Last Updated:March 07, 2025, 12:20 IST
यूपी के पूर्व उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा अब राज्यसभा सांसद के तौर पर 6, तुगलक लेन में रहते हैं. 6 मार्च को उन्होंने इस सड़क का नाम खुद ही बदलकर विवेकानंद मार्ग कर दिया. क्या वह ऐसा कर सकते हैं. क्या है इसकी प्र...और पढ़ें

बीजेपी सांसदों ने 'तुगलक लेन' की जगह लिखवाया 'विवेकानंद मार्ग'.
हाइलाइट्स
दिनेश शर्मा ने तुगलक लेन का नाम विवेकानंद मार्ग कियासड़क का नाम बदलने की प्रक्रिया जटिल और समय लेने वाली NDMC और केंद्र सरकार की मंजूरी आवश्यक होती हैउत्तर प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री और मौजूदा राज्यसभा सदस्य दिनेश शर्मा करीब तीन साल से 6, तुगलक लेन के सरकारी बंगले में रह रहे थे. अब उन्होंने अचानक इस सड़क का नाम खुद बदलकर विवेकानंद मार्ग कर दिया है. अपने घर के बाहर बदले हुए सड़क के नाम के साथ नई नेम प्लेट लगा दी है. वैसे ये बात भी सही है कि उनके नाम बदल लेने से इस सड़क का नाम नहीं बदलने वाला. दिल्ली में इसकी पूरी प्रक्रिया है, जो समय लेती है और इतनी आसान भी नहीं कि किसी भी सड़क का नाम कभी भी कोई बदल डाले.
दिनेश शर्मा 18 मार्च 2017 से 25 मार्च 2022 तक उत्तर प्रदेश में डिप्टी चीफ मिनिस्टर थे. इसके बाद उन्हें राज्यसभा सांसद चुना गया. वह दिल्ली आ गए. उन्हें मार्च 2022 में 6, तुगलक लेन पर सरकार आवास आवंटित किया गया. तब से वह यहीं रह रहे हैं. अब उन्होंने सरकारी आवास के पते को बदलकर “6, तुगलक लेन” से “6, विवेकानंद मार्ग” कर दिया है. यह बदलाव व्यक्तिगत स्तर पर किया गया है. आधिकारिक तौर पर सड़क का नाम बदला है.
दिल्ली में सड़कों के नाम बदलने की प्रक्रिया व्यवस्थित और नियमानुसार होती है. इसके लिए कई स्तरों पर मंजूरी और सहमति की जरूरत होती है. ये प्रक्रिया आम तौर पर नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (NDMC), दिल्ली सरकार, और अन्य संबंधित प्राधिकरणों के माध्यम से संचालित होती है.
कैसे इसका प्रस्ताव रखा जाता है
सड़क का नाम बदलने का प्रस्ताव कोई भी व्यक्ति, संगठन, या सरकारी निकाय शुरू कर सकता है. यह प्रस्ताव आम तौर पर उस क्षेत्र की स्थानीय नगरपालिका या प्राधिकरण (जैसे NDMC या दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग – PWD) के पास जमा किया जाता है, जिसके अंतर्गत वह सड़क आती है.
तुगलक लेन NDMC यानि नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (NDMC) के अधिकार क्षेत्र में आता है.
नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (NDMC) को केंद्र सरकार नियंत्रित करती है, न कि दिल्ली सरकार. इसका कारण यह है कि NDMC दिल्ली के उस हिस्से को संभालती है जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) के केंद्रीय और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में आता है, विशेष रूप से लुटियंस दिल्ली, जहां संसद, राष्ट्रपति भवन, मंत्रालय और अन्य केंद्रीय सरकारी संस्थान स्थित हैं.
तुगलक रोड स्थित पुलिस थाना, जहां महात्मा गांधी और इंदिरा गांधी दोनों की हत्या की प्राथमिकी दर्ज की गई.
दिल्ली में तीन प्रमुख नगरपालिका निकाय
नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (NDMC) – नई दिल्ली के केंद्रीय क्षेत्र को संभालती है.
दिल्ली नगर निगम (MCD) – दिल्ली के अधिकांश हिस्सों को कवर करती है.
दिल्ली छावनी परिषद (Delhi Cantonment Board) – छावनी क्षेत्र के लिए जिम्मेदार है.
फिर इस प्रस्ताव पर क्या होता है
प्रस्ताव को संबंधित नगरपालिका या प्राधिकरण की परिषद में रखा जाता है. चूंकि तुगलक लेन NDMC के तहत आता है, लिहाजा इसकी काउंसिल के सामने जब ऐसा प्रस्ताव आता है तो उसके 13 सदस्य, जिसमें एक चेयरपर्सन शामिल होता है, इस पर चर्चा करते हैं. सहमति बनाते हैं. यहां ये तय किया जाता है कि नाम बदलने का कारण उचित है या नहीं. कारणों में ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक महत्व या जनभावना शामिल हो सकती है.
फिर चाहिए केंद्र या राज्य सरकार की मंजूरी
यदि नगरपालिका स्तर पर प्रस्ताव पास हो जाता है, तो इसे दिल्ली सरकार के शहरी विकास विभाग (Urban Development Department) की “रोड नेमिंग अथॉरिटी” को भेजा जाता है. यह प्राधिकरण सड़क के नाम बदलने की औपचारिक मंजूरी देता है. लेकिन तुगलक लेन के मामले में जब NDMC नाम बदलने को मंजूरी दे देगी तो इसे केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा.
अधिसूचना और प्रकाशन
मंजूरी मिलने के बाद नाम बदलने का औपचारिक आदेश जारी किया जाता है. इसके लिए पोस्टमास्टर जनरल, दिल्ली को पत्र भेजा जाता है ताकि डाक सेवाओं में नया नाम अपडेट हो सके. साथ ही यह अधिसूचना सरकारी गजट में प्रकाशित की जाती है, जिससे यह कानूनी रूप से मान्य हो जाता है.
साइनेज और कार्यान्वयन
अंत में सड़क के बोर्ड, नक्शे, और अन्य आधिकारिक दस्तावेजों में नया नाम लागू किया जाता है. यह काम संबंधित प्राधिकरण (जैसे NDMC, MCD, या PWD) द्वारा किया जाता है.
कुछ खास बातें
केंद्र सरकार की भूमिका यदि सड़क राष्ट्रीय महत्व की है या केंद्र सरकार के अधीन आती है (जैसे रिंग रोड या राजपथ), तो केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय या गृह मंत्रालय भी प्रक्रिया में शामिल हो सकता है. उदाहरण के लिए, सराय काले खां चौक का नाम बदलकर बिरसा मुंडा चौक करने की घोषणा केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने की थी.
तुगलेक लेन कितनी पुरानी
तुगलक लेन (Tughlak Lane) नई दिल्ली के लुटियंस जोन में स्थित एक प्रमुख सड़क है, जो तुगलक रोड के निकट है. इस सड़क का नामकरण अंग्रेज सरकार ने 1920 में किया था, लिहाजा ये सड़क 100 सालों से ज्यादा पुरानी है और तुगलक लेन भी.
तुगलक लेन का इतिहास मुख्य रूप से ब्रिटिश औपनिवेशिक काल और नई दिल्ली के निर्माण से जुड़ा है. जब 1911 में ब्रिटिश सरकार ने भारत की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित करने का निर्णय लिया, तो नए शहर की योजना बनाई गई. इस योजना को मूर्त रूप देने का काम वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और हरबर्ट बेकर को सौंपा गया. नई दिल्ली का निर्माण 1911 से शुरू हुआ और 1931 में इसे औपचारिक रूप से उद्घाटन किया गया.
तुगलक लेन, तुगलक रोड के साथ, इसी नियोजित शहर का हिस्सा है, जो लुटियंस दिल्ली के नाम से प्रसिद्ध है. यह क्षेत्र सरकारी बंगलों, राजनेताओं और उच्च अधिकारियों के आवासों के लिए जाना जाता है.
तुगलक लेन का स्थान रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह तुगलक रोड, सफदरजंग रोड और अन्य प्रमुख सड़कों से जुड़ा हुआ है. इस क्षेत्र में कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल भी हैं, जैसे सफदरजंग मकबरा. तुगलक रोड पुलिस स्टेशन तो महात्मा गांधी और इंदिरा गांधी की हत्या से संबंधित प्राथमिकियों के लिए प्रसिद्ध है.
“तुगलक” नाम कब से और क्यों?
तुगलक लेन और तुगलक रोड का नाम तुगलक वंश (Tughlaq Dynasty) से प्रेरित है, जो दिल्ली सल्तनत का तीसरा प्रमुख वंश था. इस वंश की स्थापना गियासुद्दीन तुगलक ने 1320 में की थी. यह 1413 तक चला. तुगलक वंश के शासकों ने दिल्ली के आसपास कई स्थानों का निर्माण किया, जैसे तुगलकाबाद, जो दिल्ली से 6 किलोमीटर पूर्व में स्थित एक किला और शहर है.
इस वंश का नाम इसके संस्थापक गाजी मलिक (जो बाद में गियासुद्दीन तुगलक बने) के व्यक्तिगत नाम “तुगलक” से लिया गया है. तुगलक लेन का नाम औपचारिक रूप से तब रखा गया जब लुटियंस दिल्ली की सड़कों के नामकरण की प्रक्रिया शुरू हुई. यह नामकरण संभवतः 1920 के दशक में हुआ, जब नई दिल्ली की योजना और निर्माण अपने चरम पर था.
राहुल गांधी समेत कौन से प्रमुख नेता यहां रह चुके हैं
तुगलक लेन कई प्रमुख राजनेताओं और नेताओं के आवास का केंद्र रहा है.
राहुल गांधी
पता: 12, तुगलक लेन
राहुल गांधी ने 2004 से 2023 तक इस बंगले में निवास किया. अब वह सुनहरी बाग रोड के सरकारी बंगले में रहते हैं. तब वह तुगलक लेन में रहे, तब वह कांग्रेस सांसद के रूप में यहां रहे. 2023 में एक मानहानि मामले में लोकसभा से अयोग्यता के बाद उन्हें यह बंगला खाली करना पड़ा. वह यहां करीब 19 साल रहे.
लालकृष्ण आडवाणी
पता: 8, तुगलक लेन (संभावित, सटीक पता समय-समय पर बदलता रहा)
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी भी तुगलक लेन क्षेत्र में रह चुके हैं. उनके आवास का सटीक नंबर सार्वजनिक रूप से हमेशा स्पष्ट नहीं रहा, लेकिन यह क्षेत्र उनके लिए आवासीय ठिकाना रहा है.
कमलनाथ
पता: 1, तुगलक लेन
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी तुगलक लेन पर निवास किया है. यह बंगला उन्हें सांसद के रूप में आवंटित था.
ज्योतिरादित्य सिंधिया
पता: तुगलक लेन (सटीक नंबर स्पष्ट नहीं)
ज्योतिरादित्य सिंधिया, जो अब बीजेपी में हैं और केंद्रीय मंत्री हैं, पहले कांग्रेस सांसद के रूप में तुगलक लेन क्षेत्र में रह चुके हैं. उनका सटीक बंगला नंबर समय के साथ बदलता रहा है.
Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
March 07, 2025, 12:16 IST