Last Updated:March 03, 2025, 18:52 IST
Supreme Court News: इमरान प्रतापगढ़ी से जुड़े एक मामले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई. गुजरात सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी की तरफ से कपिल सिब्बल पे...और पढ़ें

SG तुषार मेहता और कपिल सिब्बल के बीच सुप्रीम कोर्ट में तीखी बहस हुई.
हाइलाइट्स
सांसद इमरान प्रतापगढ़ी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाईदलील सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लियाSG तुषार मेहता और कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दलीलें पेश कींनई दिल्ली. कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी से जुड़े एक मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार 3 मार्च 2025 को अहम सुनवाई हुई. इमरान प्रतापगढ़ी पर कथित तौर पर भड़काऊ गीत गाने के मामले में गुजरात की जामनगर पुलिस ने केस दर्ज किया है. गुजरात पुलिस की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए. वहीं, इमरान प्रतापगढ़ी की ओर से सीनियर लॉयर और कांग्रेस के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल ने दलील रखी. सुप्रीम कोर्ट में SG तुषार मेहता और कपिल सिब्बल के बीच तीखी बहस हुई. तुषार मेहता ने इमरान प्रतापगढ़ी की कविता को सड़क छाप बताया तो कपिल सिब्बल ने सांसद का बचाव किया. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात पुलिस को नसीहत देते हुए कहा कि संविधान लागू होने के 75 साल बाद तो कम से कम पुलिस को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को समझना चाहिए.
सांसद इमरान प्रतापगढ़ी की याचिका पर सोमवार को जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां ने सुनवाई की. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. दरअसल, गुजरात के जामनगर में आयोजित सामूहिक विवाह समारोह के दौरान कथित भड़काऊ गीत के लिए प्रतापगढ़ी के खिलाफ 3 जनवरी 2025 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी. गुजरात पुलिस की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ‘सड़क छाप’ किस्म की कविता थी और इसे फैज अहमद फैज जैसे प्रसिद्ध शायर और लेखक से नहीं जोड़ा जा सकता है. उन्होंने दलीलदी की (सांसद के) वीडियो मैसेज ने परेशानी पैदा की. सांसद इमरान प्रतापगढ़ी की ओर से पेश सीनियर लॉयर कपिल सिब्बल ने कहा कि वीडियो मैसेज प्रतापगढ़ी ने नहीं, बल्कि उनकी टीम ने साझा किया था. इस पर तुषार मेहता ने कहा कि सांसद को उनकी टीम द्वारा उनके सोशल मीडिया अकाउंट पर वीडियो संदेश अपलोड किए जाने पर भी जवाबदेह ठहराया जाएगा. कपिल सिब्बल ने इससे पूर्व में कहा था कि हाईकोर्ट का आदेश कानून की दृष्टि से गलत है, क्योंकि जज ने कानून को नजरअंदाज किया.
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को दी नसीहत
इमरान प्रतापगढ़ी ने प्राथमिकी रद्द करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत बोलेन और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को प्रोटेक्ट करने के महत्व को बताया. जस्टिस ओका ने कहा, ‘जब बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात आती है, तो इसे संरक्षित करना होगा.’ जस्टिस ने आगे कहा, ‘प्राथमिकी दर्ज करने से पहले पुलिस को कुछ संवेदनशीलता दिखानी होगी. उन्हें (संविधान के अनुच्छेद को) पढ़ना और समझना चाहिए. संविधान लागू होने के 75 साल बाद अब तो कम से कम पुलिस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को समझना होगा.’
‘आखिरकार यह तो एक कविता थी’
जस्टिस ओका ने कहा कि आखिरकार तो यह एक कविता थी और वास्तव में यह अहिंसा को बढ़ावा देने वाली थी. जस्टिस ओका ने आगे कहा, ‘इसके अनुवाद में कुछ समस्या प्रतीत होती है, पर यह किसी धर्म के विरुद्ध नहीं है. यह कविता अप्रत्यक्ष रूप से कहती है कि भले ही कोई हिंसा में लिप्त हो लेकिन हम हिंसा में शामिल नहीं होंगे. कविता यही संदेश देती है. यह किसी विशेष समुदाय के विरुद्ध नहीं है.’ सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी को कथित रूप से संबंधित गीत का संपादित वीडियो पोस्ट करने के लिए प्रतापगढ़ी के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी थी और गुजरात सरकार तथा शिकायतकर्ता किशनभाई दीपकभाई नंदा को उनकी अपील पर नोटिस जारी किया था.
गुजरात हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती
कांग्रेस नेता ने गुजरात हाईकोर्ट के 17 जनवरी के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की उनकी याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया था कि जांच अभी प्रारंभिक चरण में है. कांग्रेस के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रतापगढ़ी पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 196 (धर्म, जाति आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 197 (राष्ट्रीय एकता को नुकसान पहुंचाने वाले आरोप, दावे) के तहत मामला दर्ज किया गया था.प्रतापगढ़ी द्वारा X पर अपलोड की गई 46 सेकंड की वीडियो क्लिप में जब वह चल रहे थे, तो उन पर फूलों की पंखुड़ियां बरसाई जा रही थीं. इस दौरान बैकग्राउंड में एक गाना बज रहा था. प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि इस गाने के बोल भड़काऊ, राष्ट्रीय एकता के लिए हानिकारक और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले हैं.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
March 03, 2025, 18:52 IST