Last Updated:April 01, 2025, 11:53 IST
Chennai News Today: चेन्नई की कोर्ट ने एक मॉल पर जुर्माना ठोकते हुए कहा कि विजिटर्स से पार्किंग चार्ज लेना अनुचित व्यवहार है. तत्काल इसे बंद करने का आदेश जारी किया गया. शख्स ने 80 रुपये वसूले जाने के खिलाफ ...और पढ़ें

कंज्यूमर कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया. (File Photo)
नई दिल्ली. आप भी अक्सर वीकेंड व अन्य दिनों में अपने परिवार व दोस्तों रिश्तेदारों के साथ शॉपिंग मॉल जरूर जाते होंगे. छुट्टी में परिवार के संग समय बिताना किसको पसंद नहीं है. अक्सर मॉल की पार्किंग में कार व स्कूटर-बाइक लगाने पर मोटा पार्किंग चार्ज वसूला जाता है. चेन्नई के एक मामले में उपभोक्ता अदालत ने कहा कि शॉपिंग मॉल में पार्किंग चार्ज लेना गलत है. एक मॉल पर 10 हजार का जुर्माना लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि भविष्य में वो विजिटर्स से पार्किंग चार्ज ना वसूलें. इस घटना ने अन्य राज्यों में भी लोगों के लिए उम्मीद जगा दी है कि उनसे मॉल में पार्किंग चार्ज ना वसूला जाए.
चेन्नई (उत्तर) की जिला उपभोक्ता अदालत ने माना कि थिरुमंगलम में वी.आर. मॉल द्वारा विजिटर्स से पार्किंग चार्ज लेना अनुचित व्यापार व्यवहार है. द हिन्दू की रिपोर्ट के अनुसार कोसापेट के वी. अरुण कुमार द्वारा दायर उपभोक्ता शिकायत का निपटारा करते हुए फोरम ने मॉल प्रशासन से इस प्रथा को न दोहराने को कहा.
कोर्ट में किस बात पर बाद-विवाद
शिकायतकर्ता ने कहा कि वह 26 अप्रैल, 2023 को शॉपिंग मॉल गए थे और मॉल की पार्किंग में एक घंटे और 57 मिनट के लिए अपने दोपहिया वाहन को पार्क करने के लिए उससे ₹80 का शुल्क लिया गया. शिकायतकर्ता ने एक कर्मचारी से पूछा कि जब मॉल को ग्राहकों और विजिटर्स को निःशुल्क पार्किंग सुविधा प्रदान करने का आदेश दिया गया था, तो शुल्क क्यों वसूला गया. हालांकि, मॉल ने तर्क दिया कि पार्किंग शुल्क लगाने पर कोई रोक नहीं है और संबंधित कानून, तमिलनाडु संयुक्त विकास और भवन नियम, 2019, केवल यह आवश्यक बनाता है कि विजिटर्स के लिए पर्याप्त पार्किंग स्थान उपलब्ध कराया जाए. इसमें यह अनिवार्य नहीं है कि पार्किंग “निःशुल्क” की पेशकश की जानी चाहिए.
कंज्यूमर कोर्ट ने क्या कहा?
विभिन्न प्रासंगिक निर्णयों पर चर्चा के बाद, डी. गोपीनाथ की अध्यक्षता वाले जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम (चेन्नई-उत्तर) की बेंच ने कहा कि चूंकि विपक्षी पक्ष पार्किंग शुल्क लगाने की अनुमति देने के लिए कोई सक्षम प्रावधान रिकॉर्ड पर लाने में विफल रहा है, इसलिए स्वाभाविक रूप से यह माना जाना चाहिए कि उनके पास ऐसे अधिकार नहीं हैं और इसलिए, उसी के अनुसार शुल्क लगाना स्पष्ट रूप से अनुचित व्यापार व्यवहार होगा. फोरम ने मॉल को इस अनुचित व्यापार व्यवहार के परिणामस्वरूप हुई मानसिक पीड़ा, दर्द और पीड़ा के लिए शिकायतकर्ता को ₹10,000 का मुआवजा देने का निर्देश दिया. मुकदमे की लागत के लिए ₹2,000 का भुगतान करने का भी निर्देश दिया गया.
First Published :
April 01, 2025, 11:53 IST