Last Updated:July 09, 2025, 23:23 IST
PM Modi Address Namibia Parliament: नामीबिया की संसद को संबोधित करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत अफ्रीका को संसाधन नहीं, साझेदार मानता है. उन्होंने अमेरिका-चीन की 'शोषण नीति' पर सीधा कूटनीतिक वार किया.

नामीबिया की धरती से PM मोदी ने पूरे अफ्रीका महाद्वीप को संबोधित किया.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को नामीबिया की संसद से पूरे अफ्रीका को संबोधित किया. ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ को मानने वाले भारत के प्रतिनिधि के रूप में उनके भाषण में मानवीय पुट भरपूर था. पीएम मोदी ने साफ कहा कि भारत, अफ्रीका को ‘साझेदार’ की तरह देखता है, महज कच्चे माल का स्रोत नहीं. मोदी का यह तीर उन महाशक्तियों की ओर था, जो दशकों से अफ्रीका को ‘कच्चे माल की खान’ समझती रही हैं. PM ने पश्चिमी देशों और चीन की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘भारत अफ्रीका को सिर्फ कच्चे माल का स्रोत नहीं मानता. भारत मानता है कि अफ्रीका और ग्लोबल साउथ खुद अपनी नियति तय कर सकते हैं, अपना रास्ता खुद बना सकते हैं.’ इस एक लाइन से मोदी ने चीन की ‘एक बेल्ट, एक रोड’ जैसी योजनाओं और अमेरिका की ‘इकोनॉमिक डिप्लोमेसी’ को चुनौती दे दी.
70 साल पुराना रिश्ता याद दिलाया
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में भारत और नामीबिया के ऐतिहासिक संबंधों की चर्चा की. उन्होंने कहा कि भारत ने उस समय भी नामीबिया की आज़ादी की लड़ाई का समर्थन किया जब वह खुद औपनिवेशिक शासन से जूझ रहा था. उन्होंने याद दिलाया कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र में साउथ वेस्ट अफ्रीका की आज़ादी का मुद्दा उठाया था और SWAPO (South West Africa People’s Organisation) का पहला विदेशी दफ्तर भी नई दिल्ली में ही खुला था.
‘यूपीआई’ से जोड़ा डिजिटल कनेक्शन
पीएम मोदी ने गर्व के साथ बताया कि नामीबिया भारत की यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) टेक्नोलॉजी अपनाने वाला पहला अफ्रीकी देश बना है. उन्होंने कहा, ‘अब कुनने की कोई भी दादी या कटुतुरा का दुकानदार बस एक टैप में डिजिटल पेमेंट कर सकेगा, स्प्रिंगबॉक की रफ्तार से भी तेज़.’ उन्होंने दोनों देशों के बीच 800 मिलियन डॉलर से अधिक के व्यापारिक रिश्तों की बात की और कहा, ‘जैसे क्रिकेट में हम वार्मअप करते हैं, वैसे ही अब असली स्कोरिंग शुरू होगी.’
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा ऐसे समय हुआ है जब अमेरिका और चीन दोनों अफ्रीका पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं.
अमेरिका क्या कर रहा है?
डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बाद व्हाइट हाउस ने अफ्रीका के 5 देशों (गैबॉन, गिनी-बिसाऊ, लाइबेरिया, मॉरिटानिया और सेनेगल) के राष्ट्राध्यक्षों को 3 दिवसीय वाशिंगटन समिट में बुलाया है. इस बैठक का उद्देश्य है- क्रिटिकल मिनरल्स, निवेश और व्यापार के जरिये कूटनीतिक प्रभाव बढ़ाना.
अमेरिका के विदेश नीति के चार मुख्य लक्ष्य हैं- समृद्धि (prosperity), शक्ति (power), शांति और सुरक्षा (peace), और सिद्धांत (principles). ट्रंप प्रशासन फिलहाल पहले दो – समृद्धि और शक्ति – पर फोकस कर रहा है. लेकिन चीन पहले ही बहुत आगे है.
-2003 में सिर्फ 18 अफ्रीकी देशों का चीन से ज्यादा व्यापार था.
-2023 तक ये संख्या 52 हो चुकी है (कुल 54 देशों में से).
-चीन ने गैबॉन से $4.3 बिलियन के निवेश डील साइन किए हैं.
-गिनी-बिसाऊ की हाईवे, फिशिंग पोर्ट, इंफ्रास्ट्रक्चर तक चीन ने ही तैयार किया है.
अमेरिका का नया मॉडल: ‘ट्रेड ओवर एड’
अमेरिका अब ‘चैरिटी मॉडल’ को खत्म कर चुका है. विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने USAID को बंद करते हुए कहा कि ‘अब अफ्रीका को मदद नहीं, अवसर की जरूरत है.’ लेकिन आलोचकों का कहना है कि ये ‘नया मॉडल’ भी सिर्फ संसाधन और वोट के लिए है, न कि साझेदारी के लिए.
मोदी का तीर, दो शिकार
PM मोदी के भाषण ने दोनों (अमेरिका और चीन) की नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. चीन को चुनौती मिली, जो अफ्रीका में भारी निवेश के बावजूद अबतक ‘विश्वसनीय मित्र’ नहीं बन पाया. अमेरिका को भी चेतावनी मिली कि ‘ट्रेड के नाम पर ट्रैपिंग’ की नीति अब काम नहीं आने वाली.
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें
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