Last Updated:May 16, 2025, 11:19 IST
Thane fake encounter: बदलापुर एनकाउंटर मामले में मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट ने पुलिस की 'सेल्फ डिफेंस' थ्योरी को संदिग्ध बताया है. फॉरेंसिक रिपोर्ट्स में अहम सबूत न मिलने से यह एनकाउंटर फर्जी प्रतीत हो रहा है.

महाराष्ट्र पुलिस
ठाणे जिले के बदलापुर में हुए एक कथित एनकाउंटर को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. एक मजिस्ट्रेट जांच में साफ तौर पर कहा गया है कि पुलिस का ‘सेल्फ डिफेंस’ यानी आत्मरक्षा का दावा शक के घेरे में है. 23 साल के आरोपी अक्षय शिंदे की मौत को लेकर पुलिस जो कहानी बता रही थी, उसे मेडिकल और फॉरेंसिक रिपोर्ट्स ने झूठा करार दिया है.
कौन था अक्षय शिंदे और क्या था मामला?
अक्षय शिंदे बदलापुर के एक स्कूल में क्लीनर का काम करता था. 17 अगस्त 2023 को दो नाबालिग छात्राओं से छेड़छाड़ के आरोप में उसे गिरफ्तार किया गया था. 23 सितंबर को उसे तलोजा जेल से ठाणे क्राइम ब्रांच ले जाया जा रहा था. उसी दौरान पुलिस वैन में उसे गोली मार दी गई. सीनियर इंस्पेक्टर संजय शिंदे ने दावा किया कि आरोपी ने एक पुलिसकर्मी की पिस्तौल छीनने की कोशिश की, और उन्होंने आत्मरक्षा में गोली चलाई.
परिवार ने हाईकोर्ट में लगाई गुहार
अक्षय के परिवार ने इस एनकाउंटर को फर्जी बताया और बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इसके बाद हाईकोर्ट ने मजिस्ट्रेट अशोक शेंगडे को जांच सौंप दी. उनकी 41 पेज की रिपोर्ट में कई ऐसे तथ्य सामने आए हैं जो पुलिस की कहानी को झूठा साबित करते हैं.
जांच में सामने आए 7 बड़े सवाल
इस जांच रिपोर्ट में सात अहम बिंदु सामने आए हैं, जो पुलिस की कहानी में झोल दिखाते हैं.
1. हाथों पर बारूद के निशान नहीं मिले
अगर अक्षय ने सच में गोली चलाई होती, तो उसके हाथों पर बारूद के अंश मिलते. लेकिन फॉरेंसिक रिपोर्ट में हाथ धोने के पानी और उसके दस्तानों में ऐसा कुछ नहीं मिला.
2. हथकड़ी पर भी कोई बारूद नहीं
उसकी बाईं कलाई में लगी हथकड़ी पर भी गोली चलाने से जुड़े कोई निशान नहीं मिले. जबकि गोली चलाते वक्त हथकड़ी पर कोई न कोई बारूद या गंदगी लगती.
3. पिस्तौल पर नहीं मिले फिंगरप्रिंट
पुलिस का दावा है कि अक्षय ने असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर मोरे की 9mm पिस्तौल छीन ली थी. लेकिन जांच में उस पिस्तौल पर अक्षय के कोई फिंगरप्रिंट नहीं मिले.
4. पानी की बोतलों पर भी नहीं थे निशान
पुलिस का कहना है कि आरोपी ने पानी पीने के बहाने बोतल उठाई और तभी पिस्तौल छीनी. लेकिन वैन में मौजूद 12 बोतलों पर किसी के भी फिंगरप्रिंट नहीं मिले.
5. गोली चलने की दूरी भी सवालों में
फॉरेंसिक रिपोर्ट के मुताबिक, गोली तीन फीट से ज्यादा दूरी से चलाई गई थी, जबकि पुलिस कह रही थी कि हाथापाई के दौरान बेहद पास से गोली चली.
6. मेडिकल रिपोर्ट में चोटों के संकेत
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ है कि अक्षय के शरीर पर कुछ ऐसी चोटें थीं जो किसी भारी और कठोर चीज़ से मारी गई थीं, यानी उसे पीटा भी गया था.
7. चार पुलिस वाले कुछ नहीं कर पाए?
गाड़ी में कुल पांच पुलिसकर्मी थे और अक्षय अकेला था. फिर भी पुलिस ने उसे काबू करने की बजाय सिर पर गोली मार दी. मजिस्ट्रेट ने इसे अत्यधिक बल प्रयोग बताया.
एनकाउंटर पर अब उठ रही हैं उंगलियां
मजिस्ट्रेट रिपोर्ट कहती है कि पुलिस जिस ‘सेल्फ डिफेंस’ का हवाला दे रही है, वह संदेह के घेरे में है. रिपोर्ट में कहा गया कि यह जांच जरूरी है कि क्या बल प्रयोग वाजिब था. रिपोर्ट में लिखा गया – “इन हालात में साफ है कि गोली चलाना जरूरी नहीं था. मृतक के माता-पिता के आरोपों में दम है और पांचों पुलिसकर्मी इस मौत के लिए जिम्मेदार हैं.”
SIT करेगी अब जांच
हाईकोर्ट के आदेश पर पहले CID को FIR दर्ज कर जांच करनी थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. इसके बाद कोर्ट ने मुंबई क्राइम ब्रांच के मुखिया के तहत एक SIT गठित की. बाद में महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची. सुप्रीम कोर्ट ने भी नई SIT बनाने के आदेश दिए. अब DIG दत्ता शिंदे इस नई जांच टीम का नेतृत्व करेंगे.
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