Henry Crocodile: जानवरों की दुनिया में बहुत कम ही ऐसे होते हैं जो काफी लंबे वक्त तक जिंदा रहते हैं कि वे सच में एक मिसाल बन सके. हालांकि, दक्षिण अफ्रीका के क्रोकवर्ल्ड कंजर्वेशन सेंटर में रहने वाला एक विशालकाय नील मगरमच्छ ऐसा कर दिखाया है. 'हेनरी' नाम का ये बूढ़ा मगरमच्छ ने इस सप्ताह अपना 124वां जन्मदिन मनाया. हेनरी कोई साधारण मगरमच्छ नहीं है. वह पृथ्वी पर सबसे ज्यादा उम्र का जीवित मगरमच्छ है. उसकी हैरान करने वाली उम्र न केवल लोगों में दिलचस्पी पैदा करती है, बल्कि बायोलोजिस्ट और एनिमल एक्सपर्ट्स का ध्यान भी खींचती है.
हालांकि, उनकी सही जन्मतिथि की जानाकारी किसी के पास नहीं है. जबकि हेनरी का जन्मदिन हर साल 16 दिसंबर को मनाया जाता है. 1900 के आसपास बोत्सवाना के ओकावैंगो डेल्टा में एक साधारण शुरुआत के रूप में जो कुछ शुरू हुआ, वह एक ऐसे जीवन में बदल गया जो वाइल्डलाइफ स्टोरीज का विषय बन गया है. हेनरी ने हाल ही में क्रोकवर्ल्ड संरक्षण केंद्र ( Crocworld Conservation Centre ) में अपना 124वां जन्मदिन मनाया. वह यहां 1985 से रह रहा है. लाइव साइंस के मुताबिक, ऐसा माना जाता है कि उसका जन्म साल 1900 के आसपास हुआ था, जिससे वह न केवल एक जीवित जानवर बन गया, बल्कि अब तक दर्ज किए गए सबसे पुराने मगरमच्छों में से एक बन गया.
कई पुरुषों और बच्चों को बनाया अपना शिकार
अलबामा यूनिवर्सिटी के जीवविज्ञानी स्टीवन ऑस्टैड (जो पशुओं की उम्र बढ़ने पर स्टडी करते हैं ) ने लाइव साइंस को दिए एक बयान में कहा, 'वह स्पष्ट रूप से बूढ़ा है.' उन्होंने कहा, 'वह 100 साल का है या 130 साल का, हमें नहीं पता. मगरमच्छ के लिए 124 साल की उम्र अकल्पनीय नहीं है. हेनरी का ये सफर बोत्सवाना के ओकावांगो डेल्टा से शुरू हुआ, जहां उसने एक भयानक प्रतिष्ठा हासिल की. लोकल के मुताबिक, उसने ओकावांगो नदी के पास रहने वाली एक स्थानीय जनजाति को पूरी तरह से नष्ट कर दिया और कई पुरुषों और बच्चों पर हमला करके उन्हें जिंदा खा लिया था.
10,000 से ज्यादा बच्चों के पिता
हालांकि, काफी मशक्कत के बाद आखिरकार सर हेनरी नामक एक शिकारी ने इस विशालकाय मगरमच्छ को पकड़ लिया. तब से वो कैद में है. हेनरी का वजन 700 किलोग्राम है और उसकी लंबाई 16.4 फीट है और पिछले कुछ सालें में वह 10,000 से ज्यादा बच्चों पिता बन चुका है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि हेनरी की लंबी उम्र में मदद करने के लिए क्रोकवर्ल्ड अभयारण्य में सुरक्षा और देखभाल की गई है.
26 देशों में पाए जाते हैं नील मगरमच्छ
ऑस्टैड ने बताया, 'जो जानवर, किसी भी कारण से सुरक्षित वातावरण में रहते हैं, वे लंबे वक्त तक जीवित रहते हैं.' उनकी जीवविज्ञान भी इसमें अहम भूमिका निभा सकती है. रिसर्चर का अनुमान है कि नील मगरमच्छों के खून में जीवाणुरोधी गुण वाले प्रोटीन होते हैं, जो संक्रमण से बचाव में मदद कर सकते हैं. इसके अलावा, उनके मजबूत आंत माइक्रोबायोम एक इफेक्टिव इम्यून रिस्पांस में योगदान दे सकते हैं. ऑस्टैड ने मजाक में कहा, '(मगरमच्छ) उनका स्टडी करने वाले वैज्ञानिकों के करियर से भी ज्यादा समय तक जीवित रहते हैं.' नील मगरमच्छ उप-सहारा अफ्रीका के 26 देशों में पाए जाते हैं और हर साल सैकड़ों मौतों के लिए जिम्मेदार होते हैं.