राजस्व घटा, कर्ज बढ़ा... 5 गारंटी स्कीम ने रोका कर्नाटक के विकास का पहिया: CAG

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Last Updated:August 20, 2025, 10:11 IST

कर्नाटक में कांग्रेस सरकार की 5 गारंटी योजनाओं ने राज्य की वित्तीय सेहत पर भारी बोझ डाल दिया है. CAG की रिपोर्ट के अनुसार, राजस्व घाटा है और कर्ज तेजी से बढ़ा है, जबकि पूंजीगत खर्च घट गया है.

 CAGकर्नाटक में कांग्रेस सरकार की 5 गारंटी योजनाओं ने राज्य की वित्तीय सेहत पर भारी बोझ डाल दिया

Karnataka: नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने अपनी 2023-24 की रिपोर्ट में कर्नाटक की आर्थिक स्थिति को लेकर गंभीर चिंता जताई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सिद्धारमैया सरकार की पांच गारंटी योजनाएं राज्य की वित्तीय सेहत पर बहुत बड़ा बोझ डाल रही हैं. कोविड-19 महामारी के बाद राज्य की जो आर्थिक रिकवरी दिख रही थी, इन योजनाओं के खर्च ने उसे कमजोर कर दिया है.

कौन-सी हैं वो 5 गारंटी योजनाएं?

कांग्रेस सरकार ने चुनावी वादों के आधार पर जो गारंटी योजनाएं शुरू कीं, उनमें शामिल हैं:

– गृह लक्ष्मी योजना – महिलाओं को प्रतिमाह नकद सहायता.

– गृह ज्योति योजना – घरों को मुफ्त बिजली.

– अन्न भाग्य योजना – गरीब परिवारों को मुफ्त चावल.

– शक्ति योजना – महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा.

– युवा निधि योजना – बेरोजगार युवाओं को भत्ता.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इन योजनाओं का खर्च राज्य के कुल राजस्व व्यय का लगभग 15% हो गया है.

आय कम, खर्च ज्यादा

CAG ने बताया कि 2023-24 में राज्य की राजस्व आय सिर्फ 1.8% बढ़ी, जबकि राजस्व खर्च 12.5% तक बढ़ गया. खर्च में इस तेज वृद्धि का मुख्य कारण गारंटी योजनाएं ही रहीं.

– राजस्व घाटा (Revenue Deficit): 9,271 करोड़ रुपये

– वित्तीय घाटा (Fiscal Deficit): 65,522 करोड़ रुपये (2022-23 में यह 46,623 करोड़ था)

भारी कर्ज पर निर्भरता

इतने बड़े खर्च को पूरा करने के लिए सरकार ने कर्ज का सहारा लिया. साल 2023-24 में राज्य ने 63,000 करोड़ का नेट मार्केट लोन लिया, जो पिछले साल की तुलना में 37,000 करोड़ अधिक था. ये कर्ज पूंजीगत खर्च (Capital Expenditure) से 38,160 करोड़ रुपये ज्यादा रहा और इनका बड़ा हिस्सा गारंटी योजनाओं पर ही चला गया. CAG ने चेतावनी दी है कि ज्यादा कर्ज लेने से आने वाले वर्षों में कर्ज चुकाने का दबाव और ब्याज का बोझ दोनों काफी बढ़ जाएगा.

पूंजीगत प्रोजेक्ट्स पर असर

रिपोर्ट के मुताबिक, गारंटी योजनाओं के चलते राज्य का पूंजीगत खर्च (Capital Expenditure) प्रभावित हुआ. इस खर्च में 5,229 करोड़ रुपये की कमी दर्ज की गई. नतीजा यह हुआ कि अधूरे पड़े प्रोजेक्ट्स की संख्या 2022-23 के मुकाबले 68% ज्यादा हो गई. यानी सड़क, पुल, स्कूल, अस्पताल जैसे विकास कार्यों पर सीधा असर पड़ा.

सरकार का तर्क और CAG की आपत्ति

वहीं, कर्नाटक सरकार का कहना है कि इन योजनाओं से स्थानीय बाजार में खपत बढ़ी है. गरीब और मध्यमवर्ग को सहारा मिला और असमानता घटाने में मदद मिली. इसके अलावा, योजनाओं से मानव संसाधन विकास (Human Capital Development) को बढ़ावा मिला.

हालांकि, CAG का कहना है कि ये योजनाएं बिना सोच-समझ के लागू की गईं. खासकर, गृह लक्ष्मी और युवा निधि जैसी योजनाएं शुरू करने से पहले सरकार ने पहले से चल रही सब्सिडियों और लाभों को संतुलित नहीं किया. इस वजह से राज्य के वित्तीय संसाधनों पर और बोझ बढ़ गया.

बढ़ता स्थायी खर्च भी चिंता का कारण

CAG रिपोर्ट ने यह भी बताया कि राज्य का स्थायी खर्च लगातार बढ़ रहा है. 2019-20 में जहां राजस्व व्यय 40% था, वो 2023-24 में बढ़कर 44% हो गया है. वेतन, पेंशन और ब्याज जैसे खर्च पिछले साल 94,326 करोड़ रुपये से बढ़कर 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गए. इस तरह, सरकार की आय का बड़ा हिस्सा सिर्फ स्थायी खर्च और गारंटी योजनाओं में ही चला गया, जिससे विकास कार्यों के लिए संसाधन कम रह गए.

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First Published :

August 20, 2025, 10:11 IST

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