Last Updated:May 28, 2025, 18:54 IST
Jonas Masetti Vs iit Baba Story: विद्या विनय देती है, दिखावा तिरस्कार. ब्राजील के जोनास मासेटी ने भारतीय वैदिक संस्कृति अपनाकर पद्मश्री पाया, जबकि IIT खड़गपुर के अभय सिंह 'IIT बाबा' बनकर मजाक का पात्र बने.

इंजीनियरिंग से वेदांत तक, एक को मिला पद्मश्री, दूसरा बना ‘IIT बाबा’ मीम्स का चेहरा
हाइलाइट्स
जोनास मासेटी ने भारतीय वैदिक संस्कृति अपनाकर पद्मश्री पाया.IIT खड़गपुर के अभय सिंह 'IIT बाबा' बनकर मजाक का पात्र बने.जोनास मासेटी का मिशन 150,000 से अधिक विद्यार्थियों तक पहुंचा.विद्या विनय देती है, दिखावा तिरस्कार… यह सिर्फ कहावत नहीं सच्चाई है. यकीन न हो तो इन दो चेहरों को देख लीजिए. इंजीनियरिंग की डिग्री लेने वाले एक विदेशी ने भारतीय ज्ञान को अपनाकर वैश्विक पहचान हासिल कर ली, तो वहीं दूसरा मजाक का पात्र बन गया. हम बात कर रहे हैं ब्राजील से आए जोनास मासेटी की, जिन्होंने भारतीय वैदिक संस्कृति को अपनाया, और आज ‘वेदांताचार्य’ के रूप में वैश्विक पहचान के साथ पद्मश्री से नवाजे गए. दूसरी ओर भारत के एक प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थान से निकले अभय सिंह, जो ‘IIT बाबा’ बनकर सोशल मीडिया पर व्यंग्य का कारण बन गए. दोनों का मार्ग एक जैसे बिंदु से शुरू हुआ, इंजीनियरिंग, लेकिन एक की यात्रा वैदिक गुरु बनने तक पहुंची और दूसरे की वायरल वीडियो में उपहास तक.
ब्राजील के रियो डी जनेरियो में जन्मे जोनास मासेटी ने मिलिट्री इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग (IME) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. पांच वर्षों तक ब्राजीलियाई सेना में सेवाएं देने के बाद वे स्टॉक मार्केट में स्ट्रैटेजिक कंसल्टेंट के रूप में कार्यरत रहे. लेकिन जीवन की भौतिक सफलता के बावजूद उन्हें एक आध्यात्मिक खालीपन महसूस हुआ. इस आंतरिक खोज ने उन्हें योग और वेदांत की ओर खींचा. 2003 में उन्होंने इस राह की शुरुआत की और धीरे-धीरे ग्लोरिया एरिएरा और फिर स्वामी दयानंद सरस्वती के शिष्य बन गए. भारत के कोयंबटूर स्थित अर्ष विद्या गुरुकुलम में उन्होंने चार साल तक ट्रेनिंग ली.
150,000 बच्चों तक पहुंचे
2014 में वे ब्राजील लौटे और पेट्रोपोलिस में विश्व विद्या गुरुकुलम की स्थापना की. यहां वेदांत, भगवद् गीता, संस्कृत और वैदिक परंपराएं पढ़ाई जाती हैं. उनका यह मिशन आज 150,000 से अधिक विद्यार्थियों तक पहुंच चुका है. भारत सरकार ने 2025 में उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने मन की बात में उनकी तारीफ करते हुए कहा था कि जोनास जैसे लोग भारत की सांस्कृतिक शक्ति के जीवंत उदाहरण हैं.
सोशल मीडिया का सन्यासी ‘IIT बाबा’ अभय सिंह
वहीं, ‘IIT बाबा’ अभय सिंह, जो IIT खड़गपुर से पासआउट हैं, महाकुंभ में मजाक का पात्र बन गए. साधु-वेश में वे रील्स बनवाते, फोटो खिंचवाते, लोगों को ज्ञान बांटते उन्हें देखा गया. उनका अंदाज युवा पीढ़ी में वायरल तो हुआ, लेकिन आध्यात्मिकता से अधिक मीम कल्चर का हिस्सा बन गया. उनके विचारों को गंभीरता से सुनने से पहले ही उनके पहनावे और ‘IIT बाबा’ नाम पर लोग ठहाका लगा देते हैं. सवाल यह नहीं कि अभय सिंह क्या गलत कर रहे हैं, बल्कि यह कि एक व्यक्ति कैसे समाज की दृष्टि में सम्मान का पात्र बनता है और दूसरा मज़ाक का? क्या यह उनकी प्रस्तुति का मामला है या गहराई का?
पॉप कल्चर से प्रेरित दिखे
जोनास मासेटी की साधना व्यवस्थित, गुरु-शिष्य परंपरा से जुड़ी रही. उन्होंने वैदिक ज्ञान को केवल आत्मसात नहीं किया, बल्कि उसे आधुनिक तकनीक के जरिए दुनिया भर में फैलाया. वहीं ‘IIT बाबा’ की छवि अव्यवस्थित, आकस्मिक और कुछ हद तक पॉप कल्चर-प्रेरित लगती है. जोनास, जिन्हें अब ‘विश्वनाथ’ कहा जाता है, सादगीपूर्ण जीवन जीते हैं. रुद्राक्ष की माला, सूती वस्त्र, नंगे पांव. उनकी भाषा में गहराई है, विचारों में स्पष्टता और प्रस्तुति में विनम्रता है. वे कहते हैं, वेदांत केवल एक धर्म नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है. उनके अनुसार, भारत के युवाओं को अपनी संस्कृति को समझने और अपनाने की जरूरत है, न कि केवल पश्चिमी सोच की नकल करने की.
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
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