Last Updated:May 29, 2025, 13:58 IST
E-Vehicle in UP : अगर आपसे पूछा जाए कि सबसे ज्यादा ई-वाहन किस राज्य में हैं तो ज्यादातर का जवाब होगा दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहर. लेकिन, आंकड़े बताते हैं कि यूपी इस मामले में बाकी शहरों से काफी ज्यादा आग...और पढ़ें

देश में साल 2030 तक 10 करोड़ से ज्यादा ई-वाहन होने की संभावना है.
हाइलाइट्स
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा ई-वाहन हैं.यूपी में 4.14 लाख से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन हैं.यूपी सरकार ने 2022 में नई ईवी नीति लागू की.नई दिल्ली. ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि इलेक्ट्रिक वाहन महानगरों में ज्यादा बिकते हैं, लेकिन सच्चाई इससे बिलकुल उलट है. हाल में जारी आंकड़ों को देखें तो पता चलता है कि यूपी ने सबसे ज्यादा ई-वाहन बेचे हैं और इस मामले में दिल्ली, मुंबई और बैंगलोर जैसे शहर भी काफी पीछे छूट गए. यूपी में इस समय सबसे ज्यादा ई-वाहन दौड़ रहे हैं. यूपी के बाद दूसरे नंबर पर काबिज दिल्ली में तो यह आंकड़ा उसका आधा भी नहीं है.
यूपी सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, अभी प्रदेश में 4.14 लाख से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) हैं और यह सबसे ज्यादा ई-वाहन का राज्य बन गया है. दूसरे स्थान पर काबिज दिल्ली में 1.83 लाख और तीसरे पायदान वाले महाराष्ट्र में 1.79 लाख ई-वाहन दौड़ रहे हैं. आंकड़े साफ बता रहे कि उत्तर प्रदेश में इस समय सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिक वाहन दौड़ रहे हैं.
तेजी से बढ़ रहे चार्जिंग स्टेशन
पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर वैश्विक चर्चा के बीच इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) आज की पर्यावरणीय चुनौतियों का एक बेहतर समाधान बनकर उभरा है. एक बयान के मुताबिक, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2022 में नई इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण एवं परिवहन नीति लागू की, जिसका उद्देश्य ईवी की स्वीकार्यता को तेजी से बढ़ावा देना, चार्जिंग बुनियादी ढांचे का मजबूत नेटवर्क स्थापित करना और राज्य को ईवी और बैटरी विनिर्माण का वैश्विक केंद्र बनाना है.
तेजी से बढ़ रहे ई-रिक्शा
यूपी सरकार की इस नीति के तहत राज्य सरकार 30 हजार करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित करने और 10 लाख नौकरियां सृजित करने की दिशा में तेजी से काम कर रही है. उत्तर प्रदेश की पर्यटन नगरियों अयोध्या, काशी, मथुरा, प्रयागराज सहित गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, कानपुर और लखनऊ में ई-रिक्शा (तीन-पहिया वाहन) की व्यापक लोकप्रियता ने ईवी बिक्री में 85 फीसदी हिस्सेदारी हासिल की है, जो विशेष रूप से शहरी क्षेत्रों में यात्री और माल ढुलाई के लिए उपयोगी साबित हुए हैं.
फेम-1 और 2 योजना भी मददगार
इसके अलावा भारत सरकार की फेम एक और दो (फास्टर एडॉप्टेशन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल इन इंडिया) योजनाओं का सबसे बड़ा लाभार्थी बनकर उत्तर प्रदेश ने ई-परिवहन को और बढ़ावा दिया है. चार्जिंग जैसे बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान देते हुए सरकार ने इस क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं.
300 चार्जिंग स्टेशन लगेंगे
हाल ही में सरकार ने प्रदेश के 16 नगर निकायों में 300 से अधिक नए चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने का निर्णय लिया है. इनमें सर्वाधिक चार्जिंग स्टेशन अयोध्या में स्थापित होने हैं, जहां पर्यटकों की संख्या में निरंतर इजाफा देखा जा रहा है. देश में वर्तमान में 33,000 ईवी चार्जर हैं, जिनमें से 35 फीसदी फास्ट चार्जर हैं. इलेक्ट्रिक वाहन की बढ़ती मांग को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिक फास्ट चार्जिंग स्टेशनों के निर्माण और मौजूदा स्टेशनों को बेहतर बनाने पर जोर दिया है.
10 करोड़ ज्यादा ई-वाहन का लक्ष्य
विशेषज्ञों का कहना है कि साल 2030 तक भारत में 10.2 करोड़ ईवी होंगे. हालांकि, भारत में दोपहिया और तिपहिया वाहन, जो ज्यादातर घर पर चार्ज होते हैं, सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों की मांग को कुछ कम करते हैं. फिर भी उत्तर प्रदेश सरकार इस कमी को पूरा करने के लिए तेजी से काम कर रही है. सरकार की रणनीति में तीन मुख्य बिंदु हैं. जिनमें, ईवी निर्माण, चार्जिंग नेटवर्क का विस्तार और लोगों में ईवी के प्रति रुचि बढ़ाना शामिल है.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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