Last Updated:August 20, 2025, 10:19 IST
India Attack Pakistan in UNSC: भारत ने UNSC में पाकिस्तान पर 1971 से अल्पसंख्यक महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा का आरोप लगाया. एल्डोस मैथ्यू पुन्नूस ने न्यायपालिका पर भी सवाल उठाए. भारत ने अपराधियों को सजा देने की म...और पढ़ें

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत ने पाकिस्तान को एक बार फिर आड़े हाथों लिया. संयुक्त राष्ट्र में भारत के प्रभारी एल्डोस मैथ्यू पुन्नूस ने इस दौरान पाकिस्तान में 1971 से लेकर अब तक अल्पसंख्यक (हिन्दू) महिलाओं के खिलाफ हो रही यौन हिंसा का मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया. उन्होंने ‘संघर्ष से जुड़ी यौन हिंसा’ पर आयोजित ओपन डिबेट में कहा कि पाकिस्तान सेना ने 1971 में तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में लाखों महिलाओं पर जो यौन अत्याचार किए, वह आज भी पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं के खिलाफ जारी हैं.
पुन्नूस ने कहा कि यह बेहद शर्मनाक है कि जिस तरह 1971 में पाकिस्तानी सेना ने यौन अपराध किए, उसी तरह आज भी वहां महिलाओं का अपहरण, जबरन धर्म परिवर्तन, बाल विवाह, यौन हिंसा और तस्करी जैसी घटनाएं अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए हो रही हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान की न्यायपालिका भी इन जघन्य अपराधों को मान्यता देती है, जिससे अपराधियों को संरक्षण मिलता है. उन्होंने कहा कि जो लोग इन अपराधों में शामिल हैं, वही आज न्याय के ठेकेदार बनकर दुनिया को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं.
‘बक्शे नहीं जाने चाहिए अपराधी’
भारत ने कहा कि ऐसे अपराधियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाना चाहिए. यौन हिंसा केवल पीड़िता को ही प्रभावित नहीं करती बल्कि पूरे समाज की संरचना को तोड़ देती है और कई पीढ़ियों तक इसके गहरे निशान छोड़ती है. पुन्नूस ने जोर देकर कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाना होगा, जिसमें अपराधियों को सजा दिलाना, पीड़िताओं को न्याय, सुरक्षित आश्रय, स्वास्थ्य सेवाएं, मनोवैज्ञानिक सहयोग और पुनर्वास शामिल हों. उन्होंने याद दिलाया कि 2019 में पारित UNSC प्रस्ताव 2467 इस दिशा में महत्त्वपूर्ण है, जो पीड़िताओं को राहत, स्वास्थ्य और कानूनी सहायता मुहैया कराने पर बल देता है.
भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव के ट्रस्ट फंड में शुरुआती योगदान देकर इस मुद्दे पर अपनी गंभीरता दिखाई. पुन्नूस ने कहा कि भारत ने 2017 में महासचिव के साथ स्वैच्छिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, ताकि शांति अभियानों में यौन शोषण और हिंसा को खत्म किया जा सके. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस वैश्विक पहल के नेतृत्वकारी समूह में शामिल हैं.
‘शांति अभियानों में भारत का बड़ा योगदान’
भारत की भूमिका शांति अभियानों में भी उल्लेखनीय रही है. 2007 में भारत ने पहली बार पूरी तरह महिला पुलिस इकाई लाइबेरिया भेजी थी. आज भारत की महिला टुकड़ियां MONUSCO, UNICEF और UNMAS जैसे अभियानों में सक्रिय हैं. दिल्ली स्थित संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षक केंद्र विशेष प्रशिक्षण देकर शांति अभियानों में महिलाओं की भागीदारी और जेंडर-आधारित हिंसा रोकने में मदद करता है.
पुन्नूस ने यह भी कहा कि भारत घरेलू स्तर पर भी महिलाओं की सुरक्षा के लिए व्यापक रणनीति लागू कर चुका है, जिसे अन्य देश भी अपना सकते हैं. उन्होंने बताया कि भारत ने लगभग 1.2 अरब डॉलर का निर्भया फंड बनाया है, जो महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल, तेज न्याय और संकट सहायता सुनिश्चित करता है. महिलाओं की सुरक्षा के लिए पूरे देश में इमरजेंसी नंबर 112 की सुविधा दी गई है. प्रत्येक जिले में स्थापित सखी वन-स्टॉप सेंटर पीड़िताओं को पुलिस सहायता, चिकित्सा, कानूनी मदद और आश्रय जैसी सुविधाएं एक ही जगह उपलब्ध कराते हैं. इसके अलावा तेज जांच और फास्ट-ट्रैक कोर्ट के ज़रिए दोषियों को सजा सुनिश्चित की जाती है.
अंत में भारत ने दोहराया कि वह संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में यौन हिंसा को खत्म करने और पीड़िताओं को हरसंभव सहयोग देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...
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First Published :
August 20, 2025, 10:13 IST