इतिहास नहीं बदल सकते लेकिन...चीनी राजदूत का भारत को ऑफर क्‍यों खास?

3 hours ago

Last Updated:September 08, 2025, 19:10 IST

भारत और चीन के बीच रिश्ते अक्सर उतार-चढ़ाव से गुजरे हैं लेकिन चीनी राजदूत का यह बयान दोनों देशों की पुरानी मित्रता की याद दिलाने और भविष्य के लिए सकारात्मक संदेश देने वाला है. कूटनीति, व्यापार और सांस्कृतिक संप...और पढ़ें

इतिहास नहीं बदल सकते लेकिन...चीनी राजदूत का भारत को ऑफर क्‍यों खास?प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्‍ट्रपत‍ि शी जिनपिंग. (Reuters)

भारत-चीन और का करीब आना कई देशों को खटक रहा है. अमेर‍िकी राष्‍ट्रपत‍ि डोनाल्‍ड ट्रंप तो इतने बेचैन हैं क‍ि यहां तक कह द‍िया क‍ि लगता है क‍ि भारत और रूस को हमने खो द‍िया. इन सबके बीच चीनी राजदूत शू फेइहोंग ने भारत चीन रिश्तों पर बड़ा बयान द‍िया है. सेकेंड वर्ल्‍ड वॉर की याद में आयोज‍ित एक कार्यक्रम में शू फेइहोंग ने कहा, ‘इतिहास को बदला नहीं जा सकता, लेकिन भविष्य को मिलकर गढ़ा जा सकता है. भारत और चीन को इतिहास से सबक लेकर शांति और सहयोग की मशाल आने वाली पीढ़ियों को सौंपनी होगी.’ यह बयान इसल‍िए भी खास है, क्‍योंक‍ि डोनाल्‍ड ट्रंप एक बार फ‍िर भारत को अपने साथ लाने की कोश‍िश कर रहे हैं.

चीनी राजदूत ने भारत और चीन के बीच ऐतिहासिक सहयोग की चर्चा करते हुए कहा कि दोनों देशों ने मिलकर फासीवाद और उपनिवेशवाद का विरोध किया था. उन्होंने याद दिलाया कि सेकेंड वर्ल्‍ड वॉर में 25 लाख से अधिक भारतीय सैनिक विभिन्न मोर्चों पर लड़े, जबकि भारतीय कामगारों ने चीन के लिए रणनीतिक माने जाने वाले लेडो रोड का निर्माण किया. शू फेइहोंग ने कहा कि इस कठिन दौर में भारतीय नेताओं और आम जनता ने चीन का जो साथ दिया, उसे चीनी जनता आज भी याद करती है.

चीन क्‍यों देने लगा ऑफर

चीनी राजदूत की बातें सुनने में थोड़ी स्लोगन जैसी लग सकती हैं, लेकिन इसका मतलब बड़ा साफ है – चीन भारत के साथ रिश्ता मजबूत करना चाहता है. ट्रंप टैर‍िफ के बाद चीन ये देख रहा है कि अगर वह भारत के करीब आता है, तो अमेरिका की बेचैनी और बढ़ जाएगी. और सच पूछो तो, ये सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं है, पूरी दुनिया की पॉलिटिक्स और ट्रेडिंग भी प्रभावित होगी. अगर भारत और चीन हाथ मिलाते हैं, तो दोनों मिलकर अपनी टेक्नोलॉजी, मार्केट और स्ट्रेटेजिक पोजीशन को और मजबूत कर सकते हैं. इसका सीधा असर होगा कि अमेरिका और यूरोप को अपनी रणनीतियों में बदलाव करना पड़ेगा.

भारत के ल‍िए ये ऑफर क्‍यों खास

भारत के लिए भी ये ऑफर खास है. चीन के साथ रिश्ते बेहतर होने का मतलब है कि दोनों देश अपनी आर्थिक और सुरक्षा चुनौतियों का सामना मिलकर कर सकते हैं. साथ ही, इससे दक्षिण एशिया और इंडो-पैसिफिक में भारत की पोजीशन भी मजबूत होगी. हां, इसमें रुकावटें भी हैं, जैसे सीमा के मसले और दोनों देशों की परंपरागत शक की भावना. लेकिन राजदूत का ये मैसेज साफ है – पुरानी बातों को भूलो, अब आगे की सोचो. साफ है क‍ि राजदूत का बयान सिर्फ कूटनीतिक हाय-हैलो नहीं है. ये एक बड़ा संकेत है कि एशिया की पॉलिटिक्स बदल सकती है. अगर दोनों देश साथ आएं तो अमेरिका समेत बाकी दुनिया की स्ट्रैटेजिक प्लानिंग में बड़ा झटका लग सकता है.

टैगोर से महात्‍मा गांधी तक को याद क‍िया

राजदूत ने विशेष रूप से रवीन्द्रनाथ टैगोर और महात्मा गांधी का उल्लेख किया. टैगोर ने उस समय चीन की आजादी और संघर्ष के समर्थन में आवाज उठाई थी. वहीं महात्मा गांधी ने चीनी जनता के साहस और बलिदान की सराहना करते हुए इसे मानवता की जीत करार दिया था. शू फेइहोंग ने कहा कि चीन की जनता भारतीय मित्रों के समर्थन को कभी नहीं भूल सकती. राजदूत ने कहा कि भारत और चीन दो प्राचीन सभ्यताएं हैं, जिनका साझा दायित्व है कि वे विश्व शांति और विकास में योगदान दें. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के पास न सिर्फ पुराना इतिहास है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भविष्य गढ़ने की जिम्मेदारी भी है.

भारत-चीन सहयोग के तीन सूत्र
राजदूत शू फेइहोंग भारत-चीन रिश्ते का तीन आधार बताया.

1. ग्रेट फ्रेंडश‍िप को आगे बढ़ाना
उन्होंने कहा कि जैसे War of Resistance के दौरान भारत-चीन ने एक-दूसरे का साथ दिया था, वैसे ही आज भी शांतिपूर्ण सहअस्तित्व और पड़ोसी मित्रता को मजबूत करना होगा. उन्होंने पंचशील सिद्धांतों की अहमियत को दोहराया और कहा कि ड्रैगन और एलीफैंट (चीन और भारत) को साथ मिलकर आगे बढ़ना चाहिए.

2. एकता और विकास का नया अध्याय लिखना
शू फेइहोंगे ने कहा कि जिस तरह 80 साल पहले दोनों देशों ने एकजुट होकर फासीवाद को हराया था, उसी तरह आज की चुनौतियों का भी मिलकर सामना किया जा सकता है. उन्होंने विकास को भारत और चीन का साझा एजेंडा बताया और कहा कि परस्पर सहयोग, समर्थन और संसाधनों के साझा उपयोग से दोनों देश लाभान्वित होंगे. आर्थिक रिश्तों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि केवल सात महीनों में भारत-चीन व्यापार 88 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है. यह दोनों देशों की अर्थव्यवस्था की गहराई और क्षमता को दर्शाता है.

3. पीपुल टू पीपुल कनेक्‍ट बढ़ाना
राजदूत ने कहा कि सिर्फ सरकारें ही नहीं, बल्कि आम लोगों के बीच भी रिश्तों को मजबूत करना होगा. उन्होंने बताया कि इस साल अब तक 2.4 लाख से अधिक भारतीय नागरिकों को चीन ने वीजा जारी किया है. तीर्थयात्राओं और पर्यटन वीज़ा को दोबारा शुरू किया गया है और जल्द ही सीधी उड़ानें भी शुरू होंगी. इसके अलावा उन्होंने राजनीतिक दलों, संसदों, थिंक टैंकों, मीडिया और युवाओं के बीच बढ़ते संपर्कों को भविष्य के रिश्तों की मजबूत नींव बताया.

Gyanendra Mishra

Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें

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Location :

Delhi,Delhi,Delhi

First Published :

September 08, 2025, 19:10 IST

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