RAW Job: R&AW यानी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग की नौकरी (Sarkari Naukri) पाने का सपना हर युवाओं का होता है. लेकिन इसमें शामिल होना या कहें कि रॉ एजेंट बनना किसी सपने को पूरा होने जैसा ही होता है. इसकी नौकरी तो बहुत ही शानदार होती है लेकिन इसमें शामिल होने के लिए कई तरह की प्रक्रियाओं से गुजरना होता है. अगर आप भी रॉ एजेंट बनने की ख्वाहिश रखते हैं, तो इसमें कैसे नौकरी मिलती है और किस प्रक्रिया से होकर गुजरना होता है. इन तमाम बातों को पूर्व रॉ एजेंट लकी बिष्ट (Lucky Bisht) से विस्तार से जानेंगे.
ऐसे भी RAW में मिलती है नौकरी
लकी बिष्ट बताते हैं कि वह कक्षा 11वीं में BRO के जरिए आर्मी को ज्वाइन किया था. जब कोई भी युवा BRO के माध्यम से भारतीय सेना में शामिल होते हैं, तो पहले उन्हें यूनिट नहीं मिलता है. ट्रेनिंग के बाद यूनिट मिलता है. भारतीय सेना में एक किसी खास रेजिमेंट के लिए रिक्रूट किया जाता है, तो उन्हें यूनिट के बारे में पता होता है लेकिन जब BRO के जरिए भर्ती होती है, तो यूनिट के बारे में पता नहीं होता है. ट्रेनिंग के बाद उनके टैलेंट के आधार पर अगल-अलग जगहों पर भेजा जाता है.
वह News18Hindi से आगे बातचीत में बताते हैं कि ट्रेनिंग के दौरान ही साइकोलॉजिकल और फिजिकल देखा जाता है. इसके बाद वहीं दोबारा टेस्ट लेकर सीक्रेट सर्विस के लिए चुना जाता है. लेकिन ट्रेनिंग के दौरान नहीं बताया जाता है कि आप सिक्रेट सर्विस का हिस्सा हैं. लकी ने अपनी स्कूली शिक्षा केंद्रीय विद्यालय न0 5 जयपुर से पूरी की हैं. उन्होंने कक्षा 11वीं के बाद से ही भारतीय सेना में शामिल हो गए थे. उनके पिता भी आर्मी से हैं और उनके दादा 1971 वार में शहीद हो गए थे.
RAW में ऐसे बनते हैं ऑफिसर
पूर्व रॉ एजेंट कहते हैं कि अगर किसी को सीक्रेट सर्विस यानी रॉ ज्वाइन करनी है, तो सबसे पहले उन्हें ग्रेजुएशन होना चाहिए. इसके अलावा इंटरनेशनल रिलेशन, जियोपॉलिटिक्स का अच्छा नॉलेज होना चाहिए. इसके साथ ही अगर अलग-अलग भाषाओं का ज्ञान हैं, तो इसे ज्वाइन करने में मददगार साबित हो सकता है. इसके अलावा ऑफिसर कैडर के लिए मुख्य तौर पर यूपीएससी के जरिए चुना जाता है. ट्रेनिंग के दौरान ही रॉ कुछ लोगों को डेस्क के लिए चुनती है.
कठिन ट्रेनिंग से होता है गुजरना
वह आगे बताते हैं कि रॉ में शामिल होने के लिए आपका बैकग्राउंड भारतीय सेना, नेवी और एयरफोर्स से होना चाहिए क्योंकि कभी-कभी रॉ डेपुटेशन के आधार पर भी वहां से रिक्रूट करते हैं. इसके अलावा आप इंटेलीजेंस ब्यूरो में काम कर रहे हैं और उसमें आपका अच्छा अनुभव रहता है, तो भी रॉ वहां से चयन करता है. इसमें चयन होने के बाद कई मुश्किल ट्रेनिंग से गुजरना होता है. इसमें आर्मी ट्रेनिंग, स्पेशल फोर्स की ट्रेनिंग और स्पाई ट्रेनिंग, जिसमें BOC यानी बैटल ऑब्सटेकल कोर्स, असॉल्ट ऑब्सटेकल कोर्स शामिल हैं. इसके अलावा BPT में 20 किलोग्राम का भार लेकर 5 किमी से 40 किमी की रनिंग भी करनी होती है.
RAW एजेंट की सैलरी और पॉवर
रॉ एजेंट के प्रोटोकॉल और पॉवर के बारे में लकी बिष्ट बताते हैं कि उनका भी प्रोटोकॉल और पॉवर की लिमिटेशन होती है. उन्हें खासकर बहुत ही ज्यादा प्रोटोकॉल का ध्यान रखना होता है क्योंकि एक गलती से एक दूसरे देशों के साथ संबंध खराब हो सकते हैं. वहीं सैलरी के बारे में वह आगे बताते हैं कि भारत सरकार में जिस तरह सभी का पे स्केल के जरिए सैलरी मिलती है, ठीक वैसे ही रॉ एजेंट को भी सैलरी मिलती है. लेकिन जब वह अलग-अलग देशों में होते हैं, तो उन्हें उसी के अनुसार एक्सट्रा अलाउंसेस मिलता है.
लकी बिष्ट ने इतिहास रचते हुए वह उपलब्धि हासिल की है, जो पहले कभी किसी भारतीय ने नहीं की. वह पहले भारतीय बन गए हैं, जिनकी जिंदगी पर आधारित किताब का सीक्वल प्रकाशित हुआ है. यह सीक्वल “Raw Hitman 2” बेस्टसेलिंग किताब “Raw Hitman” का अगला भाग है, और इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली है.
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FIRST PUBLISHED :
December 25, 2024, 17:19 IST