Last Updated:October 03, 2025, 12:01 IST
L-70 Air Defence Gun: भारत अपने डिफेंस सिस्टम को अपग्रेड करने और उसे ज्यादा से ज्यादा घातक बनाने का प्रयास लगातार कर रहा है. ऑपरेश सिंदूर के दौरान दुनिया ने इसका नमूना भी देखा.
L-70 एयर डिफेंस गन ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के ड्रोन हमले को पूरी तरह से नाकाम करने में अहम भूमिका निभाई.L-70 Air Defence Gun: भारत सिक्योरिटी सिस्टम को अपग्रेड करने के साथ ही उसे मजबूत भी बना रहा है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान देशवासियों के साथ ही पूरी दुनिया ने भारत के वेपन सिस्टम की ताकत देखा. आकाश एयर डिफेंस सिस्टम के साथ ही एक और हथियार ने अपना जौहर दिखाया. उसका नाम है L-70 एयर डिफेंस गन. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह विजयादशमी के मौके पर कच्छ पहुंचे थे, जहां उन्होंने शस्त्र पूजा भी की थी. इस दौरान L-70 एयर डिफेंस गन को भी विशेष तौर पर रखा गया था. राजनाथ सिंह ने इसका जिक्र भी किया था. L-70 ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के ड्रोन अटैक को नाकाम करने में अहम भूमिका निभाई थी. यह गन ड्रोन के साथ ही एयरक्राफ्ट को भी तबाह करने में सक्षम है. बता दें कि L-70 को स्वीडन की कंपनी एबी बोफोर्स बनाती है. शुरुआत से लेकर अभी तक इसको कई बार अपग्रेड किया जा चुका है, जिससे इसकी मारक क्षमता में काफी वृद्धि हुई है.
पाकिस्तान द्वारा सुर्खियों में रहे ड्रोन हमले और भारत के जवाबी अभियान के दौरान पुरानी लेकिन अपग्रेड की हुई 40-मिमी L-70 एयर डिफेंस गन ने निर्णायक भूमिका निभाई. कई दुश्मन ड्रोन को निशाना बनाकर धराशायी किया. 8–9 मई 2025 को पश्चिमी सीमा पर पाकिस्तान-नियंत्रित ड्रोन हमलों के दौरान भारत की एयर डिफेंस ग्रिड तत्काल सक्रिय हो गई थी. छोटे, कम रडार क्रॉस-सेक्शन (RCS) वाले यूएवी को रोकने में अपग्रेडेड L-70 गन ने महत्वपूर्ण काम किया. L-70 गन को मूल रूप से स्वीडन की कंपनी AB Bofors ने द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद के वर्षों में विकसित की थी और यह L-60 का उन्नत संस्करण थी. इसलिए इसे ऑरिजिनल बोफोर्स भी कहा जाता रहा है. यह प्लेटफॉर्म NATO के मीडियम-कैलिबर एयर-डिफेंस स्टैंडर्ड में जल्दी शामिल हो गया.
हर मिनट 300 गन फायर
ट्रेडिशनल कॉन्फ़िगरेशन में ये गन प्रति मिनट लगभग 300 राउंड फायर कर सकती हैं और प्रभावी दूरी तीन से चार किलोमीटर तक बताई जाती है. भारत ने 1960 के दशक में L-70 को अपनाया और बाद में लाइसेंस्ड प्रोडक्शन भी शुरू किया. शुरुआती मॉडल मैन्युअल इशारे और ऑप्टिकल साइट्स पर निर्भर थे, जो आधुनिक छोटे ड्रोन जैसी खतरनाक चुनौतियों के सामने कम प्रभावी थे. इसलिए सीमा सुरक्षा के लिहाज से इन्हें व्यापक तौर पर अपग्रेड किया गया.
घातक बना L-70 गन
अपग्रेड की प्रक्रिया के तहत L-70 गन में हाइड्रोलिक ड्राइव की जगह इलेक्ट्रिक एक्टुएटर्स, एक नया Integrated Fire Control System (IFCS) जिसमें डिजिटल बैलिस्टिक कंप्यूटर है. साथ ही इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सूट (DLTV कैमरा, eye-safe लेज़र रेंजफाइंडर और थर्ड-जनरेशन थर्मल इमेजर) से भी लैस है. साल 2024 में कई L-70 यूनिट्स में रडार और RF बेस्ड Drone Guard System (DGS) जुड़ा जो ड्रोन विशेष RF संकेतों का पता लगाकर जैमिंग, GPS स्पूफिंग और आवश्यकता पड़ने पर काइनेटिक एक्शन करने में सक्षम है. इस अपग्रेड ने L-70 गन को छोटे, तेज और लो-RCS लक्ष्यों के खिलाफ कारगर बना दिया.
ऑपरेशन सिंदूर में दिखाया जलवा
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान L-70 गन IAF के Integrated Air Command and Control System (IACCS) से जुड़ी थीं, जिससे लॉन्ग-रेंज सर्विलांस राडार, सिग्नल इंटेलिजेंस नोड और ग्राउंड-बेस्ड प्लेटफॉर्म में रीयल-टाइम डेटा फ्यूजन संभव हुआ. विश्लेषकों का कहना है कि L-70 जैसे अपग्रेडेड प्लेटफॉर्म ने दिखा दिया कि बड़ी संख्या में मौजूद पारंपरिक सिस्टमों का समय पर तकनीकी सुधार कर के उन्हें आधुनिक खतरे के अनुकूल बनाया जा सकता है. ऑपरेशन सिंदूर ने यह भी पुष्टि की कि L-70 गन एयर थ्रेट से बखूबी निपट सकता है. उसे हवा में ही तबाह कर सकता है.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
October 03, 2025, 12:01 IST

3 weeks ago
