अमोनियम नाइट्रेट की ABCD: नमक सा पाउडर, खाद में होता यूज, कैसे मचाता है तबाही?

4 weeks ago

Delhi Car Blast News : सौ बात की एक बात ये कि दिल्ली में हुए धमाके से पहले फरीदाबाद से अमोनियम नाइट्रेट की बरामदगी ने इस केमिकल की तरफ सब का ध्यान खींचा तो ये समझने की जरूरत है कि अमोनियम नाइट्रेट होता क्या है? क्या ये बम होता है या विस्फोटक होता है? और अगर ये विस्फोटक होता है तो इतनी बड़ी मात्रा में कैसे इसको स्टॉक कर के रखा गया था. तो ये जो केमिकल है अमोनियम नाइट्रेट ये असल में एक तरह का नमक होता है. नमक की तरह ही इसके सफ़ेद क्रिस्टल होते हैं. इसका केमिकल फ़ॉर्मुला होता है NH4NO3, लेकिन उसकी केमिकल डीटेल में ना जाते हुए ये जानना जरूरी है कि इसका इस्तेमाल मुख्य तौर पर तो एक खाद के रूप में होता है. ये प्राकृतिक नहीं होता, मतलब इसको लैब में बनाया जाता है.

अमोनिया और नाइट्रिक ऐसिड के रिएक्शन से अमोनियन नाइट्रेट तैयार किया जाता है. और नाइट्रेट वाले ज़्यादातर केमिकल दुनियाभर में खाद के रूप में इस्तेमाल होते हैं. क्योंकि इनसे फ़सल को नाइट्रोजन मिलती है. नाइट्रोजन से पैदावार ज़्यादा होती है, इसलिए नाइट्रेट वाली खाद कई फ़सलों में इस्तेमाल होती है. और अमोनियम नाइट्रेट क्योंकि एक तरह का नमक होता है तो ये पानी में आसानी से घुल जाता है. यानी इसका घोल बनाकर फ़सल में आसानी से इसको डाला जाता है. लेकिन इसकी एक और ख़ासियत ये होती है कि इससे नाइट्रोजन के साथ-साथ ऑक्सिजन भी निकलती है. और ऑक्सीजन निकलने का मतलब है कि इसमें विस्फोट हो सकता है. क्योंकि किसी भी पदार्थ को फटने के लिए या उसमें विस्फोट के साथ आग लगने के लिए ऑक्सीजन चाहिए होती है. और ऑक्सीजन इससे भरपूर मात्रा में निकलती है. लेकिन ये ख़ुद विस्फोट नहीं कर सकता. मतलब ये अपने आप नहीं फटता. इसको विस्फोटक बनाने के लिए या तो इसमें किसी विस्फोटक से विस्फोट करना पड़ता है या इसमें कोई विस्फोटक मिलाना पड़ता है. लेकिन एक बार विस्फोट हो जाए उसके बाद ये उसको विकराल कर देता है.

नमक की तरह होता है शांत और सफेद

जब तक इसमें विस्फोटक ना मिलाया जाए ये एक नमक की तरह ही शांत रहता है, इसलिए इसको आसानी से स्टोर किया जा सकता है. यानी अगर इसे किसी विस्फोटक से या आग से बचाकर रखा जाए तो इसमें अपने आप आग लगना बहुत ही मुश्किल है. लेकिन इसमें डीज़ल या पेट्रोल या केरोसीन मिलाकर विस्फोटक बनाया जाता है जिसको कहते हैं ANFO, यानी अमोनियम नाइट्रेट फ़्यूएल ऑयल. ये विस्फोट खदानों में विस्फोट कर के खुदाई करने के काम में इस्तेमाल किया जाता है. यानी फ़्यूएल ऑयल यानी डीज़ल की तरह का कोई तेल मिलाकर ये बहुत ही शक्तिशाली विस्फोटक बन जाता है. बिना उसके ये नमक की तरह रहता है, फिर चाहे उसे स्टोर करो, एक जगह से दूसरी जगह ले जाओ गाड़ी में, इसको कुछ नहीं होता.

तो चक्कर ये है कि क्योंकि ये एक खाद की तरह इस्तेमाल होता है इसलिए इसपर कोई बैन भी नहीं है. लेकिन क्योंकि इससे विस्फोटक बनाया जा सकता है इसलिए इसको बनाने और इसकी ख़रीद-फ़रोख़्त पर काफ़ी सख़्त नियम लागू हैं. दुनिया-भर में कई आतंकी घटनाओं में इसका इस्तेमाल पाया गया था, तो भारत में भी 2012 में क़ानून बनाया गया था कि कोई भी चीज़ जिसमें 45% से ज़्यादा अमोनियम नाइट्रेट होगा उसको क़ानूनी तौर पर विस्फोटक माना जाएगा. यानी इसको बनाने के लिए लाइसेंस चाहिए होता है. इसको बेचने के लिए लाइसेंस चाहिए होता है. इसको स्टोर करने के लिए लाइसेंस चाहिए होता है. इसको जिसको बेचा जाता है, उसका पूरा रिकॉर्ड रखना पड़ता है. कहां से आया, किसको दिया, सबका रिकॉर्ड रखना पड़ता है. कहां इस्तेमाल हुआ उसका रिकॉर्ड रखना पड़ता है.

यूपी में भी हो चुका है धमाका

तो क़ानून तो काफ़ी सख़्त है, लेकिन जिस तरह से इतनी मात्रा में मिला है उससे ज़ाहिर है कि कानून लागू करने में लोग लूपहोल निकाल रहे हैं. और क़ानून होने के बावजूद खाद के नाम पर इसको लेकर इसके गलत इस्तेमाल की आशंका बनी ही हुई है. नवंबर 2007 में उत्तर प्रदेश में धमाके हुए थे, तब इस केमिकल का नाम आया था. उसके बाद जयपुर धमाकों में बेंगलूरु धमाकों में, अहमादाबाद धमाकों में, दिल्ली धमाकों में इस केमिकल के इस्तेमाल की जब आशंका जताई गई थी तो 2012 में इसको कंट्रोल करने के मक़सद से क़ानून बनाया गया था. यानी इतनी बड़ी मात्रा में जो अमोनियम नाइट्रेट पकड़ा गया है वो जहां से आया होगा वहां तक पहुंचना अब जांच एजेंसियों के लिए के लिए जरूरी हो जाएगा. क्योंकि इसको बनाने के लिए तो लाइसेंस चाहिए होता है और पूरा रिकॉर्ड रखना पड़ता है.

कहां है सिस्टम में लीकेज

कानून होने के बावजूद अगर इस सिस्टम में लीकेज है तो ये बहुत ही ख़तरनाक लीकेज है. क्योंकि आतंकी हमलों में जिस RDX का नाम पब्लिक ने कई बार सुना है वो तो हथियार फ़ैक्टरियों जैसी जगहों में ही बन पाता है. RDX तो बहुत थोड़ा ही बहुत शक्तिशाली धमाका कर देता है लेकिन उसको सैन्य संगठनों से ही लिया जा सकता है या वहीं से स्मगल हो कर आता है ऐसा माना जाता है. अमोनियम नाइट्रेट में शक्तिशाली विस्फोट करने के लिए वो बहुत ज़्यादा मात्रा में चाहिए होता है, लेकिन क्योंकि वो एक खाद भी है तो वो इतनी मात्रा में जुटाया जा सकता है. अमोनियम नाइट्रेट को डीज़ल से मिलाकर जो ANFO नाम का विस्फोटक बनता है यानी अमोनियम नाइट्रेट फ़्युएल ऑयल, उसका इस्तेमाल अमेरिका के ओक्लाहोमा में 1995 में किया गया था. एक ट्रक में क़रीब 2,500 किलो ANFO रखकर एक पूरी सरकारी बिल्डिंग को उड़ा दिया था आतंकियों ने. 168 लोग मारे गये थे, और बिल्डिंग तो उड़ा दी ही गई थी, आसपास की 300 इमारतें हिल गई थीं.

अमेरिका भी देख चुका है दहशत

अमेरिका में ही 1970 में विस्कॉन्सिन की यूनिवर्सिटी में वियेतनाम जंग के विरोध में एक वैन में 1000 किलो ANFO से एक विस्फोट किया गया था. कहते हैं वैन के टुकड़े बिल्डिंग की आठवीं मंज़िल तक उड़ कर चले गए थे. यहां भारत में 2012 में पुणे में जंगली महाराज रोड पर कई छोटे विस्फोट हुए थे, उनमें भी ANFO पाया गया था. उससे पहले मुंबई में ऑपेरा हाउस, ज़ावेरी बाज़ार और दादर में धमाकों में 26 लोगों की जान गई थी, उसमें भी ANFO इस्तेमाल होने की आशंका जताई गई थी. ये तो ANFO के धमाके थे, यानी जिनमें अमोनियम नाइट्रेट में डीज़ल या काई और ईंधन मिलाकर अमोनियम नाइट्रेट फ़्युएल ऑयल बनाया गया था.

पूरी दुनिया में मचा चुका है तबाही

लेकिन 2020 में बेरूत में क्या हुआ था कि बंदरगाह पर एक गोदाम में 2750 टन अमोनियम नाइट्रेट रखा हुआ था, खाद के लिए इस्तेमाल करने के लिए. पास में कहीं आग लगी कुछ धमाका हुआ. और उस पास की आग से गोदाम में रखे अमोनियम नाइट्रेट में विस्फोट हो गया. क्योंकि अपने आप में तो वो एक नमक की तरह है, उसमें ख़ुद विस्फोट नहीं होता. पानी में मिलाकर फ़सल में डालते हैं. लेकिन पास के विस्फोट से उस गोदाम में ऐसा विस्फोट हुआ था कि पूरा का पूरा बंदरगाह ही उड़ गया था. 7 किलोमीटर दूर तक इमारतें हिल गई थीं, 218 लोगों की जान चली गई थी और 7000 लोग घायल हो गए थे. यानी शांत से दिखने वाला ये नमक अगर विस्फोटक से मिल जाए तो तबाही मचाने की ताक़त रखता है.

देश में नियम हैं सख्त

इसलिए ये जानना बहुत जरूरी है कि क़ानून होने के बावजूद इतना सारा अमोनियम नाइट्रेट जो पकड़ा गया, ये आया कहां से, कौन-सी ऐसी जगह है, जहां ये बना और रिकॉर्ड में नहीं आ पाया कि ये ऐसे लोगों को बेच दिया गया, जो इसको खाद के लिए तो इस्तेमाल करने वाले नहीं थे. अगर ये इंपोर्ट किया गया तो इसकी देश में एंट्री के भी सख़्त नियम हैं, तो उन सब विभागों को जवाब देना होगा, उन सब अधिकारियों को जवाब देना होगा कि इतनी बड़ी मात्रा में ये सिस्टम से बाहर कैसे निकल गया. आतंक के ख़िलाफ़ लड़ाई में एक भी कड़ी में अगर भ्रष्टाचार हो जाए, या लीकेज हो जाए तो सुरक्षा की कितनी भी मज़बूत दीवार हो उसमें सेंध लग जाती है. आतंकी तो आतंकी हैं हीं, असली देशद्रोही तो वो हैं ना, जिनकी वजह से इस तरह के केमिकल सिस्टम से बाहर पहुंच जाते हैं.

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