एक बोतल ने निगली 8 जानें! डेंटल क्लिनिक गए लोग बने इस बैक्टीरिया का शिकार

1 day ago

साल 2023 में तमिलनाडु के वानियामबाड़ी कस्बे में एक ऐसा चौंकाने वाला मामला सामने आया, जिसने डॉक्टरों से लेकर आम लोगों तक को हैरान कर दिया. यहां एक डेंटल क्लिनिक में इलाज कराने गए लोग एक-एक करके बीमार पड़ने लगे और कुछ ही दिनों में उनकी मौत हो गई. जांच हुई, टेस्ट हुए और जब मेडिकल रिपोर्ट आई, तो सबकी आंखें फटी रह गईं. इन सभी लोगों को एक ही खतरनाक बीमारी हुई थी — न्यूरोमेलियोइडोसिस. और इसका कारण बना था एक ही सलाइन बोतल.

क्या होता है न्यूरोमेलियोइडोसिस?
न्यूरोमेलियोइडोसिस नाम की ये बीमारी आम नहीं है. ये दिमाग और रीढ़ की हड्डी पर हमला करने वाला एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन होता है. इसे पैदा करने वाला बैक्टीरिया Burkholderia pseudomallei कहलाता है, जो गंदे पानी और मिट्टी में पाया जाता है. जब ये बैक्टीरिया इंसान के शरीर में घुसता है, तो पहले बुखार और सिरदर्द जैसे सामान्य लक्षण दिखते हैं. फिर धीरे-धीरे बोलने में परेशानी, आंखों की धुंधली नजर, चेहरे का टेढ़ा हो जाना जैसी गंभीर दिक्कतें शुरू हो जाती हैं. अगर समय पर इलाज ना हो, तो यह बीमारी जानलेवा बन सकती है.

एक सर्जिकल औजार से की गई थी बड़ी लापरवाही
इस केस में जो बात सबसे ज्यादा चौंकाने वाली रही, वह यह थी कि क्लिनिक में सलाइन बोतल को खोलने के लिए जो औजार इस्तेमाल किया गया था, वह साफ नहीं था. उस औजार का नाम है पेरिओस्टियल एलिवेटर. यह आमतौर पर दांतों की सर्जरी में इस्तेमाल होता है, लेकिन यहां उसका इस्तेमाल सलाइन की सील तोड़ने के लिए किया गया, जो कि संक्रमण फैलाने का सीधा रास्ता बन गया. बोतल को खुला छोड़ दिया गया और बाद में उसी बोतल का बाकी सलाइन दूसरी बार मरीजों पर इस्तेमाल किया गया.

16 दिन में मौत!
इस खतरनाक गलती की वजह से जिन मरीजों का इलाज उस डेंटल क्लिनिक में हुआ, उनकी तबीयत बहुत तेजी से बिगड़ गई. औसतन 16 दिनों के भीतर लक्षण दिखने के बाद उनकी मौत हो गई. जिन लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया, वे केवल 9 दिन के अंदर ही चल बसे. दूसरी ओर, जिन मरीजों का इस क्लिनिक से कोई लेना-देना नहीं था, उनमें मौत की दर सिर्फ 9 प्रतिशत रही और उनकी हालत भी धीरे-धीरे खराब हुई.

कैसे इतनी तेजी से फैला संक्रमण?
जांच में पता चला कि जब संक्रमित सलाइन मुंह में इस्तेमाल की गई, तो वह सीधे नसों के जरिए दिमाग तक पहुंच गई. आमतौर पर संक्रमण शरीर में खून के जरिए फैलता है, जिससे इलाज का समय मिल जाता है. लेकिन यहां तो बैक्टीरिया शॉर्टकट से दिमाग तक पहुंच गया, जिससे मरीजों की जान बचाना मुश्किल हो गया.

जब डॉक्टर क्लिनिक पहुंचे, तब तक बहुत देर हो चुकी थी
जैसे ही मामला सामने आया, डॉक्टरों और स्वास्थ्य अधिकारियों की टीम वानियामबाड़ी पहुंची. लेकिन तब तक क्लिनिक को साफ कर दिया गया था, पानी की सप्लाई बंद कर दी गई थी और जनता के गुस्से के कारण क्लिनिक को बंद भी कर दिया गया था. फिर भी वैज्ञानिकों को एक खुली सलाइन बोतल मिली, जिसमें वही खतरनाक बैक्टीरिया पाया गया. बाकी बंद बोतलों में कोई संक्रमण नहीं था.

अन्य मरीजों में संक्रमण का असर अलग था
जिन मरीजों को यह बीमारी किसी और कारण से हुई थी, उनमें सिर और गर्दन में सूजन, गाल की भीतरी त्वचा में जलन और गिल्टियों में सूजन जैसे लक्षण दिखे. लेकिन जो लोग उस डेंटल क्लिनिक में गए थे, उनमें चेहरा सूज जाना, मवाद भर जाना और त्वचा में फोड़े जैसे लक्षण जल्दी-जल्दी उभर आए. इसका मतलब साफ है — क्लिनिक का संक्रमण ज्यादा खतरनाक था.

सरकार और डॉक्टरों ने क्या कहा?
तमिलनाडु के पब्लिक हेल्थ डायरेक्टर डॉ. टी एस सेल्वा विनायगम ने कहा कि यह घटना सभी हेल्थ वर्कर्स के लिए एक सबक है. साफ-सफाई और संक्रमण से बचाव के नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है. उन्होंने बताया कि इस केस की स्टडी से आगे की रणनीति बनाने में मदद मिलेगी और ऐसे मामलों को रोका जा सकेगा.

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