Last Updated:April 17, 2025, 16:30 IST
Urdu Language: उर्दू में नेमप्लेट को लेकर एक मामला सुप्रीम कोर्ट में आया था. इस पर शीर्ष अदालत ने उर्दू को भारतीय भाषा मानते हुए कहा कि यह 'गंगा-जमुनी तहजीब' का प्रतीक है. वास्तव में उर्दू की उत्पत्ति भारत में ...और पढ़ें

उर्दू भारत की मिली-जुली सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है.
हाइलाइट्स
उर्दू भारतीय भाषा, 75 प्रतिशत शब्द संस्कृत से आएसुप्रीम कोर्ट ने उर्दू को 'गंगा-जमुनी तहजीब' का प्रतीक बतायाउर्दू की उत्पत्ति भारत में, पंजाब के इलाके में हुई थीUrdu Language: “भाषा कोई मजहब नहीं होता और न ही यह किसी मजहब का प्रतिनिधित्व करती है. भाषा एक समुदाय, क्षेत्र और लोगों की होती है, न कि किसी मजहब की. भाषा संस्कृति है और सभ्यता की प्रगति को मापने का पैमाना है.” यह सुप्रीम कोर्ट का कथन है, जो उसने महाराष्ट्र के एक नगर परिषद के साइनबोर्ड पर उर्दू के इस्तेमाल को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा. साथ ही शीर्ष अदालत ने उर्दू को ‘गंगा-जमुनी तहजीब’ और ‘हिंदुस्तानी तहजीब’ का एक शानदार नमूना बताया. यह भी कहा कि उर्दू भारत की मिली-जुली सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है.
इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ कर रही थी. यह याचिका महाराष्ट्र के अकोला जिले के पातुर की पूर्व पार्षद वर्षाताई संजय बागड़े ने दायर की थी. अदालत ने कहा कि भाषा को मजहब से जोड़ना गलत है. इसके साथ ही ये भी साफ किया कि उर्दू को मुसलमानों की भाषा मानना असलियत और विविधता में एकता से दूर जाने जैसा है. याचिकाकर्ता का तर्क था कि नगर परिषद का काम केवल मराठी में ही होना चाहिए और उर्दू का उपयोग यहां तक कि नेमप्लेट पर भी सही नहीं है.
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कहां हुआ उर्दू भाषा का जन्म?
लेकिन हकीकत में उर्दू किसी भी अन्य भाषा की तरह एक भारतीय भाषा है. जानकारों के अनुसार, उर्दू भाषा की उत्पत्ति कई शताब्दियों पहले भारत में हुई थी. यह भाषा भारत में ही विकसित हुई और विभिन्न नामों से फली-फूली. ज्यादातर ऐतिहासिक संदर्भ इस बात की ओर संकेत करते हैं कि उर्दू की उत्पत्ति भारत के पंजाब राज्य में हुई थी. यह स्थानीय और विदेशी भाषाओं के मेल से यह विकसित हुई. महान कवि अमीर खुसरो ने अपनी पुस्तक ‘घुर्रतुल कमाल’ में लिखा है कि 11वीं शताब्दी में लाहौर में पैदा हुए मसूद लाहौरी (मसूद साद सलमान) ने हिंदवी (उर्दू) में कविता की थी. इससे पता चलता है कि उर्दू की उत्पत्ति पंजाब में हुई. विभाजन से पहले लाहौर वृहद पंजाब का हिस्सा था. उर्दू नाम तुर्की शब्द ओरदु या ओर्दा (सेना) से लिया गया है. कहा जाता है कि यह ‘शिविर की भाषा’ या स्थानीय लश्करी जबान के रूप में उत्पन्न हुई थी.
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संस्कृत और प्राकृत का योगदान
उर्दू की क्रियाएं, व्याकरण, काल बहुत हद तक भारतीय हैं और हिंदी भाषा की तरह हैं. भले ही इसमें फारसी और अरबी भाषाओं से कुछ मूल शब्द आए हों, लेकिन उन्हें भारत में उर्दू भाषा में बदल दिया गया. फरहंग-ए-आसिफ़िया उर्दू शब्दकोष लिखने वाले सैयद अहमद देहलवी ने अनुमान लगाया है कि 75 फीसदी उर्दू शब्दों का जन्म संस्कृत और प्राकृत से हुआ है. लगभग 99 फीसदी उर्दू क्रियाओं की जड़ें संस्कृत और प्राकृत में हैं. उर्दू ने फारसी और कुछ हद तक फारसी के माध्यम से अरबी से शब्द उधार लिए हैं, जो उर्दू की शब्दावली का लगभग 25 फीसदी से 30 फीसदी तक है. 18वीं शताब्दी के अंत में मुगल काल के दौरान अपने फारसी-अरबी लिपि रूप में हिंदुस्तानी एक मानकीकरण प्रक्रिया और आगे फारसीकरण से गुजरी और उर्दू के रूप में जानी जाने लगी. उर्दू ने एक साहित्यिक भाषा के रूप में दरबारी और अभिजात वर्ग के परिवेश में आकार लिया.
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हिंदवी और देहलवी भी कहलाती है ये
उर्दू कहलाने से पहले इसे हिंदुस्तानी, हिंदवी, देहलवी और रेख्ता जैसे नामों से जाना जाता था. उर्दू को दाएं से बाएं लिखते हैं. अपनी फारसी लिपि के बावजूद उर्दू एक भारतीय भाषा है. हालांकि कई महान भारतीय भाषाओं के ऐसे उदाहरण हैं जो देश के बाहर से प्राप्त लिपियों में लिखी गई हैं. उदाहरण के लिए, पंजाबी शाहमुखी भाषा भी ऐसे ही लिखी जाती है, यानी दाएं से बाएं. पंजाबी भाषा लिखने के लिए इस्तेमाल होने वाली दूसरी लिपि गुरुमुखी है. गुरुमुखी लिपि का इस्तेमाल मुख्य रूप से भारत के पंजाब में किया जाता है.
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ये कहां और कैसे फली-फूली?
पंजाब में अपनी उत्पत्ति के बाद उर्दू का विकास और प्रसार दिल्ली के साथ-साथ हरियाणा के कुछ हिस्सों और दक्षिण के कुछ राज्यों में हुआ. दक्षिण में इसका विकास ‘दक्कनी भाषा’ के रूप में हुआ. इतिहासकारों का कहना है कि यह भाषा 12वीं से 16वीं शताब्दी तक ‘दिल्ली सल्तनत’ के काल में दिल्ली में विकसित हुई और फली-फूली. उसके बाद 16वीं शताब्दी से 19वीं शताब्दी तक दिल्ली में ‘मुगल साम्राज्य’ के काल में कई दरबारी कवियों ने अपनी महान कविताओं और लेखन में इस भाषा का प्रयोग किया. और फिर इसका विकास दक्षिणी राज्यों में भी हुआ. भारत के बाहर किसी अन्य हिस्से में उर्दू की उत्पत्ति का कोई संदर्भ नहीं है. गोलकुंडा के शासक मुहम्मद कुली कुतुब शाह उर्दू, फारसी और तेलुगु के महान विद्वान थे. पहले साहेब-ए-दीवान (उर्दू कवि) होने का श्रेय कुली कुतुब शाह को दिया जाता है.
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भारत में उर्दू की आधिकारिक स्थिति?
यह भारतीय संविधान के तहत आधिकारिक भाषाओं में से एक है. भारतीय मुद्रा नोटों पर लिखी गई 15 भारतीय भाषाओं में से एक उर्दू भी है. यह कश्मीर, तेलंगाना, यूपी, बिहार, नई दिल्ली और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में आधिकारिक भाषाओं में से एक है. पंजाब में राजस्व विभाग के सभी पुराने रिकॉर्ड केवल उर्दू भाषा में उपलब्ध हैं. भारत में लाखों-करोड़ों लोग इस भाषा को बोलते हैं. तमाम शहरों और क्षेत्रों में इसका बहुत प्रभाव है, जहां यह व्यापक रूप से बोली जाती है. रेलवे स्टेशनों पर जो शहर के नाम लिखे होते हैं, उसमें एक भाषा उर्दू भी है. स्वतंत्रता के बाद भाषा पर अधिक ध्यान नहीं दिया गया और कई राज्यों में जहां उर्दू स्कूल पाठ्यक्रम में अनिवार्य विषय थी, अब वह अनिवार्य विषय नहीं रह गई है. जिससे इसे पढ़ने और लिखने वालों में कमी आई है.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
April 17, 2025, 16:30 IST