Why Questions Raised on European Countries: यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और अमेरिकी प्रेसिडेंट ट्रंप के बीच बहस हुई, जिसके बाद दुनिया के समीकरण एकदम से बदलते नजर आ रहे हैं. कल तक जो ब्रिटेन, अमेरिका के साथ था. उसने जेलेंस्की को न सिर्फ लगे लगाया बल्कि भारी भरकम मदद का भरोसा भी दिया. ब्रिटेन के साथ साथ फ्रांस भी यूक्रेन के सपोर्ट में उतर गया है. ऐसे में सवाल है कि क्या अब ट्रंप यूरोपीय ताकतों से दुश्मनी मोल लेंगे.
क्या आमने-सामने आ सकते हैं यूएस और यूरोप?
ट्रंप ने जेलेंस्की को हड़काया तो वे यूरोपीय देशों की शरण में पहुंच गए. यूरोप की बड़ी ताकतों ने जिस तरह से जेलेंस्की का वेलकम किया. उससे ट्रंप का पारा हाई होना तय है. ऐसे में सवाल है कि क्या जेलेंस्की की जिद के चलते अमेरिका और यूरोप अब आमने-सामने आ सकते हैं. क्या जेलेंस्की और ट्रंप के बीच हुई बहस के चलते यूरोपीय देशों का बुरा वक्त शुरू होने वाला है. क्या अब यूरोप से दुश्मनी मोल ले सकते हैं ट्रंप?
इन 3 वजहों से उठने लगे हैं सवाल
ऐसा कहने की एक नहीं बल्कि तीन बड़ी वजहें हैं. पहली वजह, ब्रिटेन का जेलेंस्की को मदद का ऐलान. दूसरी वजह, फ्रांस का यूक्रेन के साथ खड़े होना और तीसरी बड़ी वजह है, जर्मनी का यूक्रेन का समर्थन करना. मतलब कल तक जो यूरोपीय देश अमेरिका के आगे नतमस्तक थे. वो आज जेलेंस्की और यूक्रेन को लेकर ट्रंप के खिलाफ खड़े होने की हिमाकत कर रहे हैं.
ब्रिटेन ने यूक्रेन को मदद का किया ऐलान
इसकी शुरुआत की है ब्रिटेन ने. ट्रंप से मुलाकात के बाद जेलेंस्की सबसे पहले ब्रिटेन पहुंचे थे. जिस उम्मीद से जेलेंस्की ने लंदन में कदम रखा, उससे आगे बढ़कर ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर ने जेलेंस्की का न सिर्फ वेलकम किया बल्कि जंग लड़ने के लिए भारी भरकम मदद का ऐलान कर एक तरह से ट्रंप को चिढ़ाने की कोशिश भी कर दी है. ब्रिटेन ने यूक्रेन को 14 हजार करोड़ रुपये की मदद देने का भरोसा दिया है. इस पैसे से यूक्रेन 5000 एयर डिफेंस मिसाइलें खरीद सकता है.
फ्रांस ने भी साथ देने का दिया भरोसा
मतलब अभी तक अमेरिका के दम पर पुतिन से पंगा लेने वाले जेलेंस्की अब यूरोप के दम पर जंग को जारी रखना चाहते हैं. ब्रिटेन के बाद एक और यूरोपीय देश भी जेलेंस्की के झांसे में आ गया है. ये मुल्क है फ्रांस, जिसने मिलकर युद्ध विराम की रणनीति बनाने का भरोसा जेलेंस्की को दिया है. वहीं जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज भी दबी जुबान में जेलेंस्की को मदद देने का ऐलान करते नजर आए.
इन देशों ने बनाई यूक्रेन से दूरी
हालांकि यूक्रेन के मुद्दे पर यूरोपीय यूनियन में भी दो फाड़ है. स्लोवाकिया ने यूक्रेन को मदद देने से इनकार कर दिया है. वहीं हंगरी ने भी ट्रंप को मजबूत राष्ट्रपति बताकर साफ कर दिया कि वो जंग में जेलेंस्की के साथ नहीं है. ऐसे में अगर यूरोप की बड़ी ताकतों ने ट्रंप से दुश्मनी मोल ली और जेलेंस्की को मदद देकर जंग में उतरने की गलती की तो ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी के लिए हालात ऐसे होंगे कि एक तरफ कुआ तो दूसरी तरफ खाई. मतलब एक तरफ पुतिन तो दूसरी तरफ ट्रंप. इसके बाद जो होगा, इसका अंजाम उन्हें बखूबी पता है.