TMC भी लड़ेगी बिहार में चुनाव... कीर्ति और शत्रु किसको करेंगे 'खामोश'?

2 hours ago

Last Updated:May 22, 2025, 19:30 IST

TMC Fight Bihar Chunav News: क्या पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी भी बिहार चुनाव लडेगी? क्या शत्रुघ्न सिन्हा और कीर्ति झा आजाद बिहार चुनाव में बीजेपी से पुराना हिसाब-किताब बराबर करेंगे?

TMC भी लड़ेगी बिहार में चुनाव... कीर्ति और शत्रु किसको करेंगे 'खामोश'?

क्या टीएमसी बिहार चुनाव लड़ेगी?

हाइलाइट्स

टीएमसी की भी बिहार चुनाव में उतरने की संभावना?शत्रुघ्न सिन्हा और कीर्ति झा आजाद की भूमिका अहम?क्या बिहार में 2025 के चुनाव में कांटे की टक्कर?

पटना. बिहार विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी ने भी सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. अरविंद केजरीवाल के बाद अब सबकी नजर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी पर आकर टिक गई है. बिहार के सियासी गलियारे में एक सवाल जोर पकड़ रहा है कि क्या ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस बिहार में चुनावी मैदान में उतरेगी? क्या टीएमसी के बिहारी मूल के दो सांसद शत्रुघन सिन्हा और कीर्ति झा आजाद बिहार चुनाव में अहम भूमिका निभाएंगे? क्या बिहार में कायस्थ और ब्राह्मण वोटों का बंटवारा होगा? या फिर टीएमसी और आरजेडी में गठबंधन होगा?

बता दें कि तृणमूल कांग्रेस ने अभी तक बिहार विधानसभा चुनावों में हिस्सा लेने की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है. हालांकि, टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने केंद्रीय बजट 2025 पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि यह बजट बिहार चुनावों को ध्यान में रखकर बनाया गया है. यह बयान दर्शाता है कि टीएमसी बिहार की सियासत पर नजर रख रही है. फिर भी, पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनावों पर पार्टी का मुख्य ध्यान है, जहां वह अपनी सत्ता बरकरार रखना चाहती है.

बिहार का सियासी मंच और टीएमसी
बिहार में टीएमसी का प्रवेश स्थानीय गठबंधनों, मतदाता आधार और संसाधनों पर निर्भर करेगा. पश्चिम बंगाल में टीएमसी की सफलता, जहां उसने भाजपा को कड़ी टक्कर दी, बिहार में भी एक मॉडल हो सकती है, लेकिन बिहार का जटिल जातिगत समीकरण और स्थापित दलों की मौजूदगी इसे चुनौतीपूर्ण बनाता है. हालांकि ममता बनर्जी का ब्रह्माण होना और बिहार के एक टीएमसी सांसद कीर्ति झा आजाद का ब्राह्मण होना कुछ फर्क डाल सकता है. शत्रुघन सिन्हा कायस्थ जाति से आते हैं तो हो सकता है कि पटना के आस-पास के इलाकों में उनका कुछ प्रभाव हो. क्योंकि, टीएमसी और आरजेडी में रिश्ता बहुत अच्छा है और बीते पश्चिम बंगाल चुनाव में तेजस्वी यादव ने टीएमसी के पक्ष में प्रचार किया था. ऐसे में टीएमसी की बिहार में चुनाव लड़ने की संभावना कम ही नजर आती है.

क्या शत्रुघन करेंगे ‘खामोश’
इसके बावजूद राजनीति में कुछ भी संभव है. शत्रुघ्न सिन्हा, जो बिहार के मशहूर अभिनेता और राजनेता हैं, वर्तमान में टीएमसी के सांसद हैं और आसनसोल से 2024 का लोकसभा चुनाव जीते हैं. बिहार में उनकी गहरी लोकप्रियता और राजनीतिक अनुभव उन्हें एक प्रभावशाली शख्सियत बनाता है. हाल ही में, सिन्हा ने एक एक्स पोस्ट में कहा कि सभी दल बिहार के 2025 चुनावों की तैयारी में जुटे हैं, और उन्होंने इस पर एक पत्रकार के साथ चर्चा की. सिन्हा दिल्ली विधानसभा चुनावों में आप के लिए भी प्रचार कर चुके हैं. यह उनकी सक्रियता और गठबंधन-आधारित रणनीति को दर्शाता है. अगर टीएमसी बिहार में उतरती है तो सिन्हा प्रचार में अहम भूमिका निभा सकते हैं. उनकी बिहारी पहचान और स्टार पावर मतदाताओं को आकर्षित कर सकती है.

कीर्ति झा आजाद की क्या होगी भूमिका
कीर्ति झा आजाद, 1983 की विश्व कप विजेता भारतीय क्रिकेट टीम के सदस्य, 2024 में पश्चिम बंगाल के बर्दमान-दुर्गापुर से टीएमसी के टिकट पर लोकसभा सांसद बने हैं. बिहार से उनका गहरा नाता है. राज्य के पूर्व सीएम भागवत झा आजाद के पुत्र हैं. बीजेपी के टिकट पर दरभंगा से सांसद भी रह चुके हैं. 2025 के बिहार चुनावों में उनकी भूमिका अभी स्पष्ट नहीं है. अगर टीएमसी बिहार में चुनाव लड़ती है तो आजाद की खेल और राजनीतिक पृष्ठभूमि पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकती है. उनकी बिहारी जड़ें और टीएमसी में नया जोश उन्हें प्रचार या रणनीति में महत्वपूर्ण बना सकता है.

कुलमिलाकर बिहार में 2025 के चुनाव एक कांटे की टक्कर होने वाले हैं. आम आदमी पार्टी ने सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है. एनडीए और महागठबंधन में अभी तक मुख्य लड़ाई है. इसको जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर त्रिकोणीय बना रहे हैं. ऐसे में अगर आम आदमी पार्टी और टीएमसी जैसी पार्टियां आती हैं तो वोटों का बड़ा बिखराव होगा. इससे यह अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाएगा कि किस गठबंधन की सरकार बनेगी.

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