कर्नाटक में SC आरक्षण में बदलाव, 3 वर्गों में बंटा समुदाय, खत्म होगी दबंगई

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Last Updated:August 20, 2025, 07:38 IST

Karnataka News: कर्नाटक सरकार ने अनुसूचित जातियों के लिए आंतरिक आरक्षण लागू किया है. एससी लेफ्ट और एससी राइट को छह-छह फीसदी, अन्य उप-जातियों को पांच फीसदी आरक्षण मिलेगा.

कर्नाटक में SC आरक्षण में बदलाव, 3 वर्गों में बंटा समुदाय, खत्म होगी दबंगईइसे कर्नाटक सरकार का ऐतिहासिक फैसला करार दिया जा रहा है.

Karnataka News: कर्नाटक सरकार ने अनुसूचित जातियों (एससी) के लिए आंतरिक आरक्षण लागू करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है. यह निर्णय लंबे समय से चली आ रही मांगों को पूरा करने के लिए लिया गया है. एससी लेफ्ट (मदिगा) और एससी राइट (होलेया) समुदाय खासतौर पर इसकी मांग कर रहे थे. राज्य मंत्रिमंडल ने 19 अगस्त को एक विशेष बैठक में 17 फीसदी अनुसूचित जाति आरक्षण को तीन श्रेणियों में बांटने की मंजूरी दी. इस नए फॉर्मूले के तहत छह फीसदी आरक्षण एससी लेफ्ट समुदाय, छह फीसदी एससी राइट समुदाय और पांच फीसदी लंबानी, भोवी, कोरचा, कोरमा जैसी अन्य उप-जातियों के लिए निर्धारित किया गया है.

यह निर्णय जस्टिस एचएन नागमोहन दास आयोग की सिफारिशों के बाद आया है, जिसने पहले एक अलग संरचना का सुझाव दिया था. आयोग ने छह फीसदी एससी लेफ्ट, पांच फीसदी एससी राइट, चार फीसदी लंबानी, भोवी, कोरमा और कोरचा जैसी स्पृश्य जातियों और एक फीसदी प्रत्येक खानाबदोश समुदायों जैसे- आदि कर्नाटक, आदि द्रविड़ और आदि आंध्र समुदायों के लिए सुझाया था. हालांकि, मंत्रिमंडल ने खानाबदोश और आदि कर्नाटक, आदि द्रविड़, आदि आंध्र के लिए अलग एक फीसदी आरक्षण को हटाकर तीन श्रेणियों का नया मैट्रिक्स स्वीकार किया.

यह कदम सुप्रीम कोर्ट के एक अगस्त 2024 के फैसले के बाद संभव हुआ, जिसमें राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने की शक्ति दी गई थी. कर्नाटक में अनुसूचित जातियों की 101 उप-जातियां हैं, जिनमें मदिगा (एससी लेफ्ट) और होलेया (एससी राइट) प्रमुख हैं. मदिगा समुदाय ने दशकों से तर्क दिया है कि वे सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े हैं और मौजूदा आरक्षण का लाभ स्पृश्य जातियों और होलेया समुदाय को अधिक मिलता है.

नागमोहन दास आयोग ने किया सर्वेक्षण

नागमोहन दास आयोग ने मई से जुलाई 2025 तक व्यापक सर्वेक्षण किया, जिसमें कर्नाटक की अनुमानित 1.16 करोड़ अनुसूचित जाति आबादी में से 93 फीसदी को कवर किया गया. इस सर्वेक्षण में 27.24 लाख परिवारों से 1.07 करोड़ लोगों के आंकड़े एकत्र किए गए. हालांकि, बेंगलुरु शहर में केवल 54 फीसदी आबादी को कवर किया जा सका. आयोग ने सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन के साथ-साथ सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व के आधार पर अपनी सिफारिशें तैयार कीं.

हालांकि, इस फैसले का कुछ समुदायों ने विरोध किया है. स्पृश्य समुदायों जैसे लंबानी और भोवी ने पांच फीसदी आरक्षण को अपर्याप्त बताते हुए इसे बढ़ाकर छह फीसदी करने की मांग की है. वहीं, खानाबदोश समुदायों ने एक फीसदी अलग आरक्षण हटाने पर नाराजगी जताई है. एससी राइट समुदाय ने भी आयोग की सिफारिशों को पक्षपातपूर्ण बताते हुए पुनर्मूल्यांकन की मांग की है, उनका दावा है कि उनकी आबादी को 50 लाख से घटाकर 20 लाख दर्शाया गया है.

दलित लेफ्ट समुदाय ने इस फैसले का स्वागत किया है और इसे तत्काल लागू करने की मांग की है. सामाजिक न्याय के लिए फेडरेशन ऑफ दलित संगठनों ने 11 अगस्त से बेंगलुरु में अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन शुरू किया है. दूसरी ओर, कांग्रेस पार्टी के कुछ वरिष्ठ दलित नेता जैसे जी. परमेश्वर और मल्लिकार्जुन खड़गे आंतरिक आरक्षण के खिलाफ रहे हैं जिससे राजनीतिक तनाव बढ़ा है.

मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि यह निर्णय सामाजिक न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है. उन्होंने सभी समुदायों से सर्वेक्षण में सहयोग करने की अपील की. सरकार जल्द ही इस संबंध में अध्यादेश लाने की योजना बना रही है. यह कदम कर्नाटक में अनुसूचित जातियों के बीच आरक्षण के समान वितरण को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.

संतोष कुमार

न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें

न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...

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First Published :

August 20, 2025, 07:38 IST

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