथ बिहार की राजनीति में एक नया विकल्प पेश कर रहे हैं. उनकी ‘बिहार बदलाव यात्रा’ का लक्ष्य 120 दिनों में बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों को कवर करना है. सिताब दियारा से पहले किशोर ने नीतीश कुमार के कल्याण बिगहा और महात्मा गांधी के भितिहरवा आश्रम का दौरा किया था, जहां भी उन्होंने स्थानीय समस्याओं को उठाया और सुधार करवाए. सिताब दियारा में उन्होंने न केवल बिजली कनेक्शन की बात की, बल्कि 2000 घरों की पेयजल समस्या को भी उजागर किया, जिसके लिए सरकार ने समाधान का वादा किया.

नीतीश कुमार और जेपी की विरासत
नीतीश कुमार, जिन्हें ‘सुशासन बाबू’ कहा जाता है, लंबे समय से बिहार की सत्ता में हैं. उन्होंने जेपी के आदर्शों को अपनाने का दावा किया है, लेकिन उनके शासन में जेपी के घर की ऐसी दुर्दशा ने सवाल खड़े किए हैं. किशोर ने इस मुद्दे को उठाकर नीतीश की छवि को नुकसान पहुंचाया है. नीतीश ने इस घटना पर कोई सीधा बयान नहीं दिया, लेकिन बिजली की त्वरित बहाली से पता चलता है कि सरकार जेपी के नाम पर समझौता नहीं करना चाहती.

2025 के विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण मोड़?
2025 के विधानसभा चुनाव नजदीक हैं, और यह घटना बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला सकती है. जेपी के घर का बिजली कनेक्शन कटना और फिर बहाल होना एक प्रतीकात्मक मुद्दा बन गया है. यह दिखाता है कि सरकार ऐतिहासिक विरासतों को बनाए रखने में विफल रही है, जिसे किशोर ने जनता के सामने लाकर सियासी लाभ उठाने की कोशिश की. उनकी जनसुराज पार्टी, जो सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है, विकास और शासन पर केंद्रित है. यह रणनीति बिहार की जातिगत राजनीति से अलग है और युवाओं व मध्यम वर्ग को आकर्षित कर सकती है.

इस घटना ने महागठबंधन और एनडीए दोनों के लिए एक सबक दिया है. नीतीश और लालू, जो जेपी की विरासत का दावा करते हैं, अब उनकी उपेक्षा के लिए आलोचना का सामना कर रहे हैं. दूसरी ओर, किशोर ने इस मुद्दे को उठाकर खुद को जनता का चैंपियन बनाया है. उनकी रणनीति नीतीश की सत्ता को चुनौती दे सकती है, खासकर अगर वह जनता की भावनाओं को और जोड़ पाए. जेपी के घर का बिजली कनेक्शन कटना और बहाल होना सिर्फ एक प्रशासनिक चूक नहीं है, बल्कि बिहार की सियासत में एक गहरे संदेश को दर्शाता है. यह घटना नीतीश कुमार की सरकार की कमियों को उजागर करती है और प्रशांत किशोर को एक नया सियासी मंच देती है.

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