Sunita Williams: 286 दिन बाद धरती पर लौटीं सुनीता विलियम्स, लेकिन अब सामने हैं ये चुनौतियां

9 hours ago

Sunita Williams: अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA की एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर 9 महीने बाद धरती पर वापस लौट आए हैं. बुधवार तड़के SpaceX के ड्रैगन कैप्सूल के जरिए फ्लोरिडा के तट पर उनकी कामयाब लैंडिंग हुई. 5 जून 2024 को सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर बोईंग स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट को लेकर अंतरिक्ष के लिए रवाना हुए. 8 दिन बाद 13 जून को इन्हें वापस आना था, लेकिन बोईंग में तकनीकी खराबी की वजह से उन्हें स्पेस स्टेशन पर 286 दिन गुजारने पड़े. अब जब दोनों एस्ट्रोनॉट की धरती पर वापसी हो गई है, तो आपके मन में कई तरह के सवाल आने लाजमी हैं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब कोई एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में आसानी से चल-फिर सकता है और सांस ले सकता है, तो फिर धरती पर लौटने के बाद वे कमजोर क्यों महसूस करते हैं या कभी-कभी बेहोश क्यों हो जाते हैं?

Astronauts sometimes faint or forget about gravity pic.twitter.com/Tu1m9EaY6X

— Black Hole (@konstructivizm) February 20, 2025

बेहोश क्यों होते हैं?

अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण नहीं होता, जिससे शरीर को अपने वजन को संभालने की जरूरत नहीं पड़ती. वहां मांसपेशियां और हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, और खून शरीर के ऊपरी हिस्से में जमा हो जाता है. लेकिन जब एस्ट्रोनॉट धरती पर लौटते हैं, तो गुरुत्वाकर्षण अचानक एक्टिव हो जाता है. इससे खून फिर से नीचे की ओर बहने लगता है, और कभी-कभी दिमाग तक पर्याप्त खून नहीं पहुंच पाता। इसी कारण एस्ट्रोनॉट को चक्कर आ सकते हैं या वे बेहोश हो सकते हैं.

अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने से एस्ट्रोनॉट के शरीर पर गंभीर प्रभाव पड़ते हैं. स्पेस में ज्यादा समय बिताने के कारण उनके शरीर में कई शारीरिक बदलाव हो सकते हैं. यदि इनका सही इलाज और देखभाल न की जाए, तो कुछ प्रभाव स्थायी भी हो सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि अंतरिक्ष में लंबे दिनों तक रहने के बाद एस्ट्रोनॉट के शरीर में क्या-क्या बदलाव आते हैं और उन्हें किन-किन चुनौतियों से गुजरना पड़ सकता है. 

बेबी फीट (Baby Feet), मांसपेशियों और हड्डियों की कमजोरी
अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण (Gravity) नहीं होता, जिससे हड्डियों और मांसपेशियों पर ज्यादा भार नहीं पड़ता. इससे हड्डियों की मोटाई कम हो जाती है और मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. हर महीने हड्डियों की घनत्व (Bone Density) 1% तक कम हो जाती है. साथ ही, पैरों में कठोरता कम हो जाती है, जिससे पैर शिशु के पैरों (Baby Feet) की तरह मुलायम हो जाते हैं. धरती पर लौटने के बाद चलने और चीजें पकड़ने में कठिनाई हो सकती है.

पफी हेड-बर्ड लेग्स सिंड्रोम (Puffy Head-Bird Legs Syndrome)
अंतरिक्ष में शरीर के तरल पदार्थ सिर की तरफ चले जाते हैं, जिससे शरीर में कई बदलाव देखने को मिलते हैं. इसमें चेहरा सूजा हुआ (Puffy Face) लगता है. नाक बंद रहती है और सिर के अंदर दबाव बढ़ जाता है. पैरों में तरल की कमी हो जाती है, जिससे वे पतले और कमजोर दिखते हैं. सिर और पैरों के आकार में यही बदलाव पफी हेड-बर्ड लेग्स सिंड्रोम कहलाता है. इसके अलावा, दिमाग में तरल बढ़ने से सुनने और देखने में दिक्कत हो सकती है. इसे स्पेसफ्लाइट असोसिएटेड न्यूरो-ऑक्यूलर सिंड्रोम (SANS) कहा जाता है.

Blood Circulation और दिल पर असर
HT की रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरिक्ष में दिल की बनावट भी बदल जाती है. दिल गोलाकार (Round Shape) हो जाता है और मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं. धरती पर लौटने के बाद एस्ट्रोनॉट के शरीर के खून का बहाव सही से नहीं हो पाता, जिससे ब्लड प्रेशर कंट्रोल करना मुश्किल हो जाता है. जिसके चलते चक्कर आना, मतली (Nausea) और बेहोशी जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

स्थायी स्वास्थ्य जोखिम (Permanent Health Risks)

रेडिएशन (Radiation) से खतरा
अंतरिक्ष में सूर्य से निकलने वाली खतरनाक किरणों (Radiation) से बचाव मुश्किल होता है. 9 महीनों में सुनीता विलियम्स ने करीब 270 बार चेस्ट एक्स-रे के बराबर रेडिएशन झेला. इससे कैंसर, हड्डियों की कमजोरी (Osteoporosis) और तंत्रिका तंत्र (Nervous System) से जुड़ी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है.

मानसिक स्वास्थ्य पर असर
अंतरिक्ष यात्रा केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी चुनौतीपूर्ण होती है. नींद का समय (Sleep Cycle) और जैविक घड़ी (Body Clock) बिगड़ जाती है, जिससे तनाव और मानसिक थकान होती है.
साथ ही, अकेलापन और दबाव मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डाल सकता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, अंतरिक्ष यात्रियों को डिप्रेशन (Depression), चिंता (Anxiety) और याददाश्त में कमी (Cognitive Decline) जैसी समस्याएं हो सकती हैं.

डीएनए पर प्रभाव
नासा के 2019 के 'ट्विन स्टडी' के अनुसार, अंतरिक्ष में रहने से 7% जीन (Genes) स्थायी रूप से बदल जाते हैं. इससे बुढ़ापे की प्रक्रिया तेज और रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immune System) कमजोर हो सकती है.
शरीर को सामान्य स्थिति में लौटने में कई महीने लग सकते हैं.

चुनौतियां
सुनीता विलियम्स और बैरी विलमोर की धरती पर वापसी अंतरिक्ष विज्ञान के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, लेकिन उनकी चुनौतियां अभी खत्म नहीं हुई हैं. हालांकि, अंतरिक्ष यात्रा के शारीरिक और मानसिक प्रभाव से निपटने के लिए सही देखभाल और उपचार जरूरी होगा. उनके इस मिशन से वैज्ञानिकों को यह समझने में भी मदद मिलेगी कि लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहने से शरीर पर क्या प्रभाव पड़ता है और भविष्य में इसे कैसे रोका जा सकता है.

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