बिहार चुनाव से उठने लगा पर्दा... निकला हीरो और साइड हीरो का पोस्टर, तो इनको...

4 hours ago

Last Updated:July 01, 2025, 14:04 IST

Bihar Assembly Elections 2025 News: जेडीयू दफ्तर में पीएम मोदी की तस्वीर पर बवाल मचा है. आरजेडी ने कहा कि जेडीयू का बीजेपी में विलय तय. लेकिन जानकार इसे बिहार चुनाव से पहले मेन हीरो और साइड हीरो का रोल बंटना बत...और पढ़ें

बिहार चुनाव से उठने लगा पर्दा... निकला हीरो और साइड हीरो का पोस्टर, तो इनको...

जेडीयू दफ्तऱ में पीएम मोदी का लगा तस्वीर.

हाइलाइट्स

जेडीयू दफ्तर में पीएम मोदी की तस्वीर पर बवाल मचा.आरजेडी ने जेडीयू का बीजेपी में विलय तय बताया.नीतीश कुमार को एनडीए का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया गया.

पटना. बिहार में चुनावी माहौल अब पूरी तरह से बन गया है। पटना में तेजस्वी यादव के एक बयान से जो चिंगारी निकली, उसकी लपटें दिल्ली तक पहुंच गईं। तेजस्वी पर बीजेपी का जोरदार हमला करने के बाद जेडीयू ने भी अब उसी अंदाज में आरजेडी को जवाब देना शुरू कर दिया है। जेडीयू ने साधारण अंदाज में नहीं, बल्कि इतिहास में पहली बार पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर पार्टी ऑफिस में लगाकर आरजेडी को और पिनका दिया। पीएम मोदी की जेडीयू दफ्तर के बाहर लगी तस्वीर इस चुनाव का हीरो और साइड हीरो का रोल सामने ला रही है। पीएम मोदी जहां इस चुनाव को लीड करेंगे, वहीं नीतीश कुमार उनका सहयोग करेंगे और चुनाव में साइड हीरो की भूमिका निभाएंगे। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या साइड हीरो का अंत जैसे फिल्मों में होता है, क्या वैसा ही कुछ बिहार चुनाव में भी होने वाला है?

बिहार चुनाव की सुगबुगाहट के बीच सभी दल अपने अपने वोटरों को साधने में लग गए हैं. पार्टियां नई तरकीब अपना रही है. लेकिन यह पहली बार देखने को मिल रहा है जहां जेडीयू प्रदेश कार्यालय में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगी है. इसको लेकर आरजेड़ी सवाल उठा रही है. आरजेडी प्रवक्ता मृतुन्जय तिवारी ने कहा है कि अभी जेडीयू कार्यालय में पीएम की तस्वीर लगी है. फिर वहां बीजेपी का झंडा लगेगा फिर आरएसएस का शाखा लगेगा.

क्या बिहार चुनाव मोदी के चेहरे पर लड़ा जाएगा?

पीएम मोदी और सीएम नीतीश की इन पोस्टरों में नारे जैसे ‘महिलाओं की जय-जयकार, फिर से एनडीए सरकार’ और ‘लग रहे उद्योग, मिल रहा रोजगार’ लिखे हैं, जो एनडीए की एकजुटता और विकास के एजेंडे की कहानी बयां करते हैं. इस घटना ने राष्ट्रीय जनता दल को तंज कसने का मौका दिया. आरजेडी इसे जेडीयू के ‘बीजेपी में विलय’ का सबूत बता रही है. लेकिन यह तस्वीर बिहार चुनाव में कई तरह के संदेश दे रही है. खासकर एनडीए में ‘मेन हीरो’ और ‘साइड हीरो’ की भूमिका को उजागर करता है.

मेन हीरो बनाम साइड हीरो: एनडीए की रणनीति

बिहार को करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार संजीव पांडेय कहते हैं, ‘जेडीयू और बीजेपी का गठबंधन बिहार में करीब 25 साल पुराना है. बीच-बीच में दो-तीन बार अलगाव भी हुए हैं. लेकिन दोनों की विचारधारा एक-दूसरे को हर बार नजजीक लेकर आ जाती है. नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षा और दलबदलू वाली छवि भी इसमें भूमिका निभाती है. लेकिन पहली बार ऐसा हुआ है कि स्वतंत्र छवि बनाए रखने वाली पार्टी में सहयोगी दल के नेता का पोस्टर लगा है. हालांकि, बीते लोकसभा चुनाव में एक रोड-शो में नीतीश के हाथ में कमल आ चुका था. 2024 में राजनीतिक संकट के दौरान जेडीयू ने फैसला लिया था कि उनके पोस्टरों में केवल नीतीश की तस्वीर होगी. लेकिन पटना कार्यालय में नीतीश के साथ मोदी की तस्वीर लगने से यह संदेश गया कि जेडीयू अब पूरी तरह एनडीए के साथ एकजुट है.’

आरजेडी का तंज- जेडीयू का बीजेपी में विलय

आरजेडी ने इस घटना को तुरंत भुनाने की कोशिश की. आरजेडी नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा, ‘तेजस्वी यादव लंबे समय से कह रहे हैं कि जेडीयू का बीजेपी में विलय हो चुका है. अब यह तस्वीर इसका सबूत है.’ आरजेडी का दावा है कि नीतीश कुमार की स्वतंत्र छवि अब खत्म हो चुकी है और जेडीयू बीजेपी की ‘बी-टीम’ बन गई है. तेजस्वी ने इसे ‘नीतीश की मजबूरी’ करार देते हुए कहा कि जेडीयू को अपनी पहचान बचाने की जरूरत है. यह बयानबाजी बिहार की जनता में यह धारणा बनाने की कोशिश है कि नीतीश अब बीजेपी के सामने कमजोर पड़ गए हैं.

जेडीयू कार्यालय में मोदी की तस्वीर ने एनडीए के भीतर मेन हीरो और साइड हीरो की चर्चा को हवा दी है. बिहार में नीतीश कुमार को एनडीए का मुख्यमंत्री चेहरा घोषित किया गया है. बीजेपी नेताओं जैसे उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने स्पष्ट किया कि नीतीश ही अगले सीएम होंगे. लेकिन मोदी की तस्वीर और उनकी लगातार रैलियां यह संकेत देती हैं कि बीजेपी बिहार में मोदी के राष्ट्रीय चेहरे को भुनाना चाहती है. 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए की 39 सीटों की जीत में मोदी की रैलियों की अहम भूमिका थी. इस बार भी बीजेपी मोदी के करिश्मे और राष्ट्रवाद के एजेंडे को चुनावी रणनीति का केंद्र बना रही है, जबकि नीतीश स्थानीय नेतृत्व और विकास कार्यों का चेहरा बने हुए हैं.

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