Agency:News18Hindi
Last Updated:February 22, 2025, 20:01 IST
आरबीआई के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दूसरा प्रधान सचिव नियुक्त किया गया है. दास का कार्यकाल पीएम मोदी के कार्यकाल तक होगा. एस जयशंकर, हरदीप पुरी, अश्विनी वैष्णव से लेकर दास तक मो...और पढ़ें
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रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दूसरा प्रधान सचिव नियुक्त किया गया है.
हाइलाइट्स
शक्तिकांत दास बने पीएम मोदी के दूसरे प्रधान सचिव.पूर्व नौकरशाहों पर पीएम मोदी का गहरा भरोसा.प्रशासनिक दक्षता और अनुभव के कारण नौकरशाहों की नियुक्ति.भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दूसरा प्रधान सचिव नियुक्त किया गया है. तमिलनाडु कैडर के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी दास का कार्यकाल प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल तक या अगले आदेश तक होगा. गुजरात कैडर के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी पीके मिश्रा इस समय प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव के रूप में काम रहे हैं. ऐसे में दास को उनके साथ ही यह जिम्मेदारी सौंपी गई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीतिक शैली और प्रशासनिक रणनीति में एक खास पैटर्न देखा गया है- पूर्व नौकरशाहों (IAS, IFS, IRS, IPS) पर गहरा भरोसा. चाहे वह विदेश मंत्री एस. जयशंकर हों, रेलवे और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव, पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी या फिर पूर्व आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास- मोदी सरकार में इन पूर्व ‘बाबुओं’ की अहम भूमिका रही है. सवाल उठता है कि आखिर क्यों पीएम मोदी इन पूर्व नौकरशाहों को इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां सौंपते हैं? इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं. तो चलिये इसे समझते हैं…
नौकरशाहों की प्रशासनिक दक्षता और अनुभव
IAS, IFS, IRS, और IPS अधिकारियों को अपनी सेवा के दौरान प्रशासनिक कामकाज, नीतियों के क्रियान्वयन और सरकार के भीतर फैसले लेने की गहरी समझ होती है. पीएम मोदी की कार्यशैली ऐसी है कि वह नीतियों के त्वरित और प्रभावी क्रियान्वयन को प्राथमिकता देते हैं. ऐसे में जब कोई पूर्व नौकरशाह सरकार में मंत्री या शीर्ष पदों पर आता है, तो उसे प्रशासनिक पेचीदगियों को समझने में ज्यादा वक्त नहीं लगता.
जयशंकर और पुरी ने मनवाया लोहा
एस. जयशंकर इसकी एक बड़ी मिसाल है. वह विदेश सेवा (IFS) के वरिष्ठ अधिकारी रहे और भारत की कूटनीति में गहरी पकड़ रखते हैं. विदेश नीति को लेकर मोदी सरकार के ‘आक्रामक’ और ‘राष्ट्रवादी’ रुख को जयशंकर ने बखूबी आगे बढ़ाया. वहीं हरदीप सिंह पुरी का नाम भी इसी फेहरिस्त में आता है. 1974 बैच के भारतीय विदेश सेवा अधिकारी पुरी ने 2009 से 2013 तक संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि के रूप में कार्य किया. पुरी जनवरी 2014 में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए और नवंबर 2020 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा में सांसद बने. 2019 में उन्हें आवास और शहरी मामलों के अलावा नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया. वहीं अब मोदी सरकार 3.0 में वह पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.
राजनीतिक अनुभव की कमी, लेकिन प्रशासनिक विशेषज्ञता
इन पूर्व नौकरशाहों के मामले में ऐसा देखा गया है कि वे ज्यादा टेक्नोक्रेटिक तरीके से फैसले लेते हैं. अब अश्विनी वैष्णव को ही लें तो आईएएस अधिकारी रहे वैष्णव को जब रेलवे और IT मंत्रालय सौंपा गया, तो उन्होंने न सिर्फ वंदे भारत जैसी हाई-प्रोफाइल परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाया बल्कि डिजिटल इंडिया के तहत भी बड़ी नीतिगत पहल की.
‘आउट ऑफ द बॉक्स’ सोचने वाले टेक्नोक्रेट्स की जरूरत
मोदी सरकार का ध्यान तेज गति से निर्णय लेने और नवाचार (innovation) को बढ़ावा देने पर रहता है. नौकरशाहों को विभिन्न मंत्रालयों में वर्षों तक काम करने का अनुभव होता है, जिससे वे अधिक व्यवस्थित और व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाते हैं. फिर चाहे डिजिटल इंडिया हो, आधार हो या UPI जैसी योजनाएं… इन्हें अच्छी तरह लागू करने में इन टेक्नोक्रेट्स और पूर्व नौकरशाहों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
मोदी सरकार की यह रणनीति अब तक काफी हद तक सफल रही है. विदेश नीति, आर्थिक नीतियां, रक्षा सौदे, इंफ्रास्ट्रक्चर विकास- हर क्षेत्र में इन पूर्व नौकरशाहों का प्रदर्शन प्रभावी रहा है. वित्त मंत्रालय में मुख्य सचिव रह चुके शक्तिकांत दास को इससे पहले आरबीआई गवर्नर बनाया गया था. उनके ऊपर सरकार की आर्थिक नीतियों को सही तरीके से लागू करने की बड़ी जिम्मेदारी थी. नोटबंदी और GST जैसे फैसलों के समय वह अपना लोहा भी मनवा चुके हैं. अब देखना होगा कि पीएम मोदी के दूसरे प्रधान सचिव के रूप में उनकी क्या भूमिका रहती है.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
February 22, 2025, 19:49 IST